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स्वदेशी तेजस विमानों से तेजस्विता की उड़ान

स्वदेशी तेजस विमानों से तेजस्विता की उड़ान

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सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से निर्मित किये जाने वाले हल्के लड़ाकू विमान की खरीद को मंजूरी देकर भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग को तेजस्विता एवं स्वावलंबन की नयी उड़ान दी है। पिछले साल भारतीय वायु सेना ने 48 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत के इन 83 तेजस विमानों की खेप की खरीद के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसे स्वीकृति मिलना नये भारत, आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। नरेन्द्र मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत की पहल के क्रम में रक्षा मंत्रालय ने अनुकरणीय कदम उठाया है। स्वदेशी आयुध सामग्री एवं रक्षा उत्पादों के निर्माण से विदेशांे से आयात पर रोक लगेगी, जो न केवल आर्थिक दृष्टि से किफायती साबित होगी बल्कि भारत दुनिया में एक बड़ी ताकत बनकर भी उभरेगा। यह पहल इस मायने में महत्वपूर्ण है कि भारत की गिनती दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों मे...
(Budget suggestions) Introduce new simplified Income Tax Act to replace six-decades old outdated Income Tax Act 1961 with simplified tax-regime

(Budget suggestions) Introduce new simplified Income Tax Act to replace six-decades old outdated Income Tax Act 1961 with simplified tax-regime

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Our six-decades old outdated Income Tax Act 1961 which is full of amendments, needs to be replaced by an altogether new Income Tax Act which may be simple-most abolishing additives and deductive like cess, surcharge and exemptions with tax-rates incorporated in new Income Tax Act according to recommendations of Raja Chelliah Committee. Maximum tax-rate at one time used to be effectively as high as 98-percent causing hihgh level of tax-evasion with people paying upto even 52-percent to whiten black money. However good sense prevailed and maximum tax-rate was slashed down to just 30-percent in tune with most other countries of the world in accordance with recommendations of Raja Chelliah Committee. But gradually surcharges, cess etc have again raised effective tax-rate to now about 50-per...
बिडेन, मोदी और भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते आयाम

बिडेन, मोदी और भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते आयाम

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बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148,01255281381 जो बिडेन संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हराया है। वर्तमान दुनिया में अमेरिका सबसे प्रभावशाली देश है, इसलिए अमेरिका में सत्ता परिवर्तन का दुनिया के अधिकांश देशों पर प्रभाव पड़ेगा। भारत कुछ समय के लिए अमेरिका के महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में सामने आ रहा था। अमेरिका में हाउडी मोदी और भारत में नमस्ते ट्रम्प दोनों देशों के नेताओं के बीच घनिष्ठ अंतरंगता का परिणाम थे। इस स्थिति में, अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से भारत और अमेरिका के संबंधों के आयाम भी बदल जाएंगे। अपने विजय भाषण में, उन्होंने एकता के एक संदेश पर जोर दिया और कहा कि अब समय आ गया है कि "अमेरिका की आत्मा को ठीक करो और पुनर्स्थापित करो।" मैं एक ...
क्यों डूबा लक्ष्मी विलास बैंक

क्यों डूबा लक्ष्मी विलास बैंक

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अगर बैंक्स का सही ऑडिट हो तो सारे बैंक्स की capital negative हैं । सारे बड़े loan बिना security के केवल share गिरवीं रखकर दिए जाते हैं ,consumer loan ,vehicle loan , सबमें बहुत npa है लेकिन बैंक के parmoter पागल थोड़ी हैं कि उनको पता नहीं की loan वापिस नही आएगा लेकिन बैंक में उनका पैसा ना मात्र का लगा होता है और जनता का पैसा बहुत अधिक । जैसे y bank में r kapoor का अधिक से अधिक 500 करोड़ लगा है और depositors की fd ,saving आदि में 200000 करोड़ रुपये लगा है । अगर y बैंक डूबता है तो राणा कपूर को कुछ नहीं होगा । अब सारा खेल 200000 करोड़ लूटने का है । बैंकिंग system आम जनता का पैसा कैसे लूटता है । 1. car कंपनियों से parmoter को पैसा मिलता है इसलिये कार loan चुटकी बजा कर हो जाता है वो भी बिना सिक्योरिटी के । दूसरी तरफ हाउसिंग loan जो पूरी तरह secure होता है उसको देने में बैंक आनाकानी करता है ,क...
ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

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क्या पहले और दूसरे विश्व युद्ध की कोई ओपचारिक घोषणा हुई थी ?  नहीं न। तो तीसरे विश्व युद्ध की ओपचारिक घोषणा का इंतज़ार क्यों? पिछले एक बर्ष में ज़ेविक हथियार से चीन ने दुनिया की कमर तोड़ दी। अब चीन का प्यादा तुर्की अजरबेजान के कंधे पर बंदूक़ रखकर रुस और फ़्रांस के प्यारे आर्मीनिया को बर्बाद करने पर तुला है। अब तक १५ हज़ार लाशें बिछ चुकी हैं। सच्चाई यह है कि यह बहुत थोड़ी सी तबाही है। अब इस खेल में अलक़ायदा और आइएसआइएस की ज़बरदस्त एंट्री हो चुकी है और दुनिया के सारे ईसाई व मुस्लिम राष्ट्र इस धर्म युद्ध या सभ्यताओं के संघर्ष में शामिल होते जा रहे हैं। प्रबल संभावना है कि अब इस युद्ध में पुराने गठजोड़ व गठबंधन टूटे जाएँगे व नए बनते जाएँगे। जंग का मैदान नित नयी उलटबाँसिया देख रहा है। अब यह भयावह रूप लेने वाला है क्योंकि अनेक महाशक्तियाँ इसमें प्रवेश करने वाली हैं। १) अमेरिका की रिपब्लिकन ख़ेम...
किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

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ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश की सड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनों को लेकर है। देखा जाए तो ब्रिटिश शासन काल से लेकर आज़ादी के बाद आज तक हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर होने के बावजूद हमारे देश में किसानों की हालत दयनीय है। कर्ज़ में डूबे किसानों की आत्महत्या के आंकड़े खुद इस तथ्य की सच्चाई बयाँ करते हैं। किसानों की इस दयनीय हालात से देश पर सबसे अधिक समय तक सत्ता में रहने का गौरव प्राप्त करने वाली कांग्रेस अनजान हो ऐसा भी नहीं है। यही कारण है कि वो कांग्रेस जब 70 सालों बाद देश से अपने लिए वोट मांगती है तो सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी का वादा करती है। यह अलग खोज का विषय है कि जिन राज्यों में वो ...
कोरोना कहर से बदली जिन्दगी को स्वीकारें

कोरोना कहर से बदली जिन्दगी को स्वीकारें

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कोरोना महासंकट ने हमारी सोच एवं संवेदना ही नहीं बदली बल्कि हमारा सम्पूर्ण जीवन बदल दिया है। जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा और लोकतंत्र व्यवस्था में सबसे बड़ा राष्ट्र, कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में अब तक सफल रहा हैं। हमने भी देशव्यापी लाॅकडाउन, सोशल डिस्टेंसिग, निजी स्वच्छता, संयम, आत्मबल जैसे उपायों से कोरोना वायरस के भयावह प्रसार को रोकने की कोशिश की है। सामुदायिक व्यवहार में इस संयम, स्व-विवेक, सादगी एवं अनुशासन के अभीष्ट परिणाम भी मिले हैं। जहां-जहां इन उपायों का कड़ाई से पालन किया गया है, वहां पर रोगियों की संख्या तथा मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। इसके विपरीत जहां इन उपायों का उल्लंघन या उनके पालन में ढिलाई बरती गई, वहां पर रोगियों की संख्या में तेजी देखी गई है। अब कोरोना असली चुनौती बन रहा है। अभी हमें पूरी सावधानी एवं सतर्कता बरतनी होगी, अन्यथा कोरोना क...