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मजबूर होती कांग्रेस

मजबूर होती कांग्रेस

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कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ के खंडन को भले ही स्वीकार कर लें परंतु भाजपा के बढ़ते प्रभाव और कांग्रेस की कमजोर पड़ती सत्ता से कांग्रेसियों में भगदड़ मची हुई है। दरअसल कांग्रेस के राजनीतिक जहाज में सवार नेताओं को अपना भविष्य डूबने का खतरा सता रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस की हालत आयाराम-गयाराम जैसी हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोडऩे वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त सामने आ चुकी है। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव तक चलते रहने की उम्मीद है। कांग्रेस में बदहवासी का आलम यह है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते बची है। राज्यसभा के निर्वाचन में हुई क्रास वोटिंग का सर्वाधिक खामियाजा कांग्रेस ने भुगता है। क्रास वोटिंग करने वाले नेताओं को इस बात का अंदाजा लग गया कि इस राजनीतिक पार्टी में भविष्य सुरक्षित नहीं है। यही वजह रही कि बहती गंगा में हाथ धोने से कांग्रेस के नेता...
<strong>कौन करता है नौकरीपेशा औरतों को परेशान</strong>

कौन करता है नौकरीपेशा औरतों को परेशान

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आर.के. सिन्हा अब सामाजिक, व्यापारिक, संस्थागत जीवन का शायद ही कोई इस तरह का क्षेत्र बचा हो, जिधर महिलाएं नौकरी के लिए न जाती हों। खेत-खलिहानों, बैंकों,सरकारी और निजी दफ्तरों से लेकर घरों में चूल्हा-चौका करके अपने परिवार की आर्थिक मदद करने में आधी दुनिया किसी भी तरह से मर्दों से पीछे नहीं हैं। कहा जा सकता है कि अब देश में करोड़ों महिलाएं कार्यशील हैं। देश में बढ़ती साक्षरता के चलते नौकरीपेशा औरतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जाहिर है, उन्हें घरों से निकलकर अपने दफ्तरों और फैक्ट्रियों में तो जाना होता ही है। आपको हजारों औरतें विभिन्न संस्थानों में नाइट ड्यूटी करते हुए भी मिलेंगी। पर अपने दफ्तर या फिर स्कूलों-कालेजों में जाने वाली लड़कियों और महिलाओं को कुछ विक्षिप्त मानसिकता के लोग परेशान करते रहते हैं। वे उनके (महिलाओं) के पीछे पड़ ही जाते हैं। उन्हें वे ...
<strong>मोदी का परिवार’ अभियान विपक्षी दलों के लिये भारी पडे़गा</strong>

मोदी का परिवार’ अभियान विपक्षी दलों के लिये भारी पडे़गा

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 - ललित गर्ग- बिहार की राजधानी पटना में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बयान कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास परिवार ही नहीं है। वो हिंदू नहीं हैं। हिंदू अपनी मां के श्राद्ध में दाढ़ी-बाल बनवाता है। मोदी की माताजी का जब देहांत हुआ तो उन्होंने बाल-दाढ़ी क्यों नहीं बनवाया? इस तरह के बेतूके, आधारहीन एवं अमर्यादित बयान के विरोध में पूरी भारतीय जनता पार्टी उतर आई है। अब भाजपा और विपक्षी दलों के बीच ’परिवारवाद’ के मुद्दे पर वार-पलटवार जारी है। मोदी के परिवार एवं विपक्षी दलों के परिवारवाद को लेकर बड़ी बहस चल रही है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को विपक्ष के एक आरोप ‘चौकीदार चोर है’ का भारी लाभ मिला था, तब भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान चलाया था। उसी तरह वर्ष 2024 के आम चुनाव से पूर्व ’मोदी का परिवार’ अभियान शुरू कर दिया है, जिसका भाजपा को भरपूर लाभ मिल सकता है, विपक्षी दलों की इस...
यों महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं?

यों महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
जिस दिन किसी भी क्षेत्र में आवेदक अथवा कर्मचारी को उसकी योग्यता के दम पर आंका जाएगा ना कि उसके महिला या पुरुष होने के आधार पर, तभी सही मायनों में हम महिला दिवस जैसे आयोजनों के प्रयोजन को सिद्ध कर पाएंगे। ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में मानव के रूप में जन्म लेना एक दुर्लभ सौभाग्य की बात होती है। और जब वो जन्म एक स्त्री के रूप में मिलता है तो वो परमसौभाग्य का विषय होता है। क्योंकि स्त्री ईश्वर की सबसे खूबसूरत वो कलाकृति है जिसे उसने सृजन करने की पात्रता दी है। सनातन संस्कृति के अनुसार संसार के हर जीव की भांति स्त्री और पुरुष दोनों में ही ईश्वर का अंश होता है लेकिन स्त्री को उसने कुछ विशेष गुणों से नवाजा है। यह गुण उसमें नैसर्गिक रूप से पाए जाते हैं जैसे सहनशीलता, कोमलता, प्रेम,त्याग, बलिदान ममता। यह स्त्री में पाए जाने वाले गुणों की ही महिमा होती है कि अगर किसी पुरुष में स्त...
यह तो स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा नहीं है

यह तो स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा नहीं है

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हिमाचल में राज्यसभा के हालिया पंद्रह सदस्यों के चुनाव में कई राज्यों में जिस तरह विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर विरोधी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के पक्ष में वोट किया है, उसने राजनेताओं की गिरती साख की फिर पुष्टि हुई है। साथ ही घटनाक्रम ने दलबदल कानून की सीमाओं को फिर उजागर किया है। वहीं इस घटनाक्रम से चुनाव प्रबंधन व येन-केन-प्रकारेण जीत हासिल करने के इरादे का पता चलता है, वहीं विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई है। वैसे हिमाचल पहला राज्य नहीं है। राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में विपक्षी सपा के कुछ विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करके उन्हें राज्यसभा तक पहुंचाया है । राज्य में संपन्न चुनावों में भाजपा के आठ व सपा के दो प्रत्याशी विजयी रहे हैं। वहीं भाजपा गठबंधन में शामिल एक दल के विधायक द्वारा सपा के पक्ष में मतदान की भी बात कही जा रही है। सबसे बड़ा खेला त...
चुनाव : भाजपा अपनी लीक पर चलेगी

चुनाव : भाजपा अपनी लीक पर चलेगी

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केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा इस बार भी आम चुनाव में कुछ नया करने जाती दिख रही है।लोकसभा चुनाव में भले एन डी ए सरकार की बात कही जाए, भाजपा का पूरा प्रयास अपने दम पर सरकार बनाने का है। जो संकेत मिल रहे हैं, वे 2019 से पृथक नहीं हैं। जैसे कि जब पिछले लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने जब प्रत्याशियों की घोषणा की तो उसने अपने 268 में से 99 सांसदों यानी 36 प्रतिशत के टिकट एक झटके में काट दिए। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के 282 सांसद जीत कर लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन कुछ सासंदों की मौत होने और कुछ उपचुनावों में हार के कारण उसके 268 सांसद ही बचे थे। तब पार्टी ने जितने सांसदों के टिकट काटे, उनकी जगह सेवानिवृत्त अफसरशाहों, कलाकारों, क्रिकेटरों जैसे नए चेहरों को मैदान में उतारा। इनमें फिल्मी सितारे सनी देओल, रवि किशन, लॉकेट चटर्जी, गायक हंसराज हंस, क्रिकेटर गौतम गंभीर एवं अपराजिता सारंगी जैसे ब्यूरोक्...
<em>चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?</em>

चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?

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*चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?* इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि विश्व को ज्ञान देने वाली भारत की प्रतिभाएं तथा अभिभावक मौजूदा दौर में शिक्षा को लेकर दुश्वारियों के दौर से गुजर रहे हैं। देश की हजारों प्रतिभाएं पढ़ाई के नाम पर प्रतिवर्ष विदेशी शिक्षण संस्थानों का रुख कर रही हैं, बल्कि कई छात्र भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। भले ही भारत की करोड़ों आबादी गरीबी रेखा से नीचे बसर करने को मजबूर है, मगर विदेशों में शिक्षा हासिल करने वाले हजारों भारतीय छात्रों के अभिभावक हर वर्ष करोड़ों रुपए की महंगी फीस अदा करके अमरीका, कनाडा, ऑस्टे्रलिया, ब्रिटेन व न्यूजीलैंड सहित कई अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। अमरीका, कनाडा व ब्रिटेन शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों के लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन चुके हैं। ‘शिक्षा एक राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है। यदि आप किसी देश के उन्नयन एवं अवनयन का काल जानना चाहत...
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

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सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई रजनीश कपूरबचपन में जब हम सभी दोस्त मिल कर क्रिकेट खेलते थे तो कोई मित्र बैट ले कर आता था तो कोई बॉल। अचानक खेलते हुएजब बैट या बॉल लाने वाला मित्र बिना कोई रन बनाए आउट हो जाता था तो ख़ुद को आउट होना न स्वीकारते हुए ग़ुस्से मेंवो अपना बैट या बॉल लेकर घर चला जाता था। ऐसा वो इस उम्मीद से करता था कि उसे एक बार और खेलने का मौक़ामिले। परंतु जैसे ही उसे कोई बड़ा जना यह समझाता कि खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए, हार-जीत तो होती हीरहती है। इसमें बुरा मानने की क्या बात? तो वो मान जाता था।पिछले दिनों देश की सर्वोच्च अदालत ने भी एक समझदार व्यक्ति की भूमिका निभाते हुए न सिर्फ़ बेईमानी कर रहे अधिकारीको आईना दिखाया बल्कि पूरे देश में एक संदेश भी भेजा कि जो भी हो नियम और क़ानून की हद में हो।चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव को लेकर जो विवाद सुर्ख़ियों में था उस पर सर्वोच्च न्याया...
बिजली की खपत बढी, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी ?

बिजली की खपत बढी, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने (अप्रैल-जनवरी) के दौरान देश की बिजली की खपत सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत बढ़कर 1,354.97 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई है। इससे देशभर में आर्थिक तेजी के संकेत है।केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ ऊर्जा कंपनियों की सहायकों को सूचीबद्ध कराने पर विचार कर रही है। निवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने शुक्रवार को ये संकेत दिए हैं, उन्होंने कहा कि हमारी महत्त्वपूर्ण कंपनियों में से कुछ की सहायकों के पास बाजार में उतरने के काफी मौके हैं। ऊर्जा क्षेत्र में सहजता से ट्रांजिशन हो रहा है। ऊर्जा कंपनियां हरित परिसंपत्ति के लिए सहायकों का सृजन कर इस ओर बढ़ रही हैं। इसमें वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं और ये तेजी से आगे बढ़ रही हैं। वैसे ये कंपनियां पूंजी बाजार में आईपीओ लाकर कुछ धन जुटा सकती हैं। दीपम सचिव ने भी कहा है कि बा...
शादी के चोंचले

शादी के चोंचले

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शादी के चोंचले महंगी शादी करके जीवन भर की पूंजी लुटाना समझदारी है क्या।2 दिन की ताम झाम,शर्मा शर्मी और लोक दिखावे में अपने बच्चो का भविष्य खराब मत कीजिए।पैसा कमाना बहुत मुश्किल है आने वाला समय और चुनौतीपूर्ण है।महंगा प्री वेडिंग,महंगी ग्रैंड एंट्री,महंगा इवेंट,महंगा हनीमून,महंगे केट्रस,महंगे पकवान,महंगे गिफ्ट,महंगे सेट डेकोरेशन,पटाखे,महंगे संगीत कार्यक्रम,नए नए चोंचले और सीरियल के देखादेख शादी के कार्यक्रम,महंगे पहनावे,महंगी शॉपिंग सब क्षणिक दिखावा के रूप में विनाश के स्वरुप है।वक्त रहते संभल जाइए वरना आने वाला वक्त आपको संभलने का मौका भी नही देगा। आज कल ग्रामीण और शहरी परिवेश में होने वाली शादियों में एक नई रस्म का जन्म हुआ है । हल्दी रस्म के दौरान हजारों रूपये खर्च कर के विशेष डेकोरेशन किया जाता है, उस दिन दूल्हा या दुल्हन व पूरा परिवार, रिश्तेदार विशेष पीत (पीले) वस्त्र धारण करते है...