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Tag: “The burden of history: how long will our generations continue to bow down?”.

“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

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"इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" - प्रियंका सौरभ मुझे यह सोचकर पीड़ा होती है कि आज भी हमारे बच्चों को इतिहास के नाम पर मुग़ल शासकों की गाथाएँ पढ़ाई जाती हैं, जबकि चाणक्य, चित्रगुप्त और छत्रपति शिवाजी जैसे हमारे महान विचारकों और योद्धाओं को पाठ्यक्रम में पर्याप्त स्थान नहीं मिलता। मेरा मानना है कि इतिहास केवल जानने का विषय नहीं, बल्कि आत्मगौरव और पहचान का आधार है। मैं चाहता हूँ कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ें और उन्हें वह शिक्षा मिले जो उनके भीतर आत्मविश्वास और राष्ट्रभक्ति जगाए। “जय सनातन” मेरे लिए केवल नारा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है। "इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" “इतिहास केवल अतीत का आईना नहीं होता, वह आने वाली पीढ़ियों की दृष्टि का आधार भी होता है।” पर अफसोस, भारत के वर्तमान शैक्षणिक ढाँचे में यह आईना...