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भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

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22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में सम्पन्न होने जा रही है। पिछले लगभग 500 वर्षों के लम्बे संघर्ष के पश्चात श्रीराम लला टेंट से निकलकर एतिहासिक भव्य श्रीराम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। पूरे देश का वातावरण राममय हो गया है। न केवल भारत के नागरिकों में बल्कि अन्य कई देशों में भी सनातन धर्म में आस्था रखने वाले नागरिकों में जबरदस्त उत्साह दिखाई दे रहा है। अमेरिका के कई बड़े शहरों में प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े आकार के होर्डिंग लगाए गए हैं। पूरे विश्व में ही एक तरह से नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। आज सनातनी हिंदुओं के लिए यह एक एतिहासिक एवं गर्व करने का पल है क्योंकि प्रभु श्रीराम का मंदिर भारतीयों के लिए सदियों से एक सांस्कृतिक धरोहर रहा है और अब पुनः प्रभु श्रीराम के मंदिर को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में उचित स्थान दिलाया जा रहा है, इसके लिए प...
<strong>विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2024 पर विशेष</strong>

विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2024 पर विशेष

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हिन्दी है राष्ट्रीयता की प्रतीक भाषा, फिर उपेक्षा क्यों?-ललित गर्ग-विश्व हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में फैले हिंदी जानकारों को एकजुट करना, हिन्दी को विश्व स्तर पर स्थापित एवं प्रोत्साहित करना और हिंदी की आवश्यकता से अवगत कराना है। अंग्रेजी भाषा भले ही दुनियाभर के कई देशों में बोली है और लिखी जाती है. लेकिन हिंदी हृदय की भाषा है। विश्व योग दिवस, विश्व अहिंसा दिवस आदि भारतीय अस्मिता एवं अस्तित्व से जुड़े विश्व दिवसों की शृंखला में विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। ताकि विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा हो तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिले। विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी, 2006 को मनाया गया था। आज हिन्दी विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली तीसरी भाषा है, विश्व में हिन्दी की प्रतिष्ठा एवं प्रयोग दिनोंदिन बढ़त...
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में शह और मात की खेल में आतंकवादी संगठन ISIS किस का मोहरा बन गया है !?

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में शह और मात की खेल में आतंकवादी संगठन ISIS किस का मोहरा बन गया है !?

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अब कैसी-कैसी "कूटनीतिक" खेल चल रही है, जब उसे यदि आप 'गहराईयों' से सोचेंगे तो, यहां आप लोगों को लगेगा कि किसी भी देश का कोई दुश्मन नहीं है, पर सभी देशों का कोई न कोई दुश्मन होता है !? यूक्रेन पर रसिया ने आक्रमण किया तो अमेरिकी गठबंधन ने अपनी दम दिखाने के लिए यूक्रेन की आंख मूंदकर सहायता करने लगी. अब रुसकी गठबंधन ने अपनी कूटनीतिक चाल चलकर, अमेरिका की गठबंधन को अरब देशों में फंसा दिया है !? अब चालाक चतुरलो-मड़ी अमेरिका इस "उलझन" से निकलने के लिए आपनी धुर दुश्मन आतंकवादी संगठन ISIS और अलकायदा के साथ हाथ मिलाकर, ईरान पर "आत्मघाती हमला" करना शुरू कर दिया है. जो ईरान अरब मुल्कों को इकट्ठा कर कर शिया-सुन्नी भेदभाव को भुलाने के लिए 'मुहिम' चला रहा था, और इकट्ठा होकर अमेरिकी गठबंधन "इजरायल" से "बदला" लेने के लिए समूह बना रहा था !? और इस्लामिक देशों, और उनके प्राइवेट आर्म...
भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

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विश्व के कुछ देश वर्ष 2024 में मंदी की मार झेल सकते हैं, यह कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का आंकलन है। परंतु, वैश्विक स्तर पर अर्थव्यस्था के गिरने की सम्भावनाओं के बीच एक देश ऐसा भी है, जिस पर समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक, की नजरें टिकी है, वह है भारत। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति समस्त विदेशी वित्तीय संस्थान आशावान हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब भारत ही सहारा देने की क्षमता रखता है।   अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अभी हाल ही में एक प्रतिवेदन जारी किया है। इसमें भारत के प्रति मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं। प्रथम, भारत आज विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। दूसरे, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरे, वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में ...

आखिर पाकिस्तान बदहाल क्यों है?

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-बलबीर पुंज आखिर पाकिस्तान बदहाल क्यों है? 1947 में खूनी विभाजन के बाद खंडित भारत जहां चांद पर पहुंच गया, वही एक चौथाई भारतीय भूंखडों को काटकर बनाया गया पाकिस्तान क्यों इतना पिछड़ गया? आखिर पाकिस्तान इस हाल में कैसा पहुंचा? इसका संकेत पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की हालिया टिप्पणी में मिल जाता है। बीते दिनों नवाज ने अपने देश में मंडराए आर्थिक संकट के लिए सैन्य प्रतिष्ठान पर निशाना साधते हुए कहा, “नकदी संकट से जूझ रहे देश की परेशानी के लिए न तो भारत जिम्मेदार है और न ही अमेरिका, बल्कि हमने अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मारी है।“ इसका निहितार्थ क्या है? पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति क्या है? कंगाली के चौखट पर पहुंचा पाकिस्तान गले तक कर्ज में डूबा हुआ है। पुराना कर्ज चुकाने के लिए या तो उसे नया कर्ज लेना पड़ रहा है या फिर अपने नागरिकों पर इसका बोझ कभी तेल की कीमतों को...
यह रणनीति चिंताजनक है

यह रणनीति चिंताजनक है

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अवधेश कुमारनिस्संदेह यह अभूतपूर्व अप्रिय स्थिति है। संसद सत्र का समापन होने तक दोनों सदन के 141 सांसद निलंबित किये जा चुके थे। इसके पहले आजाद भारत में कभी भी इतने सांसदों का निलंबन नहीं हुआ था। लोकसभा में आईएनडीआईए के कुल 138 सांसदों में से 95 तथा राज्यसभा में 95 सांसदों में से 46 को निलंबित किया गया। इस तरह आईएनडीआईए के लगभग दो तिहाई सदस्य लोकसभा से निलंबित रहे। केवल 43 सदस्य निलंबित नहीं हुए । मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 48 में से केवल 9 सदस्य ही सदन में रह गए जिनमें पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं। यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण नहीं बल्कि भयभीत करने वाली स्थिति है। संसद हमारे संसदीय लोकतंत्र की शीर्ष इकाई है तो उसके सदस्य माननीय सांसदों का कद इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में कितना बड़ा है इसके बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। नीति निर्माण की भूमिका के साथ अपने गरिमापूर्ण आच...
हिंदू समाज की विजयगाथा का प्रतीक है- गीता जयंती

हिंदू समाज की विजयगाथा का प्रतीक है- गीता जयंती

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गीता जयंती पर विशेष -हिंदू समाज की विजयगाथा का प्रतीक है- गीता जयंतीकर्म और धर्म की गतिशीलता का नाम है - गीताश्रीमदभगवदगीता एक ऐसा पुनीत ग्रंथ है जिसमें कर्म व धर्म समाहित हैं। गीता जयंती का पर्व भी कर्म, धर्म व जीवन की गतिशीलता व निरंतरता पर बल देता है। गीता में वेदों का सार तत्व संग्रहीत किया गया है। इसमें धर्म का उपदेश समाहित है, इसमें जीवन जीने की कला का ज्ञान है। इसमें कर्म, भक्ति व ज्ञान का उपदेश हे। इसमें मनुष्य के स्वधर्म का ज्ञान है। गीता की भाषा इतनी सरल है कि थोड़ा सा अभ्यास करने पर मनुष्य सहजता से इसे समझ सकता है।श्रीमदभगवदगीता किसी सामान्य व्यक्ति का उपदेश नहीं है अपितु यह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की वाणी है। इसे कहते समय भगवान स्वयं अपने परमात्मस्वरूप में स्थित थे। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो जीवन की हर परिस्थिति के लिये,हर काल के लिये प्रासंगिक है, शाश्वत है। इसके श्लोकों के भाव...
संसद में “धुँआ स्प्रे” आतंकी हमले से कम नहीं

संसद में “धुँआ स्प्रे” आतंकी हमले से कम नहीं

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तिथि का चयन और आतंकवादी पुन्नू की धमकी भी षड्यंत्र का हिस्सा -- रमेश शर्मा तेरह दिसम्बर को संसद के भीतर और बाहर रासायनिक धुँआ छोड़कर नारे लगाना साधारण नहीं है । यह वही तिथि है जिस दिन बाईस साल पहले संसद में आतंकवादी हमला हुआ था और अभी कुछ महीने पहले ही कनाडा में बैठे आतंकवादी पुन्नू ने संसद पर हमला करने की धमकी भी दी थी । और अब बिल्कुल आतंकी हमले के अंदाज में यह घटना घटी ।घटना की प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आये है वे असाधारण है । ये लोग अकस्मात संसद नहीं पहुँचे थे । उन्होंने इसकी तैयारी महीनों पहले से की जा रही थी । आरोपी कई बार संसद भवन गये थे । उन्होंने संसद में जाँच का तरीका समझा, रास्ते समझे और यह भी कि दर्शक दीर्घा के किस कोने से कूदना आसान है । इतना करके फिर धुँये से हमला करने की तैयारी हुई । हमले के लिये तेरह दिसम्बर की तिथि का निर्धारण हुआ । इनके बीच समय का प्रबंधन ...
हाईकमान’ संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों का निरादर

हाईकमान’ संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों का निरादर

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एक बार राष्ट्रीय पार्टी के राज्य में सत्ता हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री के चयन में पार्टी आलाकमान के पास असंगत रूप से बड़ा विवेक होता है, राज्य के विधायकों को इस संबंध में बहुत कम या कोई अधिकार नहीं होता है। यह प्रथा उस संवैधानिक जनादेश का अपमान करती है जो बहुमत पार्टी के विधायकों को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपना नेता चुनने का अधिकार देता है। आज देश के तीन प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों में बड़ी ज त के बाद मुख्यमंत्री बने हैं। लोकतांत्रिक तौर-तरीकों के हिसाब से जीते हुए विधायकों के बहुमत से मुख्यमंत्री बनने चाहिए, लेकिन इस देश में हाल के दशकों में शायद ही कभी और कहीं इस आधार पर मुख्यमंत्री तय किए गए हों। देश की दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों में हाई कमान की संस्कृति विकसित और मजबूत हो चुकी है, और ऐसे फैसले राज्यों की राजधानी में नहीं , देश की राजधानी में तय होते आए हैं, और आज यही हो ...
राजनीतिक विरोध में ऐसी भाषा अंदर से हिला देती है

राजनीतिक विरोध में ऐसी भाषा अंदर से हिला देती है

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अवधेश कुमारराजनीतिक दलों में नेता अपने विरोधियों और प्रतिस्पर्धियों के विरुद्ध जैसे शब्द और विचार प्रकट करने लगे हैं वो किसी भी विवेकशील व्यक्ति को अंदर से हिलाने वाला है। विश्व कप क्रिकेट में भारत की पराजय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्र बनाकर जिस तरह के शब्द और विचार शीर्ष स्तर के नेताओं द्वारा प्रकट किए गए उनकी सभ्य समाज में कल्पना नहीं की जा सकती। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पनौती शब्द प्रयोग किया। पनौती का सामान्य अर्थ होता है ऐसा व्यक्ति जो जहां जाएगा वही बंटाधार कराएगा। जैसे हम गांव मोहल्ले में किसी के बारे में बोलते हैं कि अरे, सुबह-सुबह उसका चेहरा देख लिया, पूरा दिन बर्बाद हो गया, वह नहीं होता तो हम सफल होते आदि आदि। राहुल गांधी ने कहा कि अच्छे भले लड़के खेल रहे थे, गया और हरवा दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मतलब पनौती मोदी। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में...