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शादी के चोंचले

शादी के चोंचले

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शादी के चोंचले महंगी शादी करके जीवन भर की पूंजी लुटाना समझदारी है क्या।2 दिन की ताम झाम,शर्मा शर्मी और लोक दिखावे में अपने बच्चो का भविष्य खराब मत कीजिए।पैसा कमाना बहुत मुश्किल है आने वाला समय और चुनौतीपूर्ण है।महंगा प्री वेडिंग,महंगी ग्रैंड एंट्री,महंगा इवेंट,महंगा हनीमून,महंगे केट्रस,महंगे पकवान,महंगे गिफ्ट,महंगे सेट डेकोरेशन,पटाखे,महंगे संगीत कार्यक्रम,नए नए चोंचले और सीरियल के देखादेख शादी के कार्यक्रम,महंगे पहनावे,महंगी शॉपिंग सब क्षणिक दिखावा के रूप में विनाश के स्वरुप है।वक्त रहते संभल जाइए वरना आने वाला वक्त आपको संभलने का मौका भी नही देगा। आज कल ग्रामीण और शहरी परिवेश में होने वाली शादियों में एक नई रस्म का जन्म हुआ है । हल्दी रस्म के दौरान हजारों रूपये खर्च कर के विशेष डेकोरेशन किया जाता है, उस दिन दूल्हा या दुल्हन व पूरा परिवार, रिश्तेदार विशेष पीत (पीले) वस्त्र धारण करते है...
आनंद महिंद्रा जी, इस दोगलेपन की वजह क्या है?

आनंद महिंद्रा जी, इस दोगलेपन की वजह क्या है?

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आनंद महिंद्रा जी, इस दोगलेपन की वजह क्या है? क्रिकेट मैच के दौरान कमर्शियल ब्रेक में क्लब महिंद्रा के दो एड बार-बार चल रहे हैं। इसके एक एड में टीचर बच्चों से पूछती है कि बताओ बच्चो, वर्ल्ड की Second Longest Wall कहां पर है? इसके जवाब में एक छोटा बच्चा हाथ खड़ा करता है और कहता है कि राजस्थान के कुंभलगढ़ में…इसके बाद वो कुंभलगढ़ के बारे में और बहुत सारी बातें बताने लगता है। उसकी जानकारी सुन सारी क्लास हैरान हो जाती है और उसी हैरानी में क्लास टीचर भी उससे पूछती है कि तुम्हें ये सब बातें कैसे पता लगीं? जिसके जवाब में बच्चा इतराते हुए एक तरफ गर्दन फेंककर बताता है…मेरे पापा क्लब महिंद्रा के मेंबर जो हैं! इसी तरह के एक और एड में जब एक छोटी बच्ची बताती है कि वो इस बार गर्मियों की छुट्टियों में केरल, गोवा और हिमाचल गई और फिर वो बताती है कि मेरे पापा क्लब महिंद्रा के मेंबर है। जिस पर दूसरा बच्चा कह...
रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीति

रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीति

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रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीतिराममय भारत और रामद्रोही सिद्ध होता विपक्षविपक्ष ने खो दिया एक सुनहरा अवसरमृत्युंजय दीक्षितअयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीरामलला का दिव्य भव्य प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हो जाने के बाद पूरे देश का वातावरण राममय है और स्वाभाविक रूप से भारतीय राजनीति भी इस राममय वातावरण से अछूती नही है। इसी राममय वातावरण के मध्य संसद व कई विधानसभाओं के बजट सत्रों का आयोजन हो रहा है किंतु चर्चा बजट की कम और रामराज्य की अधिक हो रही है। जिन विधानसभाओं में राजनैतिक कारणवश राम मंदिर के समर्थन में चर्चा नहीं हो पा रही है वहां विरोध में बैठकर भी भारतीय जनता पार्टी के विधायक जयश्रीराम का नारा लगाकर वातवारण को राममय बन रहे हैं और देश में रामलहर को तीव्र कर रहे हैं। बंगाल की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जयश्रीराम का नारा लगाया जबकि मुख्यमं...
तालिबानी हिंसा से कैसे बचेगी देवभूमि

तालिबानी हिंसा से कैसे बचेगी देवभूमि

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सभ्य देश में हलद्वानी जैसी हिंसा है अस्वीकार्य आचार्य विष्णु हरि सरस्वती हलद्वानी हिंसा के संदेश बहुत ही डरावने हैं, अमानवीय है, विखंडनकारी है, संविधान और कानून के शासन के लिए प्रतिकूल है, सामानंतर सरकार के प्रतीक है, गुडागर्दी के प्रतीक है, चोरी और सीनाजारी की कहानी कहती है, तालिबानी हिंसा की कॉपी लगती है, तालिबानी हिंसा की आहट सुनाई देती है। ऐसी हिंसा पर सिर्फ उत्तराखंड की सरकार को ही चिंतन की जरूरत नहीं है, ऐसी हिंसा पर पूरे देश को चिंता करने की जरूरत है, न्यायालयों को भी चिंता करने की जरूरत है। ऐसी हिंसा के नियंत्रण पर ठोस नीति बनाने की जरूरत है। सबसे बडी बात यह है कि ऐसी हिंसा सिर्फ अचानक घटती नहीं है बल्कि इसके पीछे साजिश होती है, तैयारी होती है, हिंसा के लिए जरूरी हथियार और ज्वलनशील पदार्थ एकत्रित किये जाते हैं, हिंसक मानसिकता का बीजारोपण कर हिंसा के लिए वातावरण तैयार...
स्वास्थ्यकर्मी गुमनाम सिपाहियों को सलाम

स्वास्थ्यकर्मी गुमनाम सिपाहियों को सलाम

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’ रजनीश कपूरएक पुरानी कहावत हैए ष्लड़ती है फ़ौज और नाम कप्तान का होता है।ष् यह बात काफ़ी हद्द तक सही हैए क्योंकि वो फ़ौज काकप्तान ही होता है जो सारी रणनीति बनाता है। हर कप्तान को अपनी फ़ौज पर पूरा विश्वास होता है और उसी विश्वास परवह जंग में जीत हासिल कर लेता है। यह बात हर उस जंग के लिए कही जा सकती है जहां एक टीम के साथ उसका एककप्तान होता है। परंतु हर टीम में कुछ ऐसे गुमनाम सिपाही होते हैं जिन्हें हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। आज हम ऐसे ही कुछगुमनाम सिपाहियों का ज़िक्र करेंगे जिनके योगदान के बिना देश भर की स्वास्थ्य सेवा अधूरी है। यह स्वास्थ्यकर्मी आपको हरअस्पताल या बड़े क्लिनिक में दिखाई तो देते होंगे पर आपने इनकी सेवा पर इतना गौर नहीं किया होगा।पिछले सप्ताह मुझे कुछ दिनों के लिए दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में परिवार के एक सदस्य की तीमारदारी के लिये रुकनापड़ा। वहाँ पर हुए कुछ अनुभव के आधार पर...
राम मंदिर आंदोलन के आधार स्तम्भ- भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी

राम मंदिर आंदोलन के आधार स्तम्भ- भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी

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“जहाँ राम का जन्म हुआ था, मंदिर वहीँ बनायेंगे”- संकल्प की सिद्धि के अजेय योद्धामृत्युंजय दीक्षितभारतीय जनता पार्टी के संस्थापक नेता, श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के महानायक तथा अपनी रथ यात्राओं के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी को देश के सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में प्रतिस्थापित में अहम भूमिका निभाने वाले महारथी श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न का सम्मान करोड़ों रामभक्तों का भी सम्मान है।आज संपूर्ण भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति की जो लहर चल रही है उसके आधार स्तम्भ भी कहीं न कहीं आडवाणी जी ही हैं। भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी का राजनैतिक जीवन अत्यंत शुचितापूर्ण रहा है जिसे एक बार सुषमा स्वराज ने सदन में “ राजनैतिक जीवन में शुचिता की पराकाष्ठा” कहकर व्याख्यायित किया था। विरोधियों द्वारा अपने ऊपर छल पूर्वक हवाला रैकेट में सम्मिलित होने का आरोप लगाए जाने पर उन्होंने ...
देश को तोड़ने की मांग करने वाले कौन

देश को तोड़ने की मांग करने वाले कौन

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आर.के.सिन्हानिस्संदेह बजट प्रस्तावों की तीखी आलोचना करने में कोई बुराई भी नहीं है। आप देश के सामान्य नागरिक हों या फिर सांसद,आपको केन्द्रीय बजट पर अपनी बेबाक राय रखने का पूरा हक है। पर इस बात को देश का कोई नागरिक कैसे स्वीकार कर सकता है कि कोई इंसान सिर्फ इसलिए ही अलग देश बनाने की मांग करने लगे , क्योंकि उसे बजट प्रस्ताव पसंद नहीं आए। यह पूर्णतः अस्वीकार्य है। कांग्रेस सांसद डी. के. सुरेश ने यही किया। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट पर सुरेश ने दक्षिण भारत के लिए ‘अलग देश’ बनाने की ही मांग कर डाली। धिक्कार है ऐसे सांसद का ! अपमान है भारतीय संविधान का जिसकी शपथ लेकर वे चुने गये और पुनः संसद में वही शपथ लेकर बैठे । उन्होंने कहा है कि अगर विभिन्न करों से एकत्रित धनराशि के वितरण के मामले में दक्षिणी राज्यों के साथ हो रहे ‘अन्याय’ को ठीक नहीं किया गया...
गैर हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश बंद

गैर हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश बंद

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गैर हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश बंद -मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को“सेकुलर” सुप्रीम कोर्ट कैसे बर्दाश्त करेगा? मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस एस श्रीमथी ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए तमिलनाडु सरकार और HR&CE department को निर्देश दिए कि राज्य के सभी मंदिरों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए और उन्हें Kodimaram (Flagpole) के आगे जाने की अनुमति न दी जाए जहां नोटिस बोर्ड लगाए जाएं कि गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है - जस्टिस श्रीमथी ने स्पष्ट आदेश में कहा कि “मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं हैं; सरकार मंदिरों में उन गैर - हिन्दुओं को अनुमति न दे जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखते; यदि कोई गैर - हिंदू मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उससे वचन लेना होगा कि उसे मंदिर के देवता में विश्वास है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा” अदालत ने यह फैसला डी सेंथिल क...
<em>अब मोदी से मुकाबला कैसे होगा?</em>

अब मोदी से मुकाबला कैसे होगा?

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राकेश दुबे और लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में बड़ी सियासी उठापटक हुई है।पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद एनडीए विधायक दल की बैठक में उन्हें फिर से नेता चुना गया और उन्होंने भाजपा के दामन के सहारे मुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली । यह सब विपक्ष के टूटते गठबंधन का श्री गणेश है। जब पहले यह लिखा था कि विपक्ष का गठबंधन टूटने के लिए बनता है।अनेक प्रश्न उठे थे, चूंकि यह स्थापित तथ्य है कि विपक्ष की नियति टूटने की ही है, लिहाजा बार-बार गठबंधन करना पड़ता है। यह नियति जनता पार्टी के दौर से देखते आ रहे हैं। इस बार ‘इंडिया’ का प्रयोग कुछ भिन्न और व्यापक लग रहा था, लेकिन अब दो अलगाव ऐसे सामने आ चुके हैं कि विपक्षी गठबंधन की संभावनाएं प्रभावहीन लगती हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस और पंजाब में भगवंत मान ने आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से घोषणाएं की हैं कि व...
<strong>बापू सेंट स्टीफंस कॉलेज से दलित बच्चों के साथ</strong>

बापू सेंट स्टीफंस कॉलेज से दलित बच्चों के साथ

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आर.के. सिन्हा महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के सिर्फ नायक या समाज सुधारक मात्र ही नहीं थे। वे नौजवानों और विद्यार्थियों से मिलना-जुलना भी बेहद पसंद करते थे। वे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्लायों में लगातार जाया करते थे। वे पहली बार राजधानी दिल्ली 12 मार्च 1915 को आए तो सेंट स्टीफंस कॉलेज में ही ठहरे। वे वहां पर सेंट स्टीफंस कॉलेज और हिन्दू कॉलेज के छात्रों और फेक्ल्टी से भी मिले। उनके तमाम सवालों के उत्तर दिए। उनसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद से जुड़े बहुत सारे सवाल पूछे गए थे। उसके बाद वे 1918 में फिर दिल्ली आए तो पुनः सेंट स्टीफंस कॉलेज में ही ठहरे। उन्हें यहां पर ब्रजकृष्ण चांदीवाला नाम के एक छात्र मिले जो आगे चलकर उनके पुत्रवत से हो गए। जब गांधी जी की 30 जनवरी, 1948 को हत्या हुई तो ब्रज कृष्ण चांदीवाला बिड़ला हाउस में ही थे...