लोककला के नाम पर अश्लीलता परोसना शर्मनाक
लोक गायकों के नाम पर अश्लील लिंक्स से सोशल मीडिया बाजार भरा पड़ा है। कई चैनलों पर भी इस तरह के गीतो का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है। गीत बिकवाने की होड़, व्यूज और लाइक्स के जरिए पैसा कमाने की लालसा, इन सबने पहले ही संस्कृति व विरासत धूमिल कर डाली है क्योंकि गीत संगीत ही एक ऐसा माध्यम होता है जो समाज को संदेशो का पैगाम देती है। आज ये पैगाम अपनी दिशा बदल चुके हैं। विभिन्न बस स्टेशनों, चलने वाले विभिन्न जीप-कार, बसों में जो गीत सुनने को मिलते हैं उनमें छिछोरापन व लम्पटीकरण का अंदाज साफ झलकता है। इन गीतों का श्रवण विशेषकर युवा वर्ग आनंदपूर्वक करता है। कई अवसरों पर शादी-व्याह आदि उत्सवों में कुछ बुजुर्ग जन भी इस तरह के गीतों पर जमकर ठुमके लगाते हैं। सांस्कृतिक परम्परा पर चिंतन करने वाले लोग इसे लोक संगीत पर गहरी ठेस मानते हैं। आशिकी अंदाज के साथ पाश्चात्य ...