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संस्कृति और अध्यात्म

मन्दिरों में पैसे लेकर एवं वीआईपी दर्शन बन्द हो

मन्दिरों में पैसे लेकर एवं वीआईपी दर्शन बन्द हो

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मन्दिरों में पैसे लेकर एवं वीआईपी दर्शन बन्द हो-ः ललित गर्ग:- ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में पैसे लेकर दर्शन कराने वाले बाउंसरों की गिरफ्तारी के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में सुगम दर्शन के नाम पर एक साथ इक्कीस लोगों की गिरफ्तारी जहां मंदिर प्रशासन की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है, वही ईश्वर के दरबार में पांव फैला रहा भ्रष्टाचार गहन चिन्ताजनक एवं शर्मनाक हैं। कुछ ही दिनों पहले ओंकारेश्वर स्थित ममलेश्वर मंदिर में भक्तों से वीआइपी दर्शन के नाम पर अवैध वसूली करने पर प्रशासन ने एक होमगार्ड जवान और दो पंडितों पर कार्रवाई की है। देश-विदेश  के भक्त अगाध श्रद्धा से अपने आराध्य का दर्शन करने आते हैं, लेकिन देश के प्रमुख मन्दिरों में सीधे दर्शन कराने के नाम पर पैसों की लूट मची है या वीआईपी संस्कृति के नाम पर त्रासद एवं भेदभावपूर्ण स्थितियां पसरी है। सवाल यह पूछा जा रहा है कि हिंदुओं के धार्मिक स्थलों ...
पिता-पुत्र का रिश्ता बेजोड़ एवं विलक्षण है

पिता-पुत्र का रिश्ता बेजोड़ एवं विलक्षण है

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अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस- 15 जून, 2025पिता-पुत्र का रिश्ता बेजोड़ एवं विलक्षण है- ललित गर्ग- भारतीय संस्कृति में पिता का स्थान आकाश से भी ऊंचा माना गया है, पिता की धर्म है, पिता ही संबल है, पिता ही ताकत है। पिता हर संतान के लिए एक प्रेरणा हैं, एक प्रकाश हैं और संवेदनाओं के पुंज हैं। इसके महत्व को दर्शाने और पिता व पिता तुल्य व्यक्तियों के योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस यानी फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल 15 जून 2025 को भारत समेत विश्वभर में यह दिवस मनाया जायेगा। फादर्स डे 2025 का आधिकारिक थीम ‘पिताः लचीलेपन का पोषण और भविष्य को आकार देना’ है। यह थीम हमारे जीवन में पिताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है, जो बच्चों में सकारात्मक भावनाओं और सामाजिक विकास को बढ़ावा देते हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन और विविध...
केरल में भारत माता का अपमान यह केवल चित्र नहीं देश की आत्मा पर चोट है!

केरल में भारत माता का अपमान यह केवल चित्र नहीं देश की आत्मा पर चोट है!

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केरल में भारत माता का अपमान यह केवल चित्र नहीं देश की आत्मा पर चोट है! अजय कुमार,वरिष्ठ पत्रकार भारत माता… एक ऐसा नाम, एक ऐसा भाव, जो करोड़ों भारतीयों के दिल की धड़कन है। जब कोई "भारत माता की जय" बोलता है, तो ये केवल एक नारा नहीं होता, बल्कि एक ऐसी पुकार होती है, जिसमें देशभक्ति, श्रद्धा और मातृत्व का गहरा बोध समाहित होता है। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, उसी भारत माता की तस्वीर अब देश के भीतर विवाद की जड़ बन रही है। जिस तस्वीर के सामने स्वतंत्रता सेनानी सिर झुकाकर बलिदान की प्रेरणा लेते थे, उसे देखकर अब केरल के एक मंत्री की आंखें चुभने लगी हैं। केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने पर्यावरण दिवस पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम का सिर्फ इसलिए बहिष्कार कर दिया क्योंकि मंच पर भारत माता की तस्वीर लगी थी। यह घटना एक प्रतीक भर नहीं है, यह उस वैचारिक युद्ध की प्रत्यक्ष झलक है जो अब भारत की आत्मा से टक...
बढ़ते प्रदूषण में यज्ञ परम्परा का योगदान

बढ़ते प्रदूषण में यज्ञ परम्परा का योगदान

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बढ़ते प्रदूषण में यज्ञ परम्परा का योगदान यज्ञ हमारी भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से चला आ रहा एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यज्ञ परम्परा का वर्णन हमारे प्राचीन वैदिक ग्रन्थों तथा ब्राह्मण ग्रन्थों में सविस्तार उपलब्ध होता है। सर्वाधिक वर्णन यजुर्वेद में प्राप्त होता है। प्राचीन समय में प्राकृतिक विपदाओं से बचने, अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने और तत्कालीन प्राकृतिक देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बहुतायत से यज्ञ किए जाते थे। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार ब्रह्माजी ने मानव को सहयोग देकर यज्ञ परम्परा को प्रारम्भ किया। ऋग्वेद में कहा गया है 'अग्रिमीडे पुरोहितं।Ó अग्रि को यज्ञ के मुँह की संज्ञा दी गई है अत: अग्रि में आहूति दी जाती है। यज्ञ ही विद्वानों के अनुसार श्रेष्ठतम कर्म है। गायत्री को माता तथा यज्ञ को पिता कहा गया है। विद्वानों ने यह भी कहा है 'यज्ञो वै विष्णु:वैदिककालीन प्राकृति...
भारतीय अध्यात्म जगत के महासूर्य हैं कबीर | संत कबीर जन्म जयन्ती- 11 जून, 2025

भारतीय अध्यात्म जगत के महासूर्य हैं कबीर | संत कबीर जन्म जयन्ती- 11 जून, 2025

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संत कबीर जन्म जयन्ती- 11 जून, 2025 भारतीय अध्यात्म जगत के महासूर्य हैं कबीर- ललित गर्ग - भारतीय संत परम्परा और संत-साहित्य में संत कबीर एक महान् हस्ताक्षर, समाज-सुधारक, अध्यात्म की सुदृढ़ परम्परा के संवाहक एवं अनूठे संत हैं। जब भारतीय समाज और धर्म का स्वरूप रूढ़ियों एवं आडम्बरों में जकड़ा एवं अधंकारमय था, एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांधता से जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी और दूसरी तरफ हिंदूओं के कर्मकांडों, विधानों एवं पाखंडों से धर्म-बल का हृास हो रहा था, तब संत कबीर एक रोशनी बनकर समाज को दिशा दी। कबीर ने मानव चेतना के विकास के हर पहलू को उजागर किया। श्रीकृष्ण, श्रीराम, महावीर, बुद्ध, जीसस के साथ-ही-साथ भारतीय अध्यात्म आकाश के अनेक संतों-आदि शंकराचार्य, नानक, रैदास, मीरा आदि की परंपरा में कबीर ने धर्म की त्रासदी एवं उसकी चुनौतियों को समाहित करने का अनूठा कार्य किया। जीवन का ऐसा कोई ...
पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा

पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा

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पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा पाकिस्तान के जन्म के साथ ही वहां के राष्ट्रीय दलों एवं नेताओं ने भारत विरोध को अपनी अधिकारिक नीति बना लिया था। पाकिस्तान के आर्थिक विकास पर ध्यान नहीं देते हुए, किसी भी प्रकार भारत के हितों को क्षति पहुंचाई जाए, इस बात पर अधिक ध्यान दिया गया। भारत को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से पाकिस्तान द्वारा कई आतंकवादी संगठन खड़े किए जाते रहे एवं इन संगठनों के आतंकवादी सदस्यों ...
संपूर्ण सनातन भारत ही ‘चेतना’ का लक्ष्य: राजेश चेतन

संपूर्ण सनातन भारत ही ‘चेतना’ का लक्ष्य: राजेश चेतन

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धरती को जहन्नुम बना कर जन्नत के जो सपने दिखाए वो 'काफिर' 'इस्लाम और विश्व शांति' व्याख्यान का आयोजन गले-सड़े कानूनों को तत्काल बदलने की जरूरत संपूर्ण सनातन भारत ही 'चेतना' का लक्ष्य: राजेश चेतन नई दिल्ली। संस्कार को अपनी वास्तविक धरोहर और संपूर्ण सनातन भारत को ही मूल लक्ष्य मानने वाली संस्था चेतना ने राष्ट्रवाद की लौ को और प्रखर करने के लिए रोहिणी में 'इस्लाम और विश्व शांति' व्याख्यान का आयोजन किया। लाला पन्ना लाल सिंघल स्मृति व्याख्यानमाला की यह नौवीं कड़ी थी। जाने माने उद्योगपति अनिल सिंघल व्याख्यान के स्वागताध्यक्ष रहे।ज्वलंत विषय पर वक्ताओं के तथ्यपूर्ण व तार्किक संबोधन से राष्ट्रवाद की भावनाओं का ऐसा सैलाब आया जो सभागार में मौजूद हर किसी को अपने साथ बहा ले गया।वक्ताओं का ओज, आक्रोश और आक्रामक तेवर इस कदर हावी हुए कि बार-बार भारत माता की जय, वंदेमातरम के नारे गूंजते रहे।वक...
सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं |

सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं |

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सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं प्रहलाद सबनानी भारत में सनातन हिंदू धर्म तो अनादि एवं अनंत काल से चला आ रहा है परंतु बाद के खंडकाल में भारत में कई अन्य प्रकार के मत पंथ भी विकसित हुए हैं जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म आदि। भारत में विकसित विभिन्न मत पंथ मूलतः सनातन हिंदू संस्कृति का ही अनुपालन करते हुए दिखाई देते हैं और ऐसा कहा जाता है कि यह समस्त मत पंथ सनातन हिंदू धर्म की विभिन्न धाराएं ही हैं। भारत में विकसित मत पंथ सामान्यतः अपने दर्शन, कर्मकांड एवं सामाजिक ताने बाने के दायरे में अपने धर्म का अनुपालन करते हैं। भारत में हिंदू धर्म के सिद्धांतों पर चलने वाले नागरिकों की संख्या सबसे अधिक हैं एवं यह भारत का सबसे बड़ा धर्म है, जिसमें विभिन्न देवी देवताओं और पूजा प्रथाओं की एक विस्तृत प्रणाली शामिल है। भारत में विकसित हुए मत पंथों म...
“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

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"इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" - प्रियंका सौरभ मुझे यह सोचकर पीड़ा होती है कि आज भी हमारे बच्चों को इतिहास के नाम पर मुग़ल शासकों की गाथाएँ पढ़ाई जाती हैं, जबकि चाणक्य, चित्रगुप्त और छत्रपति शिवाजी जैसे हमारे महान विचारकों और योद्धाओं को पाठ्यक्रम में पर्याप्त स्थान नहीं मिलता। मेरा मानना है कि इतिहास केवल जानने का विषय नहीं, बल्कि आत्मगौरव और पहचान का आधार है। मैं चाहता हूँ कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ें और उन्हें वह शिक्षा मिले जो उनके भीतर आत्मविश्वास और राष्ट्रभक्ति जगाए। “जय सनातन” मेरे लिए केवल नारा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है। "इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" “इतिहास केवल अतीत का आईना नहीं होता, वह आने वाली पीढ़ियों की दृष्टि का आधार भी होता है।” पर अफसोस, भारत के वर्तमान शैक्षणिक ढाँचे में यह आईना...
आदि शंकराचार्य जयन्ती – 2 मई, 2025

आदि शंकराचार्य जयन्ती – 2 मई, 2025

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आदि शंकराचार्य ने हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित किया - ललित गर्ग- महापुरुषों की कीर्ति युग-युगों तक स्थापित रहती। उनका लोकहितकारी चिंतन, दर्शन एवं कर्तृत्व कालजयी होता है, सार्वभौमिक, सार्वदैशिक एवं सार्वकालिक होता है और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता हैं। आदि शंकराचार्य हमारे ऐेसे ही एक प्रकाशस्तंभ हैं जिन्होंने एक महान हिंदू धर्माचार्य, दार्शनिक, गुरु, योगी, धर्मप्रवर्तक और संन्यासी के रूप में 8वीं शताब्दी में अद्वैत वेदांत दर्शन का प्रचार किया था। हिन्दुओं को संगठित किया। उन्होंने चार मठों की स्थापना की, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। आदि गुरु शंकराचार्य हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखते हैं, उनके विराट व्यक्तित्व को किसी उपमा से उपमित करने का अर्थ है उनके व्यक्तित्व को ससीम बनाना। उनके लिये इतना ही कहा जा सकता है कि वे अनिर्वचनीय है। उन्हें हम धर्मक्रांति एवं सम...