
अजन्मे बच्चे के अधिकारों की रक्षा का बड़ा मानवीय फैसला
- ललित गर्ग-सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर कभी-कभी नैतिक एवं मानवीय मूल्यों से जुड़े मुद्दे भी विचाराधीन आते हैं, भारतीय न्यायालय की विशेषता रही है कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए अनूठे फैसले लेकर मानवीय एवं नैतिक मूल्यों को मजबूती दी है। ऐसे ही एक मामले में अजन्मे बच्चे की नैतिकता के आधार पर पैरवी खुद सुप्रीम कोर्ट ने करते हुए एक मिसाल कायम की है। सुप्रीम कोर्ट ने छब्बीस सप्ताह का गर्भ गिराने की मांग करने वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि चूंकि भ्रूण का विकास सामान्य है इसलिए उसे जन्म लेना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि बच्चे की स्थिति एक दम सही है और उसे जन्म मिलना ही चाहिए। अदालत कह चुकी है कि महिला यदि चाहे तो पैदा होने वाले बच्चे को जन्म के बाद सरकार को सौंप सकती है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान कुछ दिन पहले सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि बेशक मां की स्वायत्तता बड़ी है, प...