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Author: Dialogue India

अमेरिका में बन्दूक-संस्कृति पर नियंत्रण के प्रयास

अमेरिका में बन्दूक-संस्कृति पर नियंत्रण के प्रयास

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण, सामाजिक
-ः ललित गर्ग :- हिंसा की बोली बोलने वाला, हिंसा की जमीन में खाद एवं पानी देने वाला, दुनिया में हथियारों की आंधी लाने वाला अमेरिका जब खुद हिंसा का शिकार होने लगा तो उसकी नींद टूटी हैं। अमेरिका की आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी मुश्किल यही रही है कि यहां हिंसा इतनी सहज बन गयी है कि हर बात का जवाब सिर्फ हिंसा की भाषा में ही दिया जाने लगा। वहां हिंसा का परिवेश इतना मजबूत हो गया है कि वहां की बन्दूक-संस्कृति से वहां के लोग अपने ही घर में बहुत असुरक्षित हो गए थे। लंबे समय से बंदूकों की सहज उपलब्धता का खमियाजा उठाने के बाद वहां के लोगों ने अपने स्तर पर इसके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है और राष्ट्रपति जो बाइडेन को हथियारों के दुरुपयोग पर अंकुश से संबंधित कार्यकारी आदेश पर किये हस्ताक्षर करने को विवश होना पड़ा हैं। पिछले साल जून में भारी तादाद में लोगों ने सड़कों पर उतर कर बंदूकों की खरीद-बिक्...
WHY APEX COURT IN INDIA WASTING TIME ON SAME SEX MARRIAGE ?

WHY APEX COURT IN INDIA WASTING TIME ON SAME SEX MARRIAGE ?

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
N.S.Venkataraman  Thousands of litigations and cases are pending in lower , middle and apex courts in India for several years. Some of the cases have been pending for over ten years without judgement being delivered.   The ground reality is that after completion of hearing , judges take a long time to deliver the judgement. Apart from  this , stay orders are  frequently  given by the higher court over the judgement delivered by the lower courts .  Further,  several  hearings   are  delayed due to adjournment ,  etc. Apart from such issues  , one frequently heard complaint is that  the  cases are  entertained by the courts with regard to issues , which normally should be handled and disposed of  ...
20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रसन्नता का मतलब है-खुशी, आनंद, हर्ष, प्रफुल्लता। आज जीवन में हर तरफ आदमी को तनाव, अवसाद ने घेर रखा है, मनुष्य का मनोबल अच्छा नहीं रहता। मनुष्य नकारात्मकता वातावरण के बीच आपाधापी और दौड़-धूप भरा जीवन जी रहा है। आज आदमी के पास हरेक चीज़ उपलब्ध है लेकिन खुशी नहीं है। खुशी है तो शांति है।एक कहावत है ‘सौ दवा एक हवा, सौ हवा एक मुस्कान’। जैसे मुस्कुराता फूल सबका मन मोह लेता है उसी प्रकार हंसता चेहरा सबका प्यारा होता है। इसलिए जीवन में व्यक्ति को हमेशा प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए। वास्तव में, हर संभव स्थिति में शांत व संयमित रहना ही खुशी और संतुष्टि की कुंजी है। कठिन परिस्थितियों में भी शांति, संयम व समझदारी से व विवेक से काम लेने पर आदमी को अवश्य ही सफलता मिलती है। हमें दूसरों के प्रति हमेशा अच्छा, दयालु व मददगार होना चा...
एचआईवी सेल्फ-टेस्ट बिना विलंब एड्स कार्यक्रम में शामिल हो

एचआईवी सेल्फ-टेस्ट बिना विलंब एड्स कार्यक्रम में शामिल हो

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत – सीएनएस गर्भावस्था, डायबिटीज, कोविड-19 आदि के सेल्फ़-टेस्ट (आत्म-परीक्षण) भारत में उपलब्ध हैं और जन स्वास्थ्य और विकास के प्रति सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। एचआईवी सेल्फ-टेस्ट को भी उपलब्ध करवाना चाहिए जिससे कि जन स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित लाभ मिल सके। एचआईवी सेवाएँ मिलने के लिए जो ‘प्रवेश द्वार’ है वह एचआईवी टेस्ट है। भारत में हर 4 में से 1 एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति को यह पता ही नहीं है कि उसको एचआईवी संक्रमण है। एचआईवी सेल्फ-टेस्ट (आत्म-परीक्षण) - जिसे 98 देशों में एड्स कार्यक्रम में शामिल किया गया है और 52 देशों में उसको नियमित उपयोग किया जाता है - यदि इसको भारत में भी उपलब्ध करवाया जाये तो एचआईवी परीक्षण दर बढ़ सकती है, यह कहना है डॉ ईश्वर गिलाडा का, जो दिल्ली में आयोजित एचआईव...
हरियाणा कौशल भर्ती, अध्यापक परेशान, दूर स्टेशन, तनख्वाह जीरो समान।

हरियाणा कौशल भर्ती, अध्यापक परेशान, दूर स्टेशन, तनख्वाह जीरो समान।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
कौशल के नाम पर ढिंढोरा पीटती सरकार की सच्चाई है बेहद डरावनी. सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर मेरिट से भर्ती हुए अध्यापकों की स्थिति है बेहद चिंतनीय. 18000 से 20000 की नौकरी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और एचटेट पास उच्च शिक्षित युवा हुए बेघर. घर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर नौकरी पर भेजे. निगम ट्रांसफर के नाम पर एप्लीकेशन एकत्रित कर रहा बस, करता कुछ नहीं. पिछले तीन माह से तनख्वाह का एक भी पैसा नहीं आया. किरायेदार घर से निकाल रहे. मानसिक रोगों का शिकार हो रहे. भविष्य में पक्की नौकरी पर मुख्यमंत्री की ना. ऐसे में हरियाणा कौशल एक ड्रामा और समय की खपत नहीं तो और और क्या ? -प्रियंका सौरभ जी हाँ, हरियाणा सरकार की चर्चित योजना हरियाणा कौशल के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी बिलकुल ना खुश है. एक तरफ जहां सरकार हरियाणा कौशल के तहत भर्ती को अपनी कामयाबी का सबसे महत्वपूर्ण माइलस्टोन मानती है वही इस निगम के तहत भर्ती ...
डूबते अमेरिकी बैंक – भारत के लिए चेतावनी

डूबते अमेरिकी बैंक – भारत के लिए चेतावनी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
मेरे एक बैंकर मित्र श्री श्याम कस्तूरे इन दिनों अमेरिका में हैं। उनसे अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक,सिल्वर गेट और सिग्नेचर बैंक के डूबने पर लम्बी बात हुई, मित्र ने कुछ लिख भी भेजा। वस्तुतः: ये बैंक डूब चुके हैं, और यह घटनाक्रम भारत के लिए चेतावनी है । इन बैंकों के दिवालिया होने के बाद वहाँ के उन सभी छोटे अमेरिकी बैंकों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं, जिनका व्यवसाय इन बैंकों के साथ जुड़ा हुआ है। अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर की मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं। आर्थिक जगत के विद्वान अचंभित हैं। दुनियाभर के शेयर बाजार सहमे हुए हैं। बैंक के प्रदर्शन और क्रेडिट गुणवत्ता के आधार पर फरवरी, 2023 में सिलिकॉन वैली बैंक को फोर्ब्स ने 100 सर्वश्रेष्ठ बैंकों की वार्षिक सूची में शीर्ष 20 में स्थान दिया था। करीब 44 प्रतिशत तकनीकी और स्वास्थ्य क्षेत्र की कंपनियों के साथ कारोबार करने वाले इस बैंक के शेयर की क...
भोपाल में लगेगा तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद

भोपाल में लगेगा तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद

TOP STORIES, राष्ट्रीय
• अमृतकाल में भारत के स्वास्थ्य एवं मीडिया की भूमिका विषय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ करेंगे अमृत-मंथन नयी दिल्ली। स्वस्थ भारत (न्यास) अपने आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के साथ मिलकर ‘स्वास्थ्य संसद-2023’ का महाआयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 28, 29 और 30 अप्रैल को विश्वविद्यालय के भोपाल स्थित नए परिसर में होगा। देश भर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, चिकित्सकों व मीडियाकर्मियों का जुटान होगा।‘अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य और मीडिया की भूमिका’ विषय पर तीन दिनों तक अमृत मंथन चलेगा। अमृत-मंथन से निकले सार को देश के स्वास्थ्य संबंधित नीति-निर्धारकों के साथ साझा किया जाएगा। उक्त जानकारी स्वास्थ्य संसद के संयोजक व स्वस्थ भारत (न्यास) के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि यह आयोजन एमसीयू के कुलपति प्रो. के.जी सुरेश जी के कुशल मार्ग...
योगी सरकार का एक निर्णय और छद्म धर्मनिरपेक्ष बैचेन-मृत्युंजय दीक्षित

योगी सरकार का एक निर्णय और छद्म धर्मनिरपेक्ष बैचेन-मृत्युंजय दीक्षित

BREAKING NEWS, धर्म, राज्य
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के एक निर्णय से छद्म धर्मनिरपेक्ष दल बहुत बैचेन और व्यग्र हैं। चिंता में हैं कि अब उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का क्या होगा ? प्रदेश की राजनीति में अभी तक कहा जाता रहा है कि दिवंगत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव चरखा दांव चलाया करते थे लेकिन इस बार असली चरखा दांव योगी आदित्यनाथ जी ने चल दिया है और मुस्लिम तुष्टिकरण तथा जातिवादी नेताओं को चित्त कर दिया है। जो लोग रामचरित मानस जैसे दिव्य व पवित्र ग्रंथ की कुछ चौपाईयों का गलत अर्थ निकालकर हिंदू समाज में जातिभेद व विवाद उत्पन्न कर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने का प्रयास कर रहे थे अब सकते में हैं। ये लोग यह सोच रहे थे कि प्रदेश में भगवा लहर को सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के आस्था के केंद्रो और धर्मग्रंथों का दुष्प्रचार करके और प्रदेश की सामाजिक समरसता का वातावरण दूषित करके रोका जा सकता है।प्रदे...
काश प.पू. डाक्टर जी के जंगल सत्याग्रह के निष्कर्ष सर्वमान्य रूप से स्वातंत्र्योत्तर भारत में लागू होते-रमेश कुमार शर्मा

काश प.पू. डाक्टर जी के जंगल सत्याग्रह के निष्कर्ष सर्वमान्य रूप से स्वातंत्र्योत्तर भारत में लागू होते-रमेश कुमार शर्मा

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
आजकल देश के पर्वतीय क्षेत्रों में, उदाहरणार्थ उत्तराखंड के जोशीमठ एवं चमोली में, पर्यावरण प्रतिकूल परिस्थितियाँ बन रही हैं और पर्वतों के दरकने या धँसने से क्षतिग्रस्त मकानों से लोगों को निकालकर स्थानान्तरित किया जा रहा है। ये परिस्थितियाँ अनायास संयोगवश नहीं बनी हैं, अपितु पर्वतीय वनक्षेत्र की दीर्घकाल से अनदेखी का यह परिणाम है। भारतवर्ष वनजीवियों एवं पशुपालकों का देश है, उन्नीसवीं शताब्दी तक हमारे देश के संबंध में ऐसी वैश्विक मान्यता बनी रही। वनों की सघनता और जैव-वैविध्य (भाँति-भाँति के पशु-पक्षियों एवं वृक्षों-वनस्पतियों की उपस्थिति) के लिए भारत जाना जाता था। औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण की ललक और पर्यावरण या जीवमंडल के समग्र विकास में तादात्म्य या भाव प्रवणता मनुष्य मात्र में देखी जाती थी। प्राचीन युग में लोपामुद्रा- अगस्त्य, अरून्धती -वसिष्ठ, रेणुका -जमदाग्नि जैसे ऋषि-युगलों ने न...
मीडिया में बड़े बदलाव की जरूरत ?

मीडिया में बड़े बदलाव की जरूरत ?

TOP STORIES, मल्टीमीडिया, साहित्य संवाद
डॉ. अजय कुमार मिश्रालोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मीडिया की पहचान सभी जगह विद्यमान है | समय-समय पर इनके कई स्वरुप सामने आये है जैसे प्रिंट मीडिया (न्यूज़ पेपर / मैगज़ीन), ब्रॉडकास्ट मीडिया (टीवी / रेडियो), डिजिटल मीडिया (इंटरनेट / सोशल मीडिया) इत्यादि | पर इन तीनों मीडिया में आज भी सबसे सटीक विश्वसनीयता प्रिंट मीडिया की मौजूद है, हाँलाकि प्रिंट मीडिया में समय के साथ-साथ पाठको की संख्या में कमी आयी है | आज के वर्तमान स्वरुप की बात करें तो प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया दोनों डिजिटल मीडिया पर भी आ गए है और सबसे तेजी से करोड़ों लोगों के मध्य पहुचनें की क्षमता भी इन्ही में विद्यमान है | बढ़तें इंटरनेट के उपयोग ने इसकी पहुँच देश के कोनें कोने में कर दी है | सभी वर्ग केलोगों ने अपना स्थान इस मीडिया में बनाना शुरू कर दिया है, इनके पास परम्परागत ज्ञान और तकनीक न होतें होए भी स...