लोकतंत्र के चुनावों में हिंसा एवं बेईमानी
लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है जिसके अन्तर्गत लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ है शासन। अब्राहम लिंकन के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा अत्यंत उपयुक्त ढंग से दी गई है जिसमें - ‘‘जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन‘‘ इसके विपरीत राजशाही तंत्र के अन्तर्गत एक ही व्यक्ति का शासन प्रमुख होता है। समाज के उत्थान के लिए ही लोकतंत्र का जन्म हुआ। इसका उद्देश्य है जनता का हित, जनता के द्वारा एवं जनता की आशाओं को पूर्णतया ईमानदारी एवं देशसेवा के भाव से क्रियान्वित किया जाए। उपरोक्त दोनों ही व्यवस्था अर्थात् लोकतंत्र एवं राजतंत्र के उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र में समायोजित नहीं हो पा रहे हैं। वर्तमान लोकतंत्र, राजतंत्र से भी निम्न स्तर पर पहुँच चुका है। इस सन्दर्भ में वर्तमान में, जनता का यह दृष्टिकोण हो गया है कि भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने में कदापि सफल नहीं हो सकता। इसके विपरीत...