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IRCTC to set up ticket-counter for air-tickets of private domestic airliners in Parliament Complex

IRCTC to set up ticket-counter for air-tickets of private domestic airliners in Parliament Complex

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It refers to media-reports indicating that Indian Railway Catering and Tourism Corporation (IRCTC) may be setting up a ticket-counter at Parliament complex to sell tickets of private airlines. This will be first such counter comforting private companies that too parallel to Air India counter operating till now to sell only Air India tickets. A Parliamentarian is entitled for 34 business-class air-tickets annually. Idea is not bad to comfort Parliamentarians. But he cost can and should be saved by IRCTC counter also selling Air India tickets thus abolishing need of a separate Air India counter. Moreover practice should be changed so that all those including Parliamentarians (except those requiring security) travelling through air may get only economy-class air-travel facility. Since bigges...
Time to reduce dependency on China

Time to reduce dependency on China

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The violent skirmishes at the Sino-India border has yet again sparked off calls to boycott imports from adversary country, China. The dependency on China must be superseded by self reliance. As usual, some pessimist leftist/secularists envisage that it is unfeasible. They supplement their prediction by sophistry and weak reasons and mis arguments. They hardly bother about the self pride of the 130 Crore nationalists country men’s pride. Additionally, they are unaware that government of India and Private sectors in the whole country have already resolved, and are endeavouring their level, to boycott China products or to reduce it to our minimum requirements. Initiating with road projects, no tender will be given to companies, having  any kind of partnership with Chinese ventures, to constru...
IIT Hyderabad uses artificial intelligence to study supply chain network of biofuels

IIT Hyderabad uses artificial intelligence to study supply chain network of biofuels

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New Delhi, Jul 02 (India Science Wire): Bio-derived fuels are gaining widespread attention among the scientific community across the world. The work on biofuels is in response to the global call for reducing carbon emissions associated with the use of fossil fuels. In India too, biofuels have caught the imagination of researchers.  For instance, researchers of the Indian Institute of Technology (IIT) Hyderabad have started using computational methods to understand the factors and impediments in incorporating biofuels into the fuel sector in India.  A unique feature of this work is that the framework considers revenue generation not only as an outcome of sales of the biofuel but also in terms of carbon credits via greenhouse gas emission savings throughout the project lifecycle. Th...
निजी स्कूल संचालको और शिक्षा माफियाओं के दबाव से हटकर ले स्कूल खोलने का फैसला

निजी स्कूल संचालको और शिक्षा माफियाओं के दबाव से हटकर ले स्कूल खोलने का फैसला

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कोरोना संकट के बीच में शिक्षा मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि राज्य सरकार चाहे तो जुलाई से स्कूलों को खोल सकती है। इसी बीच करीब 5 से ज्यादा राज्य सरकारों ने जुलाई से स्कूलों को खोलने के आदेश भी जारी कर दिए हैं मगर प्रश्न और चिंता की बात ये है कि क्या स्वास्थ्य मानकों को पूरा करते हुए स्कूल प्रबंधन स्कूल खोलने को तैयार है और पूरे देश भर में क्या जुलाई से खुलने वाले स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को भेजने को तैयार भी है या फिर वो इस वक्त अपने बच्चों के भविष्य और जान को लेकर असमंजस कि स्थिति में है.स्कूल खुले तो कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अभी लगातार कोरोना पॉजिटिव केस बढ़ रहे हैं। ऐसे बिगड़े हालात में अगर स्कूल खुले और बच्चों को विद्यालय भेजा गया तो संक्रमण फैलाव पर काबू पाना और भी मुश्किल हो जाएगा। अधिका...
डॉo एसo अनुकृति बनी विश्वबैंक में अर्थशास्त्री

डॉo एसo अनुकृति बनी विश्वबैंक में अर्थशास्त्री

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  वो कहते हैं न हौसले बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कामयाबी की छलांग लगाई जा सकती है। कुछ ऐसी ही कहानी है हरियाणा की अनुकृति की, अनुकृति ने ये साबित कर दिखाया है कि बेटियों की जिंदगी सिर्फ चूल्हा-चौके तक सीमित रखना अब पुरानी बात हो गई है। आज बेटियां हर क्षेत्र में अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रही हैं। गरीबों की पढ़ी-लिखी और आगे बढ़ीं चाहें वो देश की बेटी हिमा दास हो या फिर कुश्ती के मैदान में अपना परचम लहराने वालीं फोगाट सिस्टर्स। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि मुहिम है। हरियाणा की बेटियां ने विश्व में नाम रोशन कर भारत को गौरवान्वित किया है। सभी यदि बेटियों की नींव को मजबूत करने में सहयोग करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दोबारा से विश्व गुरु बन जाएगा। हरियाणा के नारनौल में 23...
मोर्चे पर महिलाओं के बढ़ते कदम

मोर्चे पर महिलाओं के बढ़ते कदम

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भारत में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमांडिंग ऑफिसर के स्तर तक उठने के समान अवसर के लिए रास्ता साफ कर दिया तो उधर पाकिस्तान में पहली महिला जनरल की खबर सुर्ख़ियों में है. दुनिया में आज हर क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़ रही है और ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर रही हैं. भारतीय इतिहास नारी की त्याग-तपस्या की गाथाओं से भरा पड़ा है। किसी युग में महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं रहीं। वैदिक युग में महिलाएं युद्ध में भी भाग लेती थीं। हालांकि, मध्यकाल के पुरुषवादी समाज ने नारी को कुंठित मर्यादाओं के नाम पर चार-दीवारी में कैद कर रखने में कोई कसर नहीं छोडी, परन्तु तब भी महिलाओं ने माता जीजाबाई और रानी दुर्गावती की तरह न केवल शास्त्रों से, अपितु शस्त्रों का वरण कर राष्ट्र की एकता और संप्रभुता की रक्षा की। वर्तमान में केवल भारतीय वायुसेना ही लड़ाकू पायलट ...
स्वामी विवेकानन्द थे भारतीयता की संजीवनी बूंटी

स्वामी विवेकानन्द थे भारतीयता की संजीवनी बूंटी

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महापुरुषों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका मानवहितकारी चिन्तन एवं कर्म कालजयी होता है और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। स्वामी विवेकानंद हमारे ऐसे ही एक प्रकाश-स्तंभ हैं, वे भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक एवं आध्यात्मिक सोच के साथ पूरी दुनिया को वेदों और शास्त्रों का ज्ञान देने वाले एक महामनीषी युगपुरुष थे। जिन्होंने 4 जुलाई 1902 को महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए थे। स्वामी विवेकानन्द का संन्यास एवं संतता संसार की चिन्ताओं से मुक्ति या पलायन नहीं था। वे अच्छे दार्शनिक, अध्येता, विचारक, समाज-सुधारक एवं प्राचीन परम्परा के भाष्यकार थे। काल के भाल पर कुंकुम उकेरने वाले वे सिद्धपुरुष हंै। वे नैतिक मूल्यों के विकास एवं युवा चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग ...