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अमेरिका में होने वाले सत्ता परिवर्तन का भारत पर सम्भावित असर

अमेरिका में होने वाले सत्ता परिवर्तन का भारत पर सम्भावित असर

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दिनांक 20 जनवरी 2025 को अमेरिका में श्री डॉनल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार कार्यभार सम्हालने जा रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन ने अपने पहिले कार्यकाल में अमेरिका के रिश्तों को भारत के साथ मजबूत करने का प्रयास किया था। परंतु, नवम्बर 2024 में सम्पन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान श्री ट्रम्प लगातार यह आभास देते रहे हैं कि वे अमेरिका को एक बार पुनः विनिर्माण इकाईयों का हब बनाने का प्रयास करेंगे और इसके लिए अन्य देशों विशेष रूप से चीन से आने वाले सस्ते उत्पादों पर 60 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगा सकते हैं, जिससे चीन से आयातित उत्पाद अमेरिका में महंगे हों जाएंगे एवं विनिर्माण इकाईयां अमेरिका में ही इन वस्तुओं का उत्पादन प्रारम्भ करेंगी। दूसरे, अमेरिका में आज भारी मात्रा में अन्य देशों से अप्रवासी नागरिक गैर कानूनी रूप से रह रहे हैं, विशेष रूप से अमेरिका के पड़ौसी देश मैक्सिको क...
भारत की पहली लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल

भारत की पहली लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल

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भारत की पहली लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल यह मिसाइल की बहुमुखी प्रतिभा और सटीकता को प्रदर्शित करते हुए विभिन्न गति और ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए जटिल युद्धाभ्यास करने में भी सक्षम है। लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सॉफ्टवेयर से लैस है जो इसके प्रदर्शन और विश्वसनीयता को बढ़ाता है। ये मिसाइलें आमतौर पर सबसोनिक होती हैं और इलाके से सटे उड़ान पथों का अनुसरण कर सकती हैं, जिससे उन्हें पता लगाना और रोकना कठिन हो जाता है, जिससे दुश्मन की रक्षा में भेदने में रणनीतिक लाभ मिलता है। इसे बेंगलुरु में डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित किया गया है, लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल विभिन्न डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योगों के बीच सहयोग का परिणाम है। हैदराबाद में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और बेंगलुरु में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने वि...
पर्यावरण बचाने की दिशा में ठोस काम नहीं

पर्यावरण बचाने की दिशा में ठोस काम नहीं

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पर्यावरण बचाने की दिशा में ठोस काम नहीं* कितनी विचित्र बात है विकसित देश अपने आर्थिक लक्ष्य हासिल करने के बाद विकासशील देशों को पर्यावरण सुरक्षा का पाठ जबरन पढ़ा रहे हैं।सर्व विदित है कि आज ग्लोबल वार्मिंग संकट दुनिया के तमाम देशों के दरवाजे पर दस्तक देकर रौद्र रूप दिखा रहा है। ऐसे में बाकू में संपन्न कॉप-29 सम्मेलन में दुनिया की आबोहवा बचाने की दिशा में ठोस निर्णय न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण ही है। दरअसल, विकसित देश विगत में की गई अपनी घोषणाओं से पीछे हट रहे हैं। वे गरीब मुल्कों को ग्लोबल वार्मिंग संकट से निपटने के लिये आर्थिक मदद देने को तैयार नहीं हैं। ऐसा भी नहीं है कि दुनिया पर जलवायु संकट के गंभीर परिणामों से विकसित देश वाकिफ नहीं हैं। अमेरिका से लेकर स्पेन तक मौसम के चरम का त्रास झेल रहे हैं, लेकिन इसके घातक प्रभावों को देखते हुए भी सभी देश समाधान निकालने को लेकर सहमति क्यों नही...
आखिर कौन है ‘गंगा’ का गुनहगार?

आखिर कौन है ‘गंगा’ का गुनहगार?

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भारत जैसे धर्मपरायण देश में गंगा गायत्री और गाय पवित्रता और शुचिता के अंतिम मापदंड माने जाते हैं। समग्र लोक इससे जुड़ा है।ऐसे में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की टिप्पणी जिसमें कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि वह आचमन करने लायक भी नहीं रह गया है। हमारे नागरिक सरोकार और धार्मिक चिंता को बढ़ाने वाला है। कुछ ही माह बाद यानी जनवरी 2025 की पौष पूर्णिमा से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है। कुंभ मेले की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और अखाड़ों की सक्रियता बढ़ गई है। महाकुंभ को लेकर देश ही नहीं विदेश में भी खूब चर्चा होती है। यदि गंगाजल की गुणवत्ता को लेकर ऐसे ही सवाल उठते रहे तो देश-दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। सवाल इस बात को लेकर भी उठेंगे कि विभिन्न सरकारों द्वारा शुरू की गई अनेक महत्वाकांक्षी व भारी-भरकम योजनाओं के बावजूद गंगा को साफ करने में...
एंटीबायोटिक प्रतिरोध 21वीं सदी का एक नया महामारी खतरा

एंटीबायोटिक प्रतिरोध 21वीं सदी का एक नया महामारी खतरा

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एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए, व्यक्तियों को केवल प्रमाणित स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा निर्धारित किए जाने पर ही एंटीबायोटिक्स का उपयोग करना चाहिए। यदि आपका स्वास्थ्य कार्यकर्ता कहता है कि आपको एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी एंटीबायोटिक्स की मांग न करें। एंटीबायोटिक्स का उपयोग करते समय हमेशा अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ता की सलाह का पालन करें। कभी भी बची हुई एंटीबायोटिक्स को साझा या उपयोग न करें। विकास को बढ़ावा देने या स्वस्थ पशुओं में बीमारियों को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग न करें। एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता को कम करने के लिए पशुओं का टीकाकरण करें और उपलब्ध होने पर एंटीबायोटिक्स के विकल्प का उपयोग करें। पशु और पौधों के स्रोतों से खाद्य पदार्थों के उत्पादन और प्रसंस्करण के सभी चरणों में अच्छे तरीकों को बढ़ावा दें और लागू करें। खेतों पर जैव स...
लोक सभा अध्यक्ष विवादों में क्यों?

लोक सभा अध्यक्ष विवादों में क्यों?

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-विनीत नारायणभारतीय लोकतंत्र की परंपरा काफ़ी सराहनीय रही है। लोक सभा भारत की जनता की सर्वोच्च प्रतिनिधि सभा है जहांदेश के कोने-कोने से आम जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि अपने क्षेत्र, प्रांत व राष्ट्र के हित में समस्याओं पर विमर्श करतेहैं। लोकतंत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लगातार नोक-झोंक का चलना बहुत सामान्य व स्वाभाविक बात है।सत्तापक्ष अपनी छवि बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है तो विपक्ष उसे आईना दिखाने का काम करता है। इससे मुद्दों परवस्तु स्थिति स्पष्ट होती है। इस नोक-झोंक का कोई बुरा नहीं मानता। क्योंकि आज जो सत्ता में हैं, कल तक वो विपक्षमें थे और तब वे भी यही करते थे जो आज विपक्ष कर रहा है। जो आज सत्ता में हैं कल वो विपक्ष में होंगे और फिर वेभी वही करेंगे। लेकिन इस नोक-झोंक की सार्थकता तभी है जब वक्ताओं द्वारा मर्यादा में रह कर अपनी बात रखीजाए।जब तक संसदीय कार्यवाही का टीवी पर प्रसारण न...
नये भारत में बदलाव के कानून, न्याय की ओर

नये भारत में बदलाव के कानून, न्याय की ओर

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-ः ललित गर्ग:-भारतीय न्याय प्रणाली की कमियां को दूर करते हुए उसे अधिक चुस्त, त्वरित एवं सहज सुलभ बनाना नये भारत की अपेक्षा है। मतलब यह सुनिश्चित करने से है कि सभी नागरिकों के लिये न्याय सहज सुलभ महसूस हो, कानूनी प्रावधान न्यायसंगत एवं अपराध-नियंत्रण का माध्यम हो, वह आसानी से मिले, जटिल प्रक्रियाओं से मुक्त होकर सस्ता हो। निश्चित रूप से किसी भी कानून का मकसद नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति व अधिकारों की रक्षा करना ही होता है। जिससे किसी सभ्य समाज में न्याय की अवधारणा पुष्ट हो सके। 1 जुलाई, 2024 से भारत आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। न्याय का एक नया सूरज उदित हो रहा है, जब पूरे देश में लागू हुई भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य संहिता को लेकर उम्मीद करनी चाहिए कि यह बदलाव न्याय की कसौटी पर खरा उतरेंगे। इस दृष्टि से यह कानून से ज...
भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने पर हो रहा है विचार

भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने पर हो रहा है विचार

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वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों की सावरेन क्रेडिट रेटिंग पर कार्य कर रही संस्था स्टैंडर्ड एंड पूअर ने हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आंकलन करते हुए भारत के सम्बंध में अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक किया है एवं कहा है कि वह भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने के उद्देश्य से भारत के आर्थिक विकास सम्बंधी विभिन्न पैमानों का एवं भारत के राजकोषीय घाटे से सम्बंधित आंकड़ों का लगातार अध्ययन एवं विश्लेषण कर रहा है। यदि उक्त दोनों क्षेत्रों में लगातार सुधार दिखाई देता है तो भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड किया जा सकता है। वर्तमान में भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग BBB- है, जो निवेश के लिए सबसे कम रेटिंग की श्रेणी में गिनी जाती है।  किसी भी देश की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को यदि अपग्रेड किया जाता है तो इससे उस देश में विदेशी निवेश बढ़ने लगते हैं क्योंकि निवेशकों का इन देशों म...
भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

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भारत में हाल ही में आई भीषण गर्मी से डेली वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी कर्मियों, ईंट-भट्ठों पर काम करने वालों और दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं। भीषण गर्मी ने खुला काम करने वाले  वर्कर्स के लिए कठोर कार्य स्थितियों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। इस भीषण गर्मी में कई लोग खुले वातावरण और गर्म मौसम में काम करने के लिए मजबूर हैं। अगर वे काम नहीं करेंगे, तो उनके घर खाना नहीं पकेगा। यह उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन है। ऐसे  लोग अक्सर काफी गरीबी में जीने के लिए विवश होते हैं। साफ पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित झुग्गियों के घर टिन या तारपोलिन की छतों के नीचे तपती गर्मी झेलते हैं। चूंकि ये काम ज्यादातर खुले वातावरण में ही करने पड़ते हैं, तो भीषण गर्मी में इन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा रहता है।इनकी ज...
योग सशक्त माध्यम है महिला सशक्तीकरण एवं शांति का

योग सशक्त माध्यम है महिला सशक्तीकरण एवं शांति का

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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस, 21 जून, 2024 पर विशेष- ललित गर्ग -मनुष्य के सम्मुख युद्ध, महामारी, महंगाई, बेरोजगारी, प्रतिस्पर्धा के कारण जीवन का संकट खड़ा है। मानसिक संतुलन अस्त-व्यस्त हो रहा है। मानसिक संतुलन का अर्थ है विभिन्न परिस्थितियों में तालमेल स्थापित करना, जिसका सशक्त एवं प्रभावी माध्यम योग ही है। योग एक ऐसी तकनीक है, एक विज्ञान है जो हमारे शरीर, मन, विचार एवं आत्मा को स्वस्थ करती है। यह हमारे तनाव एवं कुंठा को दूर करती है। जब हम योग करते हैं, श्वासों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, प्राणायाम और कसरत करते हैं तो यह सब हमारे शरीर और मन को भीतर से खुश और प्रफुल्लित रहने के लिये प्रेरित करती है। योग ने सिर्फ शरीर को बल्कि मंन को भी शांति और एकाग्रचित करता है। योग के अभ्यास से शांतिपूर्ण मन से व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए एक बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है। इस बार 10वीं बार अंतरराष्ट्र...