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सोने की कीमत में अभूतपूर्व वृद्धि

सोने की कीमत में अभूतपूर्व वृद्धि

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण, समाचार
सोना उछल रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ने से भारत में भी दाम में वृद्धि हुई है. बीते पांच मार्च को ही 24 कैरेट सोने की कीमत 66,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गयी, जो अब तक की अधिकतम कीमत है. बाजार के बंद होने से आठ मार्च से दस मार्च तक यह कीमत 66,021 रुपये बनी रही. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पांच मार्च को एक औंस सोने की कीमत 2,126 डॉलर हो गयी. वर्ष 2024 के दो महीनों में मूल्य में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. ऐसे में 14 से 18 फरवरी के दौरान 12.8 टन सोने की कीमत के बराबर सॉवरन गोल्ड बॉन्ड की खरीद हुई क्योंकि इसमें निवेशकों को सोने से ज्यादा फायदा हुआ. सोने की कीमत का अनुमान लगाने वाली कुछ प्रमुख एजेंसियों में एक एबीएन एमरो के अनुसार 2024 में सोने की कीमत 2,000 डॉलर प्रति औंस रह सकती है, वहीं डीबीएस का अनुमान 2,050 डॉलर प्रति औंस है. टीडी सिक्योरिटीज का अनुमान ह...
<strong>इंडिया गठबन्धन की उलझनों से भाजपा की राह आसान</strong>

इंडिया गठबन्धन की उलझनों से भाजपा की राह आसान

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-ललित गर्ग-इंडिया गठबन्धन लगातार कमजोर होता हुआ दिखाई दे रहा है जबकि केंद्र की सत्ता पर काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए में नये दलों के जुड़ने की खबरों से उसके बड़े लक्ष्य के साथ जीत की राह आसान होती जा रही है। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ 400 सीटें जीतने का लक्ष्य निश्चित किया है। भाजपा जहां इस बडे़ लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पुराने सहयोगियों को फिर से साध रही है तो दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में करने पर भी पार्टी का जोर है और वह इसमें बड़ी सफलताओं को प्राप्त कर रही है। ओडिशा में बीजेडी और आंध्र में टीडीपी से गठबंधन पक्का माना जा रहा है। त्रिपुरा का मुख्य विपक्षी दल टिपरा मोथा भी अब भाजपा सरकार में शामिल हो गया है। भाजपा पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक चुनावी समीकरण सेट करने एवं विभिन्न दलों को एनडीए में शामिल करने की रणनीति में जुट...
मजबूर होती कांग्रेस

मजबूर होती कांग्रेस

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ के खंडन को भले ही स्वीकार कर लें परंतु भाजपा के बढ़ते प्रभाव और कांग्रेस की कमजोर पड़ती सत्ता से कांग्रेसियों में भगदड़ मची हुई है। दरअसल कांग्रेस के राजनीतिक जहाज में सवार नेताओं को अपना भविष्य डूबने का खतरा सता रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस की हालत आयाराम-गयाराम जैसी हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोडऩे वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त सामने आ चुकी है। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव तक चलते रहने की उम्मीद है। कांग्रेस में बदहवासी का आलम यह है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते बची है। राज्यसभा के निर्वाचन में हुई क्रास वोटिंग का सर्वाधिक खामियाजा कांग्रेस ने भुगता है। क्रास वोटिंग करने वाले नेताओं को इस बात का अंदाजा लग गया कि इस राजनीतिक पार्टी में भविष्य सुरक्षित नहीं है। यही वजह रही कि बहती गंगा में हाथ धोने से कांग्रेस के नेता...
<strong>कौन करता है नौकरीपेशा औरतों को परेशान</strong>

कौन करता है नौकरीपेशा औरतों को परेशान

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
आर.के. सिन्हा अब सामाजिक, व्यापारिक, संस्थागत जीवन का शायद ही कोई इस तरह का क्षेत्र बचा हो, जिधर महिलाएं नौकरी के लिए न जाती हों। खेत-खलिहानों, बैंकों,सरकारी और निजी दफ्तरों से लेकर घरों में चूल्हा-चौका करके अपने परिवार की आर्थिक मदद करने में आधी दुनिया किसी भी तरह से मर्दों से पीछे नहीं हैं। कहा जा सकता है कि अब देश में करोड़ों महिलाएं कार्यशील हैं। देश में बढ़ती साक्षरता के चलते नौकरीपेशा औरतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जाहिर है, उन्हें घरों से निकलकर अपने दफ्तरों और फैक्ट्रियों में तो जाना होता ही है। आपको हजारों औरतें विभिन्न संस्थानों में नाइट ड्यूटी करते हुए भी मिलेंगी। पर अपने दफ्तर या फिर स्कूलों-कालेजों में जाने वाली लड़कियों और महिलाओं को कुछ विक्षिप्त मानसिकता के लोग परेशान करते रहते हैं। वे उनके (महिलाओं) के पीछे पड़ ही जाते हैं। उन्हें वे ...
<strong>बिहारी क्रिकेटर कब खेलेंगे टीम इंडिया से</strong>

बिहारी क्रिकेटर कब खेलेंगे टीम इंडिया से

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य
आर.के. सिन्हा   मौजूदा भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में बिहार के दो नव युवा खिलाड़ी –आकाशदीप और मुकेश कुमार ने शानदार प्रदर्शन करके अपनी प्रतिभा से क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया। पर यह बिहार का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि दोनों खिलाड़ी बिहार की टीम से नहीं खेलते। यह दोनों खेलते हैं बंगाल की टीम से रणजी ट्रॉफी में। इसकी वजह यह है कि बिहार में क्रिकेट मैनेजमेंट तार-तार हो चुका है। आकाशदीप का संबंध बिहार के रोहतास जिले से है। आकाशदीप ने रांची टेस्ट मैच में अपनी सधी हुई गेंदबाजी की बदौलत इंग्लैंड टीम के तीन खिलाड़ियों को आउट करके सनसनी मचा दी थी। उनके दादा निशान सिंह स्वाधीनता सेनानी थे। अब आकाशदीप 7 मार्च से शुरू होने वाले पांचवें और आखिरी टेस्ट मैच के लिए हिमाचल प्रदेश जाएंगे और भारतीय क्रिकेट टेस्ट टीम का हिस्सा बनेंगे। उनकी तरह ही ...
<strong>Need to come out from refugee culture</strong>

Need to come out from refugee culture

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार
R.K. Sinha RK Sinha, Founder SIS, Former member of Rajya Sabha, at his residence, for IT Hindi Shoot. Phorograph By - Hardik Chhabra. Now the upcoming Lok Sabha elections will be announced soon. All political parties have also started finalizing their election strategy and names of candidates. Along with this, let us assume that apart from wooing the people, attracting them and bringing them stars from the sky, all the political parties will also promise to give everything for free. There will be a promise of giving free rewadis in the manifestos. The party or coalition that forms the government will also start some work to fulfill its promises. To what extent is it appropriate in any democracy to provide free electricity, water, grains and other things? Obviously, due to distri...
यह तो स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा नहीं है

यह तो स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा नहीं है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
हिमाचल में राज्यसभा के हालिया पंद्रह सदस्यों के चुनाव में कई राज्यों में जिस तरह विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर विरोधी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के पक्ष में वोट किया है, उसने राजनेताओं की गिरती साख की फिर पुष्टि हुई है। साथ ही घटनाक्रम ने दलबदल कानून की सीमाओं को फिर उजागर किया है। वहीं इस घटनाक्रम से चुनाव प्रबंधन व येन-केन-प्रकारेण जीत हासिल करने के इरादे का पता चलता है, वहीं विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई है। वैसे हिमाचल पहला राज्य नहीं है। राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में विपक्षी सपा के कुछ विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करके उन्हें राज्यसभा तक पहुंचाया है । राज्य में संपन्न चुनावों में भाजपा के आठ व सपा के दो प्रत्याशी विजयी रहे हैं। वहीं भाजपा गठबंधन में शामिल एक दल के विधायक द्वारा सपा के पक्ष में मतदान की भी बात कही जा रही है। सबसे बड़ा खेला त...
शिक्षा : छात्र हिंसक क्यों हो रहे हैं?

शिक्षा : छात्र हिंसक क्यों हो रहे हैं?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
यह विडंबना देश का दुर्भाग्य ही है कि जिस उम्र में छात्रों को एकाग्र होकर पढ़ाई-लिखाई में बेहतर करके अपना भविष्य संवारना चाहिए था, उस उम्र में वे हिंसक गतिविधियों में लिप्त दिख रहे हैं। किशोरों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति हमारे समाज के लिये एक चेतावनी ही है। आए दिन स्कूली छात्रों के खूनी टकराव और छात्रों की जान जाने की खबरें आ रही हैं। जो शिक्षकों और अभिभावकों के लिये गंभीर चिंता की बात है। विचारणीय प्रश्न यह है कि खेलने-खाने की उम्र में छात्रों के व्यवहार में यह आक्रामकता क्यों आ रही है? इसी संकट की आहट को महसूस करते हुए कुछ राज्य सरकारों के शिक्षा निदेशालयों ने स्कूलों को आदेश दिया है कि विद्यार्थियों के बस्ते की औचक जांच के लिए एक समिति बनायी जाए। जिसका मकसद है कि किसी लड़ाई-झगड़े में छात्रों को नुकसान पहुंचने वाली घातक वस्तुओं की निगरानी करना। ताकि किसी टकराव और संघर्ष की स्थिति म...
<em>चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?</em>

चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण
*चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?* इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि विश्व को ज्ञान देने वाली भारत की प्रतिभाएं तथा अभिभावक मौजूदा दौर में शिक्षा को लेकर दुश्वारियों के दौर से गुजर रहे हैं। देश की हजारों प्रतिभाएं पढ़ाई के नाम पर प्रतिवर्ष विदेशी शिक्षण संस्थानों का रुख कर रही हैं, बल्कि कई छात्र भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। भले ही भारत की करोड़ों आबादी गरीबी रेखा से नीचे बसर करने को मजबूर है, मगर विदेशों में शिक्षा हासिल करने वाले हजारों भारतीय छात्रों के अभिभावक हर वर्ष करोड़ों रुपए की महंगी फीस अदा करके अमरीका, कनाडा, ऑस्टे्रलिया, ब्रिटेन व न्यूजीलैंड सहित कई अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। अमरीका, कनाडा व ब्रिटेन शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों के लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन चुके हैं। ‘शिक्षा एक राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है। यदि आप किसी देश के उन्नयन एवं अवनयन का काल जानना चाहत...
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई रजनीश कपूरबचपन में जब हम सभी दोस्त मिल कर क्रिकेट खेलते थे तो कोई मित्र बैट ले कर आता था तो कोई बॉल। अचानक खेलते हुएजब बैट या बॉल लाने वाला मित्र बिना कोई रन बनाए आउट हो जाता था तो ख़ुद को आउट होना न स्वीकारते हुए ग़ुस्से मेंवो अपना बैट या बॉल लेकर घर चला जाता था। ऐसा वो इस उम्मीद से करता था कि उसे एक बार और खेलने का मौक़ामिले। परंतु जैसे ही उसे कोई बड़ा जना यह समझाता कि खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए, हार-जीत तो होती हीरहती है। इसमें बुरा मानने की क्या बात? तो वो मान जाता था।पिछले दिनों देश की सर्वोच्च अदालत ने भी एक समझदार व्यक्ति की भूमिका निभाते हुए न सिर्फ़ बेईमानी कर रहे अधिकारीको आईना दिखाया बल्कि पूरे देश में एक संदेश भी भेजा कि जो भी हो नियम और क़ानून की हद में हो।चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव को लेकर जो विवाद सुर्ख़ियों में था उस पर सर्वोच्च न्याया...