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विश्लेषण

<strong>क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के</strong>

क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-ललित गर्ग- देश की सबसे पुरानी एवं मजबूत कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है, पार्टी के कद्दावर, निष्ठाशील एवं मजबूत जमीनी नेता पार्टी छोड़कर अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव सन्निकट है। कांग्रेस नेताओं का यह दलबदल आश्चर्य की बात हैं, पार्टी छोड़ने का जैसा सिलसिला चल रहा है, वह देश के इस सबसे पुराने दल की दयनीय दशा और स्याह भविष्य को ही रेखांकित करता है। हालांकि भाजपा और कुछ अन्य दलों के चंद नेता कांग्रेस की शरण में भी गए हैं, लेकिन इसकी तुलना में उसके नेताओं के पार्टी छोड़ने की संख्या कहीं अधिक है। प्रश्न है एक लोकतांत्रिक संगठन की यह दुर्दशा एवं रसातल में जाने की स्थितियां क्यों बनी? इसके कारणों की समीक्षा एवं आत्म-मंथन जरूरी है। कांग्रेस पार्टी लगातार न केवल हार रही है, बल्कि टूट एवं बिखर रही है, जनाधार कमजोर हो रहा है, इ...
सोशल मीडिया की लत पर नियंत्रण ज़रूरी

सोशल मीडिया की लत पर नियंत्रण ज़रूरी

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रजनीश कपूरकुछ समय पहले तक एक आम धारणा थी कि जब भी कभी घर की बेटी समझदार हो जाए तो उसके विवाह के लिये विचारशुरू हो जाता था। उसी तरह यदि घर का बेटा बिगड़ने लग जाए तो उसे ठीक करने की मंशा से भी उसके विवाह के बारे मेंसोचा जाता था। परंतु आजकल के दौर में ऐसा नहीं है। आजकल का युवा जिस कदर सोशल मीडिया के साथ घंटों बिताता हैउसे लेकर भी माँ-बाप में चिंता बढ़ती जाती है। पिछले दिनों आपने सोशल मीडिया पर होली के उपलक्ष्य में ऐसे कई वायरलवीडियो देखे होंगे जहां लड़के लड़कियाँ खुलेआम ऐसी हरकतें करते दिखाई दिए कि सभी शर्मसार हुए। आख़िर इस समस्याका क्या कारण है और इससे कैसे निपटा जाए?दिल्ली मेट्रो में दो लड़कियों द्वारा अश्लील वीडियो रील बनाने को लेकर काफ़ी बवाल मचा। जैसे ही इस वीडियो को लेकरदिल्ली वालों ने मेट्रो प्रशासन से सवाल पूछे तो दिल्ली मेट्रो ने इसे ‘डीप फ़ेक’ कह कर इससे पल्ला झाड़ने का प्रयास ...
विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण, सामाजिक
रजनीश कपूरहमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है। विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्याकाफ़ी है। परंतु जैसे-जैसे समय बदला नए-नए शैक्षणिक संस्थान व विश्वविद्यालय दुनिया के कई देशों में भी खुलते गये। इधरभारत में भी जनसंख्या बढ़ने के कारण यहाँ के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िला नहीं मिल पाता। इसीके चलते देश के कई हिस्सों से विद्यार्थियों में पढ़ाई के लिए विदेश जाने की होड़ सी लग गई। परंतु क्या सभी विद्यार्थियों केहिस्से अच्छे संस्थान और उपयोगी डिग्री ही आती है? क्या देश छोड़ कर जाने वाले विद्यार्थियों के साथ कुछ एजेंट धोखा तोनहीं करते? आजकल के माहौल में विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले विद्यार्थियों को कई तरह सावधानी बरतने की भी ज़रूरतहै।विदेशों में उच्च शिक्षा पाने के लिए भारत से छात्र दुनिया के कोने कोने में जाते हैं। इनमें सबसे...
लोकसभा चुनावों में नारी शक्ति वंदन

लोकसभा चुनावों में नारी शक्ति वंदन

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
राहुल का एक और बयान या फिर एक और सेल्फ गोल ?मृत्युंजय दीक्षितलोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है, सभी राजनैतिक दलों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना प्रारम्भ कर दिया है । नेता मतदाताओं को रिझाने के लिए गर्मागर्म बयानबाजियां कर रहे हैं। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों और “अबकी बार 400 पार” के नारे के साथ एनडीए गठबंधन ने मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन भी मैदान में उतर चुका है। इंडी गठबंधन जैसे ही ताकत लगाकर खड़ा होता है वैसे ही उसके नेता राहुल गाँधी ही उसकी टांग खींचने वाला काम कर देते हैं । मुंबई में राहुल गांधी की “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” पार्ट -2 का समापन हुआ जिसमें कई महत्वपूर्ण नेता शामिल हुए लेकिन समापन कार्यक्रम में राहुल के अति उत्साह से भरे बयान ने कांग्रेस और इंडी गठबंधन को एक बार फिर बैकफुट पर धकेल दिया।राहुल ज...
Kashmir rubbing shoulders with Goa

Kashmir rubbing shoulders with Goa

राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
Kashmir rubbing shoulders with Goa R.K. Sinha There is much in store for the Indian tourism industry. It can expect a boom for two reasons. First, growing popularity of Kashmir and Goa both the tourist destinations. Second, the Pran-Pratishtha of Ram Lalla in Ayodhya which has become a great religious tourist destination not only in India but in the entire world. It is on the dotted lines. Religion attracts people all over the world. But no one had believed a decade ago that ice-clad Kashmir in winter will become a big tourist attraction. The valley had become a terrorists hide -out. Stone -pelting and firing of gunshots had become a common every day feature. All that is past. In less than ten years everything has changed. No one also believed that well being Kashmiri popula...
यह बांड की राजनीति

यह बांड की राजनीति

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इलेक्ट्रोल बॉन्ड से अडानी अम्बानी का नाम गायब है बस इसी से राहुल सहित पूरे विपक्ष के मुंह पर जूता पड़ गया है-अच्छा डोनेशन हर पार्टी प्राप्त करती है-जो पार्टी सत्ता में रहती है वह अधिक पाती है, और जो विपक्ष में है उसे कम मिलता है —और यह कोई गुप्त रहस्य नहीं बल्कि राजनीति का आदिकालीन सुस्थापित सत्य है,जिस इंडीविजुअल या कंपनी का जिस पार्टी को सपोर्ट करने का मन हुआ उसने उसे इलेक्टोरल बाँड्स के माध्यम से पैसा दिया-यहाँ प्रश्न यह है कि मेरी धनसंपदा सिर्फ मेरी है - मैं जिसे मर्जी उसे दूँ. . . इसमे अनुचित क्या है-?कि कोई इसे “स्कैम” कहने की मूर्खतापूर्ण हेकड़ी दिखाये-??? लेकिन युवराज न केवल इसे स्कैम कह रहा हैं, बल्कि खुलेआम उन उद्योगपतियों / उद्योग-समूहों को धमका भी रहा हैं कि जिस दिन हम पॉवर में आ गये उस दिन तुम्हारा जीना हराम कर देंगे- और धमकी देने की क्या वजह है? वजह है खुद को कम और भा...
सोने की कीमत में अभूतपूर्व वृद्धि

सोने की कीमत में अभूतपूर्व वृद्धि

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण, समाचार
सोना उछल रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ने से भारत में भी दाम में वृद्धि हुई है. बीते पांच मार्च को ही 24 कैरेट सोने की कीमत 66,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गयी, जो अब तक की अधिकतम कीमत है. बाजार के बंद होने से आठ मार्च से दस मार्च तक यह कीमत 66,021 रुपये बनी रही. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पांच मार्च को एक औंस सोने की कीमत 2,126 डॉलर हो गयी. वर्ष 2024 के दो महीनों में मूल्य में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. ऐसे में 14 से 18 फरवरी के दौरान 12.8 टन सोने की कीमत के बराबर सॉवरन गोल्ड बॉन्ड की खरीद हुई क्योंकि इसमें निवेशकों को सोने से ज्यादा फायदा हुआ. सोने की कीमत का अनुमान लगाने वाली कुछ प्रमुख एजेंसियों में एक एबीएन एमरो के अनुसार 2024 में सोने की कीमत 2,000 डॉलर प्रति औंस रह सकती है, वहीं डीबीएस का अनुमान 2,050 डॉलर प्रति औंस है. टीडी सिक्योरिटीज का अनुमान ह...
लोकसभा चुनाव- यादें सुकुमार सेन और टी.एन. शेषन की

लोकसभा चुनाव- यादें सुकुमार सेन और टी.एन. शेषन की

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आर.के. सिन्हा एक बार फिर से देश लोकसभा चुनावों के लिए तैयार है। लोकसभा चुनावों की घोषणा अब कभी भी हो सकती है। देश में चारों तरफ लोकसभा चुनाव का माहौल बनता ही चला जा रहा है। वास्तव में यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण और खासमखास उत्सव भी है। इस उत्सव में इसबार 86 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इनमें 47 करोड़ महिला वोटर होंगी। इस उत्सव में देश के 28 राज्य और नौ केंद्र शासित शामिल होंगे।  लोकसभा चुनावों को सफलता पूर्वक करवाने की जिम्मेदारी डेढ़ करोड़ सरकारी अफसरों   पर होगी। करीब सवा करोड़ मतदान केन्द्रों में जाकर मतदाता देश के 543 लोकसभा सांसदों का चुनाव करेंगे। यह सब आंकड़ें गवाह हैं कि भारत से बड़ा और व्यापक संसदीय चुनाव विश्व भर में  कहीं और नहीं होता। बहरहाल, भारत में अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं। पहली लोकसभा के चुनाव 25 अ...
मजबूर होती कांग्रेस

मजबूर होती कांग्रेस

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कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ के खंडन को भले ही स्वीकार कर लें परंतु भाजपा के बढ़ते प्रभाव और कांग्रेस की कमजोर पड़ती सत्ता से कांग्रेसियों में भगदड़ मची हुई है। दरअसल कांग्रेस के राजनीतिक जहाज में सवार नेताओं को अपना भविष्य डूबने का खतरा सता रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस की हालत आयाराम-गयाराम जैसी हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोडऩे वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त सामने आ चुकी है। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव तक चलते रहने की उम्मीद है। कांग्रेस में बदहवासी का आलम यह है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते बची है। राज्यसभा के निर्वाचन में हुई क्रास वोटिंग का सर्वाधिक खामियाजा कांग्रेस ने भुगता है। क्रास वोटिंग करने वाले नेताओं को इस बात का अंदाजा लग गया कि इस राजनीतिक पार्टी में भविष्य सुरक्षित नहीं है। यही वजह रही कि बहती गंगा में हाथ धोने से कांग्रेस के नेता...
<strong>कौन करता है नौकरीपेशा औरतों को परेशान</strong>

कौन करता है नौकरीपेशा औरतों को परेशान

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आर.के. सिन्हा अब सामाजिक, व्यापारिक, संस्थागत जीवन का शायद ही कोई इस तरह का क्षेत्र बचा हो, जिधर महिलाएं नौकरी के लिए न जाती हों। खेत-खलिहानों, बैंकों,सरकारी और निजी दफ्तरों से लेकर घरों में चूल्हा-चौका करके अपने परिवार की आर्थिक मदद करने में आधी दुनिया किसी भी तरह से मर्दों से पीछे नहीं हैं। कहा जा सकता है कि अब देश में करोड़ों महिलाएं कार्यशील हैं। देश में बढ़ती साक्षरता के चलते नौकरीपेशा औरतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जाहिर है, उन्हें घरों से निकलकर अपने दफ्तरों और फैक्ट्रियों में तो जाना होता ही है। आपको हजारों औरतें विभिन्न संस्थानों में नाइट ड्यूटी करते हुए भी मिलेंगी। पर अपने दफ्तर या फिर स्कूलों-कालेजों में जाने वाली लड़कियों और महिलाओं को कुछ विक्षिप्त मानसिकता के लोग परेशान करते रहते हैं। वे उनके (महिलाओं) के पीछे पड़ ही जाते हैं। उन्हें वे ...