Shadow

TOP STORIES

विकास की नई सोच बनानी होगी

विकास की नई सोच बनानी होगी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
हाल ही में एक सरकारी ठेकेदार ने बताया कि केंद्र से विकास का जो अनुदान राज्यों को पहुंचता है, उसमें से अधिकतम 40 फीसदी ही किसी परियोजना पर खर्च होता है। इसमें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, संबंधित विभाग के सभी अधिकारी आदि को मिलाकर लगभग 10 फीसदी ठेका उठाते समय अग्रिम नकद भुगतान करना होता है। 10 फीसदी कर और ब्याज आदि में चला जाता है। 20 फीसदी में जिला स्तर पर सरकारी ऐजेंसियों को बांटा जाता है। अंत में 20 फीसदी ठेकेदार का मुनाफा होता हैै। अगर अनुदान का 40 फीसदी ईमानदारी से खर्च हो जाए, तो भी काम दिखाई देता है। पर अक्सर देखने  आया है कि कुछ राज्यों मेें तो केवल कागजों पर खाना पूर्ति हो जाती है और जमीन पर कोई काम नहीं होता। होता है भी तो 15 से 25 फीसदी ही जमीन पर लगता है। जाहिर है कि इस संघीय व्यवस्था में विकास के नाम पर आवंटित धन का ज्यादा हिस्सा भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाता है। जबकि हर प्रधानमंत्री भ...
Open letter to Shehla Rashid from a Kashmiri Hindu

Open letter to Shehla Rashid from a Kashmiri Hindu

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
I am Aditya Tikoo. It was the morning of 19th January 1990. I (then 5) was playing with my mother on the bed. She was 7 months pregnant. She took me in her lap and asked – “what do you want – baby brother or sister?”. “Brother” – I replied. She kissed my forehead and held her hand on my head in affection.   Suddenly we heard a noise outside. It was some mob that was nearing our house. It kept getting noisy with each moment. My father who had gone outside rushed into the house and came to our room. I saw his eyes full of fear for the first time. He was a school master in Srinagar. “They are coming”, he said.   I felt my mother’s grip around me was tightened suddenly. I looked at her face. She fainted. I asked, what happened? She almost cried, said- nothing Bachcha. She covered me with h...
देश अपना-प्रदेश पराया

देश अपना-प्रदेश पराया

addtop, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य
देश के विभाजन की त्रासदी सात दशक बाद भी जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे लाखों हिन्दू शरणार्थियों को अभी भी झेलनी पड़ रही है। यह तो सर्वविदित ही है कि  भारत - पाक विभाजन के समय सन 1947 में  सांप्रदायिक दंगो के चलते  पाकिस्तान में अपना सब कुछ गवां कर आये हिन्दू-सिख भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बसे थे। बहुत बड़ी संख्या में ये शरणार्थी आज भारत में सामाजिक व सरकारी सहयोग से संपूर्ण नागरिक अधिकारों के साथ सम्मान से रह रहें है। यहां तक की अनेक उच्च पदों को सुशोभित करने के  अतिरिक्त इन लोगों में से ही श्री इंद्रकुमार गुजराल व डॉ मनमोहनसिंह प्रधानमंत्री व श्री लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री भी बनें।परंतु खेद यह है कि जो लोग अपनी जान बचाने के लिए जम्मू -कश्मीर के क्षेत्रो में चले गये वे आज तक दासों का जीवन जीने को विवश है। पिछले समाचारों के अनुसार विभाजन के समय लगभग 2 लाख शरणार्थी जम्मू ...
माँग का सिन्दूर और उसकी उपयोगिता

माँग का सिन्दूर और उसकी उपयोगिता

addtop, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
माँग में सिन्दूर लगाने की प्रथा अति प्राचीन है । सौभाग्यवती महिलाओं के सोलह श्रृृंगार में से एक श्रृंगार माथे पर माँंग में सिन्दूर लगाना भी है। हमारे समाज में वैदिक रीति की विवाह पद्धति में मंडप में कन्यादान विधि संपन्न्ा होने के बाद वर, वधू की माँग में सिन्दूर लगाता है तथा उसे मंगल सूत्र पहनाता है। इसके पश्चात कन्या अखण्ड सौभाग्यवती कहलाती है । सिन्दूर भारतीय समाज में पूजन-सामग्री का एक प्रमुख घटक है । देवी पूजन में माँ पार्वती, माँ दुर्गा के नौ रूप, माँ सीता तथा अन्य शक्ति स्वरूपा माताओं के पूजन में सिन्दूर का अपना एक विशेष महत्व है । देवी पूजन में सिन्दूर सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। आज भी नवविवाहिता अपनी मांग के अंदर सिंदूर बड़ी कुशलता पूर्वक लगाती है । सिन्दूर लगाने की प्रथा दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है । सिन्दूर माँ लक्ष्मी का भी प्रतीक है । इसीलिये गृह-लक...
जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम

जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
यदि हमारी खेती प्रमाणिक तौर पर 100 फीसदी जैविक हो जाये, तो क्या हो ? यह सोचते ही मेरे मन में सबसे पहले जो कोलाज उभरता है, उसमें स्वाद भी है, गंध भी, सुगंघ भी तथा इंसान, जानवर और खुद खेती की बेहतर होती सेहत भी। इस चित्र के लिए एक टेगलाइन भी लिखी है - ''अब खेती और किसान पर कोई तोहमत न लगाये कि मिट्टी, भूजल और नदी को प्रदूषित करने में उनका भी योगदान है।''   अभी यह सिर्फ एक कागज़ी कोलाज है। ज़मीन पर पूरी तरह कब उतरेगा, पता नहीं। किंतु यह संभव है। सिक्किम ने इस बात का भरोसा दिला दिया है। उसने पहल कर दी है। जब भारत का कोई राज्य अपने किसी एक मण्डल को सौ फीसदी जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में कोई राज्य 100 फीसदी जैविक कृषि राज्य होने का दावा करे; यह बात हजम नहीं होती। लेकिन दावा प्रमाणिक है, तो शक करने का कोई विशेष कारण भी नहीं बनता।    100 फीसदी जैविक कृषि राज्य सिक्...
अखिलेश सरकार का एक और बड़ा रू. १७३५ करोड़ का घोटाला

अखिलेश सरकार का एक और बड़ा रू. १७३५ करोड़ का घोटाला

addtop, Today News, TOP STORIES, घोटाला
अखिलेश यादव-नवनीत सहगल सिंडिकेट का एक और बड़ा खेल ! लखनऊ-आगरा इक्स्प्रेस्वे बड़ा zaघोटाला है उसी तरह 'दिल्ली-यमनोत्री' स्टेट हाइवे ( SH-57:206 km) लागत रु. 1735 करोड़ में SEW नामक हैदराबाद की निर्माण कम्पनी पैसा लेकर भागी। उत्तर प्रदेश में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग की दूरी १७०.३ कि. मी. है.... अखिलेश सरकार का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस हाइवे का काम 'उपशा (UPSHA- Uttar Pradesh State Highways Authority)' द्वारा PPP(Private-Public Partnership) के आधार पर बनाने के किए ठेके के रूप में April, २०१२ को दिया गया था, अखिलेश यादव ने मार्च २०१२ की शपथ ली थी। कम्पनी द्वारा बैंक से ऋण लिया गया तथा धीमी गति से काम शुरू किया क्योंकि कम्पनी की काम पूरा करने की न नियत थी और न ही छमता। उपशा का अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व CEO अखिलेश (व मायावती का भी) प्रिय IAS अधिकारी नवनीत सहगल है। ठेकेदार कम्पनी SEW ...
नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

addtop, BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
कल पटना से दिल्ली की ओर बढ़े तो सोचा कि क्यों न कुछ दर्शनीय स्थानों को देखते चलें। एक-दो वरिष्ठ रिश्तेदारों और बिहार में पोस्टेड दोस्तों से सलाह ली; बिहार का नक्शा उठाया और अपने भीतर के कोलंबस को जगाकर रास्ता निर्धारित किया। योजना बनी कि पहले दिन नालंदा, पावापुरी, राजगीर, गहलौर और बोधगया को कवर किया जाए। वक़्त की कमी के चलते पावापुरी और गहलौर ठीक से नहीं देख पाए, पर बाकी तीन जगहों को ठीक से 'जिया'।पहला पड़ाव था- नालंदा। मेरे मन में उसकी छवि यही थी कि वह गुप्त काल में विकसित हुआ एक शानदार विश्वविद्यालय था जिसमें पढ़ने की आकांक्षा लेकर देश-विदेश के बड़े-बड़े जिज्ञासु और शोधार्थी खिंचे चले आते थे। एक बात और सुनी हुई थी कि जब बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट करने के लिये इसकी लाइब्रेरी में आग लगाई थी तो करीब 6 महीनों तक आग जलती रही थी। दंतकथाओं में अक्सर अतिशयोक्तियाँ शामिल हो जाती हैं - इस तर्क से 6 महीन...
देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल

देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल

addtop, Today News, TOP STORIES, राज्य
बीजेपी महाराष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। कड़ी मेहनत, समर्पण और जमीन पर काम करने की वजह से पार्टी अब शहरी और ग्रामीण महाराष्ट्र में मजबूत शक्ति बन गई है। लोगों ने भाजपा के विकास और अच्छी गवर्नेंस पर भरोसा जताया है। यह 2017 की शानदार शुरुआत है। पार्टी ने ऐसे क्षेत्रों में भी जीत हासिल की है जहां अतीत में वो कभी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी थी। पहले ओडिशा में अभूतपूर्व समर्थन और अब महाराष्ट्र के लोगों की असीम शुभकामनाएं। मैं हर एक भारतीय को भाजपा में लगातार विश्वास जताने के लिए धन्यवाद देता हूं। हम पूरी लगन से एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मैं महाराष्ट्र बीजेपी की पूरी टीम, सीएम देवेंद्र फणनवीस और राव साहब पाटिल (राज्य प्रमुख भाजपा) को लोगों के बीच अथक काम करने के लिए बधाई देता हूं। यह बाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के वोटर्स का शुक्रिया अदा करते हुए अ...
BLOOD DONATION – SOME FACTS

BLOOD DONATION – SOME FACTS

addtop, BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
Some Facts on Blood Donation An adult has about 5 liters of blood in the body.Typically, about 300 ml (anywhere between 200 and 450 ml) of blood is taken by a blood bank (depending on requirement) from a person.The blood donated is recouped by the body within 2 to 7 days.One unit of blood (about 450 ml) helps save 3 lives.This is because, the blood taken from a donor is separated into its components (Red cells, White cells, Plasma and Platelets), each of which can be transfused into the blood of a recipient, separately.It takes approximately 10 minutes to remove one unit of blood from the donor . Including the time taken for filling up a form prior to donation, a physical examination (BP and weight) of the donor and the time to relax after donating blood, the whole process can be completed...
कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

addtop, BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण
प्रकृति का एक नियम है कि हम उसे जो देंगे, वह हमें किसी न किसी रूप में उसे लौटा देगी। जो खायेंगे, पखाने के रूप में वही तो वापस मिट्टी में मिलेगा। सभी जानते हैं कि हमारे उपयोग की वस्तुएं जितनी कुदरती होंगी, हमारा पर्यावरण उतनी ही कुदरती बना रहेगा; बावजूद इसके दिखावट, सजवाट और स्वाद के चक्कर में हम अपने खपत सामग्रियों में कृत्रिम रसायनों की उपस्थिति बढ़ाते जा रहे हैं। गौर कीजिए कि कुदरती हवा को हम सिर्फ धुआं उठाकर अथवा शरीर से बदबूदार हवा छोड़कर खराब नहीं करते; ऐसी हज़ारों चीजें और प्रक्रियायें हैं, जिनके जरिये हम कुदरती हवा में मिलावट करते हैं। जिस भी चीज में नमी है; तापमान बढ़ने पर वह वाष्पित होती ही है। वाष्पन होता है तो उस चीज की गंध तथा अन्य तत्व हवा में मिलते ही हैं। होठों पर लिपस्टिक, गालों में क्रीम-पाउडर, बालों में मिनरल आॅयलयुक्त तेल-शैंपू-रंग, शरीर पर रासायनिक इत्र.. अपनी रोजमर्रा की ज...