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CAN WE CHANGE DELHI – YES. WE CAN

CAN WE CHANGE DELHI – YES. WE CAN

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Every other day we all read these type of news in Times of India and a few of those headlines I am quoting below:- Don’t wait for LG nod, act on copy of files – directive from Delhi Home Minister Speaker to officers : Ignore LG’s order Corporation fights over who owns Civic Centers. After frequent cases of rape Delhi gets a tag of India’s “stalking Capital”. Garbage piled up on the streets. – open invite to diseases. Water –Water everywhere after one hour of rain Drainage system clogged  up. Lack of co-ordination between DDA & Delhi Govt. in acquisition proceedings, release of compensation, receipt of land, etc: Delhi is the most Polluted City. On appointment of member secretary of Delhi Commission for Women – Our CM called honorable Lt. Gov...
“वैदिक काल” का अध्ययन

“वैदिक काल” का अध्ययन

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वैदिक सभ्यता को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ माना जाता हैं। वैदिक काल 1500 ई.पू से 600 ई.पू  तक माना जाता हैं। वैदिक काल को भी दो भागों में विभाजित किया गया है पहला 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. तक के काल को ऋग्वेदिक काल जाता है, इस काल में ही विश्व के सबसे प्राचीन माने जाने वाला ग्रंथ ऋग्वेद की रचना हुई थी तथा बाकी के तीन वेद यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की रचना उत्तरवैदिक काल में हुई थी जिसका काल 1000 ई.पू. से 600 ई.पू. माना जाता हैं ऋग्वेदिक काल( 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू.) इस काल की जानकारी ऋग्वेद से प्राप्त होती हैं   मैक्स मूलर के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था। आर्य प्रारंभ में ईरान गए वहाँ से भारत आए।आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता ग्रामीण थी तथा उनकी भाषा संस्कृत थी।इस काल की सबसे पवित्र नदी सरस्वती नदी थी जिसे नदियों की माता कहा जाता था। ऋग्वेदिक काल में प्रशासनिक...
अनचाही बेटियाँ

अनचाही बेटियाँ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
हम एक लिंगभेदी मानसिकता वाले समाज हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों में फर्क किया जाता है. यहाँ लड़की होकर पैदा होना आसान नहीं है और पैदा होने के बाद एक औरत के रूप में जिंदा रखन भी उतना हीचुनौतीपूर्ण है. यहाँ बेटी पैदा होने पर अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों की ख़ुशी काफूर हो जाती है. नयी तकनीक ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है अब गर्भ में बेटी हैया बेटा यह पता करने के लिए कि किसी ज्योतिष या बाबा के पास नहीं जाना पड़ता है इसके लिए अस्पताल और डाक्टर हैं जिनके पास आधुनिक मशीनें है जिनसे भ्रूण का लिंग बताने में कभी चूक नहीं होती है. आज तकनीक ने अजन्मे बच्चे की लिंग जांच करवा कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने को बहुत आसान बना दिया है. भारतीय समाज इस आसानी का भरपूर फायदा उठा रहा है, समाज में लिंग अनुपात संतुलन लगातार बिगड़ रहा है. वर्ष 1961 से लेकर 2011 तक की जनगणना पर नजर डालें तो यह बात साफ तौर पर उभ...
स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

Today News, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हिंदी कहानी और पत्रकारिता में गीताश्री का नाम किसी के लिए भी नया नहीं हैं। गीताश्री की कहानियां आज हिंदी कहानी क्षेत्र के आकाश पर छाई हुई हैं। उनकी कहानियों में स्त्री विमर्श अपने हर रूप में है। कभी वह 'गोरिल्ला प्यार’ के रूप में है तो हालिया प्रकाशित 'डाउनलोड होते हैं सपने’ में सपनों की नई परिभाषा के रूप में। गीताश्री के पास पत्रकारिता के अनुभवों के साथ स्त्री अनुभवों का भी अथाह संसार है। गीताश्री के विचार कभी आराम नहीं करते, वे विराम नहीं लेते हैं। गीताश्री चलते रहने में भरोसा करती हैं। गीताश्री की कविता 'जितना हक’, 'औरत की बोली’, 'स्त्री आकांक्षा के मानचित्र’, 'नागपाश में स्त्री’, 'सपनों की मंडी’ (आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित), '23 लेखिकाएं और राजेन्द्र यादव’ (सम्पादन), 'प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियां’, 'स्वप्न साजि़श और स्त्री’ तथा 'डाउनलोड होते हैं सपने’ पुस्तकें बाज़ार मे...
क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

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लोगों के लिए, लोगों के द्वारा, लोगों की सरकार’- यह लोकतंत्र की सर्वमान्य परिभाषा है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया - लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। लोकनियोजन, लोकनीति, लोकस्वामित्व, लोकअभिव्यक्ति और लोक उम्मीदवारी - ये लोकतंत्र के प्रमुख प्रभावी पांच लक्षण है। लोक के साथ तंत्र का सतत् संवाद, सहमति, सहयोग, सहभाग, सहकार और सदाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था संचालन के छह सूत्र हैं। यदि लोकतंत्र के उक्त तीन जोड़, चार स्तंभ, पांच लक्ष्ण और छह सूत्र सक्रिय व सुविचारित रूप से मौजूद हों, तो समझना चाहिए कि व्यवस्था सुचारु और लोकतांत्रिक है। यदि ऐसा न हो तो लोक घाोषणापत्र, लोक निगरानी और लोक-अंकेक्षण, लोक को नियंत्रित करने के तीन औजार हो सकते हैं और लोकउम्मीदवारी तंत्र में लोक के कब्जे का एक सर्वोदयी विचार। सोचिए! क्या हमारी पंचायत और ग्रामसभा के बीच, निगम और मोहल्ला समितियों के बीच सतत् औ...
नोटबंदी, काला धन और आयकर विभाग

नोटबंदी, काला धन और आयकर विभाग

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नोटबंदी के बाद देश के विभिन्न बैंकों के खातों में जमा अघोषित धनराशि से काला धन के हिस्से निकालने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक नायाब तरीका अपनाया है। इसके तहत कर अधिकारी को किसी के दरवाजे पर जाने की जरूरत नहीं है और अघोषित आय रखने वाला खुद ब खुद टैक्स डिपार्टमेंट के ऑनलाइन फॉर्म को भरते हुए स्वेच्छा से अघोषित आय को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में जमा कर देगा। इस प्रक्रिया के तहत जिस किसी ने भी नोटबंदी के बाद बैंकों में चलन से हटाए गए नोटों में बेहिसाब पैसा जमा कराया है, वैसे लोगों की छंटनी कर आयकर अधिकारी उन्हें एक ऑनलाइन फॉर्म भरने को कहेंगे। यह फॉर्म एक तरह का नोटिस है जो है तो बेहद छोटा लेकिन इसमें बहुत ही कुशलता से प्रश्न पूछे गए हैं। इन प्रश्नों के पूरे जवाब देने की प्रक्रिया में एक करवंचक स्वयं अपने काले धन का खुलासा करने को मजबूर हो जाएगा। आयकर अधिकारी अभी तक करीब 18 लाख ऐसे ...
ऑनलाइन ठगी का काला अध्याय

ऑनलाइन ठगी का काला अध्याय

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आजकल राष्ट्र में थोड़े-थोड़े अन्तराल के बाद ऐसे-ऐसे घोटाले, धोखाधड़ी के काण्ड या ठगी-भ्रष्टाचार के किस्से उद्घाटित हो रहे हैं कि अन्य सारे समाचार दूसरे नम्बर पर आ जाते हैं। पुरानी कहावत तो यह है कि 'सच जब तक जूतियां पहनता है, झूठ पूरे नगर का चक्कर लगा आता है।’ इसलिए शीघ्र चर्चित प्रसंगों को कई बार इस आधार पर गलत होने का अनुमान लगा लिया जाता है। पर यहां तो सभी कुछ सच है। घोटाले-धोखाधड़ी झूठे नहीं होते। हां, दोषी कौन है और उसका आकार-प्रकार कितना है, यह शीघ्र मालूम नहीं होता। तो फिर यह प्रकरण इतना जल्दी क्यों चर्चित हुआ? सच जब अच्छे काम के साथ बाहर आता है तब गूंंगा होता है और बुरे काम के साथ बाहर आता है तब वह चीखता है। सोशल ट्रेड के नाम पर देशभर के लोगों से मोटा पैसा लेने और फिर चेन सिस्टम के माध्यम से इसे फैलाकर अरबों रुपए वसूलने वाली नोएडा की एक सोशल ट्रेड कम्पनी के गोरखधंधे का भण्डाफोड़ हो...
दुर्लभ मानव जीवन उजले-उजले संकल्प करने के लिए है

दुर्लभ मानव जीवन उजले-उजले संकल्प करने के लिए है

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राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने आधारभूत नवाचार और उत्कृष्ट पारम्परिक ज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 55 लोगों को सम्मानित किया। श्री मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित नवप्रवर्तन उत्सव के दौरान इन सभी लोगों को सम्मानित किया। इनमें से सबसे प्रमुख गुजरात के 82 वर्षीय भंजीभाई मथुकिया को कृषि से संबंधित कई नए तरीके विकसित करने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। इस मेले में हिस्सा लेने वाले वैज्ञानिक नहीं हैं लेकिन वे ऐसे खोजकर्ता हैं जिन्होंने अपनी खुद की जरूरत या अपने आसपास की समस्या के निदान के लिए अनोखी खोजें कर डाली। जैसे बिना बिजली से चलने वाली फ्रिज, क्ले वाटर फिल्टर, गर्मी में उगने वाले सेब की किस्म, मरीजों के नहाने के लिए कुर्सी, कूड़ा उठाने वाली मशीन आदि। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की तरफ से आयोजित नवप्रवर्तन उत्सव में 55 से भी ज्यादा जमीनी इनोवेटरों ने हिस्...
SAVDHAN INDIA AND DASTAK

SAVDHAN INDIA AND DASTAK

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(All that is necessary for evil to succeed is, for good men to do nothing---Edmund Burke.) (By Dr V S Karnik)(Dec 2014) After watching FIFA football matches for a month at night regularly, once the matches were over, there was nothing much for me to watch on TV. Suddenly, I came across two TV serials, based on real crime stories in India. The names of these serials are “Sawadhan India” and “Dastak. “, showing real crime cases of India. The meaning of “Sawadhan India” is to alert people, as somewhere crime is taking place. “Dastak” means that, a criminal, before actually committing a crime, gives some indications about the impending crime, by his pattern of behaviour. Dastak is equivalent to indications of what is going to happen. These real stories and the headings kept me thinking...
Why is Indian media supporting China’s claims over Indian territory?

Why is Indian media supporting China’s claims over Indian territory?

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[The publication of pro-China articles by the India media raises two questions: First, why are Indian journalists propagating stories planted by Beijing? Second, can the Chinese be trusted even after they have signed a deal?] In 2003, the Central Military Commission (CMC) of the Communist Party of China approved a ‘guiding conceptual umbrella’ for information operations of the People’s Liberation Army (PLA).   It was called the ‘Three Warfares’.   It was based on three strategies or ‘Warfares’, each mutually reinforcing the two others: (1) the coordinated use of strategic psychological operations;   (2) overt and covert media manipulation; and   (3) legal warfare designed to manipulate strategies, defence policies, and perceptions of target audiences abroad.   N...