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जीवन शैली / फिल्में / टीवी

आपसी सहयोग व गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली द्वारा तनाव से बचाव संभव है: डॉ मनोज तिवारी

आपसी सहयोग व गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली द्वारा तनाव से बचाव संभव है: डॉ मनोज तिवारी

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रेलवे सुरक्षा बल, पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर मंडल के जवानों के तनाव प्रबंधन हेतु वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त, पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर मंडल श्री ऋषि पांडेय के निर्देशन में एक दिवसीय तनाव प्रबंधन व योग कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें जवानों को तनाव से बचाव के उपाय से अवगत कराते हुए मुख्य अतिथि डॉ मनोज कुमार तिवारी, वरिष्ठ परामर्शदाता, ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी ने जवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि धनात्मक सोच रखकर, कार्य को बोझ नहीं उत्तरदायित्व समझकर करने, नियमित दिनचर्या रखने, उचित आहार लेने, नशा न करके, 7 घंटे गुणवत्तापूर्ण नींद लेकर व नियमित व्यायाम करने से जवान तनाव मुक्त रहकर राष्ट्र सेवा करने में अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकते हैं। डॉ तिवारी ने बताया कि शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के साथ-साथ नियमित अंतराल पर मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण भी कराते रहना चाहिए त...
Is Shah Rukh Khan movie ‘Jawaan’ a ruse for regime change operation

Is Shah Rukh Khan movie ‘Jawaan’ a ruse for regime change operation

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By Shree Dr Ram Squirrel - This is not a routine forwarded message. One of my friend in Europe shared the following comments with me after watching the movie Jawan! For the past few weeks various Social Media like Facebook & WhatsApp and various Media be it print or news have been trying to create a special frenzy by promoting Shah Rukh Khan's newly released film "Jawaan" which has attracted even a movie freak like me. I have no shame in admitting it. However, unfortunately the chance to watch the movie also came today. After watching the movie very seriously, call this my special report or REVIEW. The entire movie is quite a spectacle but before the upcoming Lok Sabha elections a political message has been delivered across the country in a unique and very clever...
जीवन की आपाधापी में क्या जी रहे हैं हम?

जीवन की आपाधापी में क्या जी रहे हैं हम?

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जब हम अपने जीवन की शुरुआत करते हैं तो हमारा मन सब कुछ पाने को लालायित रहता है। हमें पैसे के साथ-साथ नाम कमाने की भी चाह होती है। ये चाहत काफी हद तक सही भी है। पर, इसके चक्कर में परिवार और अपनी खुशियों को अहमियत न देना गलत है। अपनी जिम्मेदारियों और अपनी खुशियों के साथ समझौता किसी भी हाल में सही नहीं हो सकता। जीवन में आपका पैसा और नाम कमाना या कामयाब इंसान बनना जितना जरुरी है उतना ही जरुरी छोटी- छोटी खुशियों को महसूस करना भी है। अगर आप इन पलों को भूलकर बस आगे बढ़ने में लगे हैं तो आपको एक दिन इस बात का दुःख जरूर होगा की मैंने क्या कुछ खोया थोड़ा-सा पाने के चक्कर में? हम सब के हित में यही है कि हम चैन से रहें और दूसरों को भी चैन से रहने दे। जीवन की आपाधापी में हम ये जान लें कि हमारा कोई भी पल आखिरी हो सकता है इसलिए हर पल को बिना किसी अहंकार के सच्चे मन से सर्वे भवन्तु सुखिन: के भाव से जिए...
मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, संस्कृति और अध्यात्म
खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं   ललित गर्ग  उतार-चढ़ाव, हर्ष-विषाद, सुख-दुःख हर इंसान के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन फिर भी इन जटिलताओं के बीच एक सपना एवं जिजीविषा जरूर होनी चाहिए जो आपको हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहे। जीवन ऐसेे जीना चाहिए जैसे जिंदगी का आखिरी दिन हो। भले ही हमारी जिंदगी उतार-चढ़ावों से भरी हो फिर भी हमें बढ़िया और नेक काम करते हुए जीवन के पल-पल को उत्साह एवं उमंग से जीना चाहिए। लेकिन हमारी बढ़िया या नेक काम करने की इच्छा अधूरी ही रहती है क्योंकि अक्सर जब हम जिंदगी के बुरे दौर से गुजरते हैं, तब उससे निकलने और जब अच्छे दौर में होते हैं, तब उस स्थिति को बरकरार रखने में जिन्दगी बिता देते है। हर इंसान के जीवन में निराशा एवं असंतुष्टि पसरी है। आंकड़े बताते हैं कि करीब 70 फीसदी लोग अपनी मौजूदा नौकरी या काम से संतुष्ट नहीं हैं और क...
क्या है कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या ए.आई?

क्या है कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या ए.आई?

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आजकल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ए.आई. का उपयोग किये जाने की चर्चा हो रही है तो स्वाभाविक रूप से हम सभी के मन में प्रश्न उठता है कि ये ए.आई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धि वास्तव में है क्या और बुद्धि कृत्रिम कैसे हो सकती है?हिंदी के कृत्रिम शब्द का अर्थ है बनावटी यानि जो मूल नहीं है नक़ल है, यही अर्थ आंग्ल भाषा के शब्द आर्टिफिशियल का भी है अतः स्पष्ट है कि कृत्रिम रूप से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता ही कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जिसे संक्षेप में ए.आई कहते हैं। ए.आई. के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरम्भ 1950 के दशक में हुआ था इसका जनक जॉन मैकार्थी को माना जाता है उनके अनुसार ए.आई. बुद्धिमान मशीनों, वि...
<strong>मिलिए वेब सीरीज आश्रम से अपनी अलग पहचान बनाने वाले अमित सिन्हा से  </strong>

मिलिए वेब सीरीज आश्रम से अपनी अलग पहचान बनाने वाले अमित सिन्हा से  

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
आप कहा से है ? जी, मैं लखनऊ से ही हूँ | आपकी पढ़ाई लिखाई कहा से रही ? अग्रवाल कॉलेज और नेशनल कॉलेज लखनऊ | आपको एक्टिंग का शौक कब से हुआ ? ये शायद 1984 की बात है, जब मैंने पहला नाटक देखा था नाटक का नाम था "थैंक यू मिस्टर ग्लाड", लखनऊ के मिनी रविंद्रालय में, उससे पहले नाटक या अभिनय के बारे में कुछ भी नहीं जानता था.. उसके बाद एक और नाटक देखा जिसका नाम था "एक राग दो स्वर" बस वहीं से अभिनय में रुचि हुई उसके बाद सन् 84 में ही एक नाटक "कांच घर" में एक छोटा सा चरित्र करने का अवसर मिला, वहीं से ये यात्रा आरंभ हुई अभी तक कौन – कौन सी वेब सीरीज में काम किया है ? अभय सीजन एक मुम्फोर्ड की बिन्नी ग्रहण आश्रम सीजन एक भौकाल "डर की राजनीति"ये सीरी़ज आ चुकी हैं   क्या किसी फिल्म में भी काम किया है ? जी, कुछ फिल्म्स भी हैं जिनमें मैंने अभिनय किया है जैसेजॉन अब्राहम के साथ ...
मूल्य आधारित शिक्षा है सुख की अनुभूति का आधार

मूल्य आधारित शिक्षा है सुख की अनुभूति का आधार

जीवन शैली / फिल्में / टीवी, साहित्य संवाद
-डॉ. सौरभ मालवीयहमारी प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति समस्त विश्व के सुख, समृद्धि एवं शान्ति की कामना करती है। भारतीय चिन्तन में व्यष्टि से समष्टि तक का विचार किया गया है। भारतीय पर्व इस बात का प्रतीक हैं। यहां पर प्राय: प्रतिदिन कोई न कोई लोकपर्व, व्रत, पूजा एवं अनुष्ठान का दिवस होता है, जो इस बात का प्रतीक है कि भारतीय अपने जीवन में कितने प्रसन्न रहते हैं। हमारे धर्म ग्रन्थों में भी सुख पर अनेक श्लोक एवं मंत्र हैं।सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।अर्थात सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुख का भागी न बनना पड़े।किन्तु आज भारतीय प्रसन्नता के मामले बहुत पिछड़ गए हैं। अब भारतीय पूर्व की भांति प्रसन्न नहीं रहते। वे दुखी रहने लगे हैं। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट...
Unleashing the Power Within: How to Boost Your Self-Confidence and Conquer Your Goals

Unleashing the Power Within: How to Boost Your Self-Confidence and Conquer Your Goals

जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण
Dr Vaishali Sharma - a renowned life coachSelf-confidence is an essential aspect of a person's life. It shapes our personality, affects our decision-making skills, and influences how we look at ourselves and the world. Believing in oneself and one's abilities allows us to achieve tremendous success and personal growth. Many people suffer from a lack of self-confidence, which can severely impact their lives. Lack of confidence can lead to self-doubt, fear, and anxiety, preventing individuals from pursuing their dreams and goals. It can also affect their personal relationships and social life, making them feel invisible and insignificant. Understanding why self-confidence is vital for personal growth and development is essential. A person with self-confidence is more likely to tak...
भारतीय नृत्य परंपरा को सम्मान : हृदयरायण दीक्षित

भारतीय नृत्य परंपरा को सम्मान : हृदयरायण दीक्षित

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गीत और संगीत मनुष्य मन को रसपूर्ण बनाते हैं। लेकिन दोनों में एक आधारभूत अंतर भी है। गीत का अर्थ होता है। अर्थ बुद्धि के माध्यम से मूल शब्दों के भाव को प्रकट करता है। गीत भी ध्वनि है। लेकिन उसका अर्थ बौद्धिक कार्रवाई से निकलता है। संगीत में ध्वनियों का प्रयोग होता है। प्राचीन भारतीय संगीत परंपरा में ध्वनि के अल्पतम अंश को भी सरस ढंग से प्रस्तुत किया जाता रहा है। षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद शास्त्रीय संगीत के आधारभूत सुर हैं। संक्षेप में इन्हें सा, रे ग, म, प, ध और नि कहते हैं। शास्त्रीय संगीत परंपरा में राग हैं। प्रत्येक राग कोे सम्बंधित रागिनियाँ हैं। प्रत्येक राग में गाने का सुनिश्चित समय भी है। हिन्दू पूर्वजों ने नृत्य को भी शास्त्रीयता के अनुशासन में बाँधा है। नृत्य में गीत संगीत के साथ शरीर के भिन्न भिन्न अंगों का भी प्रयोग होता है। जान पड़ता है कि नृत्य का विकास नाट...
अमेरिका में बन्दूक-संस्कृति पर नियंत्रण के प्रयास

अमेरिका में बन्दूक-संस्कृति पर नियंत्रण के प्रयास

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-ः ललित गर्ग :- हिंसा की बोली बोलने वाला, हिंसा की जमीन में खाद एवं पानी देने वाला, दुनिया में हथियारों की आंधी लाने वाला अमेरिका जब खुद हिंसा का शिकार होने लगा तो उसकी नींद टूटी हैं। अमेरिका की आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी मुश्किल यही रही है कि यहां हिंसा इतनी सहज बन गयी है कि हर बात का जवाब सिर्फ हिंसा की भाषा में ही दिया जाने लगा। वहां हिंसा का परिवेश इतना मजबूत हो गया है कि वहां की बन्दूक-संस्कृति से वहां के लोग अपने ही घर में बहुत असुरक्षित हो गए थे। लंबे समय से बंदूकों की सहज उपलब्धता का खमियाजा उठाने के बाद वहां के लोगों ने अपने स्तर पर इसके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है और राष्ट्रपति जो बाइडेन को हथियारों के दुरुपयोग पर अंकुश से संबंधित कार्यकारी आदेश पर किये हस्ताक्षर करने को विवश होना पड़ा हैं। पिछले साल जून में भारी तादाद में लोगों ने सड़कों पर उतर कर बंदूकों की खरीद-बिक्...