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39 करोड़ मरीज, हर साल 30 लाख मौतें, सांसों की इस घातक बीमारी के लिए कौन जिम्मेवार?

39 करोड़ मरीज, हर साल 30 लाख मौतें, सांसों की इस घातक बीमारी के लिए कौन जिम्मेवार?

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क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) एक ऐसी बीमारी है जो हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रही है। वहीं अनुमान है कि दुनिया की पांच फीसदी आबादी इस बीमारी से पीड़ित है By Lalit Maurya  निम्न और मध्यम आय वाले देशों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) के 30 से 40 फीसदी मामलों के लिए धूम्रपान जिम्मेवार है; फोटो: आईस्टॉक क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) एक ऐसी बीमारी है जो हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रही है। वहीं अनुमान है कि 39.2 करोड़ लोग यानी दुनिया की करीब पांच फीसदी आबादी इस बीमारी का शिकार है। इनमें से तीन-चौथाई वो हैं जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रह रहे हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह क्या है?      विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक ध...
आज दिल जीते हैं, कल फिर कप जीतेंगे।

आज दिल जीते हैं, कल फिर कप जीतेंगे।

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जन्म मरण के चक्र-सी है हार जीत लग रही। लड़े-भिड़े शौर्य से, आज नही तो कल सही।। कप जितने से बड़ी बात दिल जीतना होता है। क्रिकेट खत्म नही हो गया। 46 दिन में 45 दिन आप जीते हो। हमारी भारतीय टीम ने 2023 वर्ल्ड कप के अंदर 10 मैच जीते और आज फाइनल हारने पर 140 करोड़ हिंदुस्तानियों का दिल टूटा है। ऐसे हम दो कप जीत चुके। 2027 में फिर मेहनत करेंगे और हम जीतेंगे। हार जीत तो लगी रहती है। लेकिन पूरे वर्ल्ड कप में इण्डियन टीम का प्रदर्शन अच्छा रहा है। फाइनल में हम नहीं जीत पाये कोई बात नहीं। फिर आगे जीतेंगे। मोहब्बत तुम्हारे लिए नीली टी-शर्ट वाले लड़को। ये दिल हर बार ब्लू-ब्वायज़ के लिए ही धड़केगा। निरंतर बेहतरीन खेल दिखाने वाली हमारी भारत टीम को ढेरों बधाइयाँ। आपने लगातार शानदार खेल खेलकर उत्साह और उमंग के साथ भारत को आगे बढ़ाया। हम अपने खिलाड़ियों को रोते हुए नहीं देख सकते। रोकें ये आंसू। खेल ...
<strong>क्यों जरूरी है नोएडा एयरपोर्ट का जल्दी शुरू होना</strong>

क्यों जरूरी है नोएडा एयरपोर्ट का जल्दी शुरू होना

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क्यों देश को इंतजार है नोएडा एयरपोर्ट शुरू होने का आर.के. सिन्हा अगर सब कुछ योजना के चलता रहा तो उत्तर प्रदेश के जेवर में तेजी से बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पहली उड़ान अगले साल मार्च के महीने में अपने सफर पर चली जाएगी। यानी अब छह से भी कम महीनों का वक्त बचा है, इसे शुरू होने में। पहले कहा जा रहा था कि यहां से पहली फ्लाइट साल 2024 के अंत में ही उड़ान भरेगी। नोएडा एयरपोर्ट जितना जल्दी शुरू हो जाए उतना ही भारत आने और यहां से जाने वाले करोड़ों मुसाफिरों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर होगी। भारत सरकार का उड्डयन एवं गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार मिल कर कोशिश कर रहे हैं ताकि नोएडा एयरपोर्ट वक्त से पहले ही शुरू हो जाए। नोएडा एयरपोर्ट का तुरंत बनना इसलिए भी जरूरी है ताकि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आईजीआई) को यात्रियों की भीड़ से बचाया जा सके। इधर भी...
डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

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देशभर में खासकर गांवों में बिना जरूरी डिग्री वाले डॉक्टरों की भरमार है। कोई तीन-चार साल तक मेडिकल स्टोर पर काम करने के बाद डॉक्टर बन जा रहा है, तो किसी के पूर्वज इलाज करते आ रहे हैं। ये लोग मरीजों को दर्द निवारक दवाएं व इंजेक्शन की बदौलत तुरंत आराम तो दिला देते लेकिन इसका दुष्प्रभाव मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। ये झोलाछाप डॉक्टर (वे डॉक्टर जो न तो पंजीकृत हैं और न ही उनके पास उचित डिग्री है) नकली दवाओं के साथ इलाज कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है। ऐसा भी देखा गया है कि कई झोलाछाप डाक्टर नशे के व्यापार से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में गावों में चल रहे ये क्लीनिक नशेड़ियों की पौध को पैदा करने में जुटे हुए है। मगर देश भर में प्रशासन को जानकारी के बावजूद इन पर नकेल कसने की कोई कार्रवाई अंजाम नहीं दी जाती। -प्रियंका सौरभ पूरी दुनिया में डॉक्टर भगवान् के रूप में लोगों को नज़र आये है और ...
भारतीय अर्थ जगत में स्वत्व बोध के परिणाम दिखाई देने लगे हैं

भारतीय अर्थ जगत में स्वत्व बोध के परिणाम दिखाई देने लगे हैं

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भारतीय अर्थव्यवस्था आज न केवल विश्व में सबसे अधिक तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है बल्कि विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन गई है। वर्ष 1980 में चीन द्वारा लागू किए गए आर्थिक सुधारों के चलते चीन की अर्थव्यवस्था भी सबसे तेज गति से दौड़ी थी और चीन के आर्थिक विकास में बाहरी कारकों (विदेशी व्यापार) का अधिक योगदान था परंतु आज भारत की आर्थिक प्रगति में घरेलू कारकों का प्रमुख योगदान है। भारत का घरेलू बाजार ही इतना विशाल है कि भारत को विदेशी व्यापार पर बहुत अधिक निर्भरता नहीं करनी पड़ रही है। वैसे भी, वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों, विकसित देशों सहित, की आर्थिक स्थिति आज ठीक नहीं है एवं इन देशों के विदेशी व्यापार सहित इन देशों के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर भी कम हो रही है। भारत के आर्थिक विकास की वृद्धि दर तेज करने के सम्बंध में घरेलू कारकों में भारत के नागरिकों द्वार...
क्या है विपक्षी एकता का भविष्य?

क्या है विपक्षी एकता का भविष्य?

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-बलबीर पुंज राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के परिणाम क्या होंगे? यह 3 दिसंबर की मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएगा। उस दिन यह भी पता चल जाएगा कि आई.एन.डी.आई. गठबंधन का भविष्य क्या हो सकता है? एक बात स्पष्ट है कि इस विपक्षी गठजोड़ को लोकसभा चुनाव से पहले कई चुनौतियों से पार पाना होगा। कुछ दिन पहले जो विपक्षी कुनबा आई.एन.डी.आई.ए. की पताका तले ‘एकता’ की बात करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने रहे थे, उनका सिर-फुटव्वल वर्तमान विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर सड़क पर आ गया। मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी गठबंधन करना चाहती थी। इसपर कांग्रेस ने मुंह मोड़ लिया। तब सपा ने न केवल 70 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए, अपितु पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी चुनावी सभाओं में अन्य विरोधियों की भांति कांग्...
राम आ रहे हैं

राम आ रहे हैं

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भगवान श्री राम मन्दिर के विध्वंस जो आततायी बाबर ने किया था, क्या ऐसा लगता है कि यह विध्वंस भी इतनी सहजता से कर दिया गया होगा। मानो सब प्रतीक्षा कर रहे हों कि एक मुगल आये और तोपखाने की मुँह मन्दिर की प्राचीरों की ओर करके उसे ध्वंस करे? और यह सब कुछ देखकर शेष लोग तालियाँ बजाएंगे? इतिहासकारों ने कुछ ऐसा ही पढ़ाया और सिखाया। बचपन से यही तथ्य पढ़ती आयी हूँ कि, मुगल ऐसे थे वैसे थे। उनका कोई सामना करने वाला नहीं था।परन्तु फिर जब उनके विषय में तर्क और प्रतिप्रश्न रखती हूँ तो बड़के इतिहासकार जी भी बगलियाँ झाँकने लगते हैं। क्यों भई?जब मुगल बाबर इतना ही महान था, जो जनता को विश्वास में लेकर राम मन्दिर विध्वंस किया, जिसका कोई विरोध न हुआ(आपकी मान्यता अनुसार) तो वही बाबर अपने जीवन का मात्र चार ही वर्ष भारत में क्यों रहने पाया?उसके बाद तो उसे भी जन्नत की हूरें सुपुर्द हुई। बाबर का गुणगान इसलिये हु...
नोटा के उपयोग के कुछ नुक्सान भी हैं – 100 प्रतिशत मतदान से चुने गए प्रतिनिधियों की गुणवत्ता उच्चस्तर की होगी

नोटा के उपयोग के कुछ नुक्सान भी हैं – 100 प्रतिशत मतदान से चुने गए प्रतिनिधियों की गुणवत्ता उच्चस्तर की होगी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
भारत आज वैश्विक पटल पर एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है एवं भारत विश्व को कई क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में भी आ गया है। कुछ देश (चीन एवं पाकिस्तान सहित) भारत की इस उपलब्धि को सहन नहीं कर पा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर समस्त विघटनकारी शक्तियां मिलकर भारत को तोड़ना चाहती हैं। इन विघटनकारी शक्तियों द्वारा भारत में जातीय संघर्ष खड़ा करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। जबकि भारत के कई सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संगठन समस्त भारतीय समाज में एकजुटता बनाए रखना चाहते हैं ताकि भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु बनाया जा सके। परंतु, आज  विघटनकारी शक्तियों के निशाने पर मुखर रूप से हिंदुत्व, भारत एवं संघ आ गया है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने स्वयंसेवकों में राष्ट्रीयता का भाव विकसित किया है। संघ के स्वयंसेवक समाज की सज्जन शक्ति के साथ मिलकर समाज मे...
चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति

चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
समाचार पत्र और यहां तक कि लेखकों को भी अस्तित्व बचाने के लिए गूगल व फे़सबुक को मात देना होगा। बदहाल होती स्थिति पर सवाल यह है- वे ऐसा कैसे करेंगे? सबसे महत्वपूर्ण कारक है न्यूज़ कैरियर की बढ़ोत्तरी- गूगल, फे़सबुक और बाकी दूसरे। एक तरफ वे किसी अन्य द्वारा उत्पादित समाचार ले लेते हैं और दूसरी तरफ वे समाचार पत्रों की आजीविका-राजस्व को हड़प लेते हैं। इनसे ज्यादा बदतर स्थिति में अखबारों के लिए लिखने वाले लेखक है जो आए दिन पूरी मेहनत करते है लेकिन मेहनताना देखे तो समुंदर में मोती मिल जाए मगर लेखकीय सहयोग नहीं।  कारण इंटरनेट पर सामग्री की भरमार के फलस्वरूप अखबार कहीं से भी कुछ उठाते है और चस्पा कर देते है। ऐसे में न लेखक की जरूरत और न ही लेखकीय सहयोग का झंझट। इसी के चलते पत्रकारिता आज शातिर दिमाग वालों के लिए धंधा बन गई है जो पच्चास सौ कॉपी छपवाते है या डिजिटल एडिशन निकाल...
मध्यपूर्व का संकट और भारत

मध्यपूर्व का संकट और भारत

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
अरब-इस्लामिक समिट में अल्जीरिया प्रस्ताव लाया कि मित्र देश से सारे इस्लामिक देश राजनयिक-व्यापारिक सम्बन्ध तोड़ दें जिसे सऊदी-UAE समेत अन्य देश ने खारिज कर दिया। प्रस्ताव में कहा गया कि मित्र देश के साथ इस्लामिक देश सभी तरह के राजनयिक और आर्थिक संबंध खत्म कर लें और उसकी उड़ानों का अरब हवाई क्षेत्र से इस्तेमाल बैन कर दें। साथ ही अपने तेल निर्यातक देश होने का फायदा उठाएं और दुनिया को भी इसके लिए मजबूर करें जिसे सऊदी अरब, UAE, जॉर्डन, इजिप्ट, बहरीन, सूडान, मोरोक्को आदि ने खारिज कर दिया। ये सब अल्जीरिया तुर्की के और तुर्की चीन के कहने पर करवा रहा था ताकि मित्र देश से होकर गुजरने वाला इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर बर्बाद हो जिससे इसके BRI को फायदा मिले जहां से अब देशों ने अलग होना शुरू कर दिया है। इससे पहले UN में प्रस्ताव आया था जिसपर ये कहा गया था कि मित्र देश, ईस्ट पेलो और गोल्...