संसद में “धुँआ स्प्रे” आतंकी हमले से कम नहीं
तिथि का चयन और आतंकवादी पुन्नू की धमकी भी षड्यंत्र का हिस्सा
-- रमेश शर्मा
तेरह दिसम्बर को संसद के भीतर और बाहर रासायनिक धुँआ छोड़कर नारे लगाना साधारण नहीं है । यह वही तिथि है जिस दिन बाईस साल पहले संसद में आतंकवादी हमला हुआ था और अभी कुछ महीने पहले ही कनाडा में बैठे आतंकवादी पुन्नू ने संसद पर हमला करने की धमकी भी दी थी । और अब बिल्कुल आतंकी हमले के अंदाज में यह घटना घटी ।घटना की प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आये है वे असाधारण है । ये लोग अकस्मात संसद नहीं पहुँचे थे । उन्होंने इसकी तैयारी महीनों पहले से की जा रही थी । आरोपी कई बार संसद भवन गये थे । उन्होंने संसद में जाँच का तरीका समझा, रास्ते समझे और यह भी कि दर्शक दीर्घा के किस कोने से कूदना आसान है । इतना करके फिर धुँये से हमला करने की तैयारी हुई । हमले के लिये तेरह दिसम्बर की तिथि का निर्धारण हुआ । इनके बीच समय का प्रबंधन ...