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21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

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21वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में आईटी क्रान्ति का डिजिटल दौर चल रहा है। पेपरलैश कारोबार को तब निर्ग्रन्थ व्यवस्था थी जो स्मृतिपटल पर चिरस्थाई रूप से सुरक्षित होती थी और सतत् अपग्रेड होती रहती थी। कैशलैश पुरानी परम्परा रही, व्यक्ति की क्रेडिट कार्ड के रूप में व्यक्तित्व नगदी के बगैर जीवन निर्वाह का आधार था। कृषि प्रधान देश में समाज का प्रत्येक वर्ग बिना नगद व्यवहार के सेवा भाव से स्वाभाविक वर्णाश्रम धर्म का निर्वाह करता था, फसल उठने पर बिना लिखापढ़ी के ही प्रत्येक क्रिया कलाप का वार्षिक लेन देन वहैसियत अपग्रेट होता था। तब साइबर क्राइम का खतरा कतई नहीं था। इसी क्रम में कुछेक विन्दुओं को अतीत से वर्तमान का तुलनात्मक विश्लेषण करने का प्रयास है, प्रकृतिवादी अतीत के उस दौर में प्राकृतिक घटक पशु-पक्षी, जल-वायु, आदि दैवीय आपदा का पूर्वानुमान लगाकर संकेत देने की सामथ्र्य रखते है। दरअसल ‘‘दुनिया को ...
One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

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It refers to news-item about Delhi Chief Minister directing fast disposal of 1.80 lakh pending applications for ration cards at rate of 40000 applications per month. But Delhi should be selected for experimenting ideal one-nation one-card system as announced by Union Finance Minister on 14.05.2020 for complete population of Delhi on a fast track rather than disposing just 1.80 lakh pending applications for ration-cards covering only 8 lakh people of the city out of total population of more than 2 crores. Since ultimately one-nation one-card system is to be adopted, any issue of new ration-cards for pending 1.80 lakh applications will be duplication of work resulting in over-spent of public-resources.   One-nation one-card system if made compulsory, will serve multiple purposes if Aad...
ऑनलाइन पढाई बच्चों  को रास नहीं आई

ऑनलाइन पढाई बच्चों को रास नहीं आई

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ऑनलाइन शिक्षा के परिणाम समाज के सामने आने लगे है | बच्चों और उनके अभिभावकों का एक बड़ा प्रतिशत एकाएक गाज की तरह सर पर आ गिरी इस मुसीबत से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार नहीं थे | जिन बच्चों ने कभी घर पर किताब खोली तक नहीं थी, अब उन्हें घर पर ही बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। यह और बात है कि किताब-कापी  उन्हें अब भी नहीं खोलनी, बस कंप्यूटर खोलना है। बड़े नामी स्कूल तो पूरी बेहरहमी के साथ घर में भी स्कूली यूनिफार्म के साथ ऑन लाइन होने की हिदायत देते हैं | मध्यम श्रेणी स्कूल भी बड़े स्कूलों की तरह पूरी निष्ठुरता से फ़ीस वसूल रहे है | इन स्कूलों ने छात्रों  को स्कूलों की वर्दी आदि से छूट है| ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब ४३ प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई में ओ...
दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
हाल ही में राजस्थान में बिगड़ते राजनीतिक संकट के बीच राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों को ‘दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता नोटिस जारी किया गया है। इसको लेकर बागी काॅन्ग्रेसी नेता सचिन पायलट और 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों ने अयोग्यता नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मामले पर  बागी विधायकों का तर्क है विधानसभा के बाहर कुछ नेताओं के निर्णयों और नीतियों से असहमत होने के आधार पर उन्हें संसदीय ‘दलबदल विरोधी कानून’ के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है,ऐसा करना गलत है। मामला ये है कि राजस्थान के कांग्रेसी उपमुख्यमंत्री सहित कॉंग्रेस के कुछ बागी विधायक हाल ही में 'काॅन्ग्रेस विधायक दल  की बैठकों में बार-बार निमंत्रण देने के बावज़ूद शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद राज्य में पार्टी के मुख्य सचेतक की अपील पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इन विधायकों को...
परीक्षाओं में कम अंक लाने वालों को शाबाशी ?

परीक्षाओं में कम अंक लाने वालों को शाबाशी ?

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सच में फिर से वही हो रहा है, जिसकी आशंका थी। जैसी ही सीबीएसई के 10 वीं और 12 वीं कक्षा के नतीजे आए, बस उसी समय अनेक ज्ञानी लोग मैदान में कूद  गए। ये ही वे प्रकांड ज्ञानी हैं जो हर बार की तरह अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की उपलब्धियों को कम करके आंक रहे हैं और उन विद्यार्थियों  को सांत्वना दे रहे हैं जिनके अपेक्षाकृत खराब अंक आए हैं।  ये अधिक अंक लेने वालों की मेहनत और निष्ठा पर लगभग पानी फेरते हुए यह कह रहे हैं कि यह कैसे हो सकता है कि किसी के 98 या 99 फीसद तक अंक आ जाएं?  यह सब कहते- हुए ये इस तथ्य की अनदेखी कर रहे हैं कि इन परीक्षाओं के परिणामों में हजारों बच्चे तो फेल भी हुए हैं। सैकड़ों के 40-50 पर्सेट तक ही अंक आए हैं।  क्या आप यकीन करेंगे कि कुछ कथित ज्ञानी तो यहां तक रहे हैं कि जिनके बेहतर अंक आए हैं उनमें से बहुत से आईआईटी, मेडिकल या फिर आईआईएम में जायेंगे, पर कोई भी न तो कोरो...
Delhi Police and Justice-Delivery-System should co-ordinate to flush out gangsters in Delhi now active in recovery-process after lockdown

Delhi Police and Justice-Delivery-System should co-ordinate to flush out gangsters in Delhi now active in recovery-process after lockdown

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Gangsters are reported to have been active in Delhi known for torturing and life-threatening recovery-process especially after lockdown when many loan-takers are not in position to pay-off loans. Even banks and Non-Banking-Financial-Companies NBFCs are said to have hire such gangster-teams some of which are even controlled by their heads in jail because of poor-most justice-delivery-system where justice can practically be achieved only through god-drafted police-encounters. Loan-takers are threatened of being killed in case such illegal activities are reported to police. There are big advocates hired by such gangster-agencies to save them in case of any police-action or court-case. Lt Governor and Chief Minister of Delhi should take up the matter with Chief Justice of Delhi High Court s...
उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

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आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का उपयोग करते हुए कोई महिला या पुरूष अपने ऐसे विचार समाज के सामने रखते हैं तो इस समाज के कुछ लोगों को यह उदारवाद रास नहीं आता और इनके द्वारा उस महिला या पुरुष का जीना ही दूभर कर दिया जाता है। वो लोग जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं वो दूसरों की असहमती को स्वीकार ही नहीं कर पाते। हाल ही के कुछ घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं। 1.हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को सोशल मीडिया पर धमकी दी गई है कि यूनिवर्सिटी खुलने के बाद उसे जबरन पीतल का हिजाब पहनाया जाएगा। उसक...
कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई कोविड-सुरक्षा यूनिट

कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई कोविड-सुरक्षा यूनिट

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नई दिल्ली, 17 जुलाई (इंडिया साइंस वायर): कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए शोधकर्ता विभिन्न युक्तियां खोजने में जुटे हुए हैं। दुर्गापुर स्थित सेंट्रल मेकैनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) के शोधकर्ताओं ने इस दिशा में काम करते हुए नया ‘कोविड प्रोटेक्शन सिस्टम’ (कॉप्स) ईजाद किया है जो कार्यस्थलों पर कोविड-19 का संक्रमण रोकने में उपयोगी हो सकता है। कॉप्स सिस्टम में संपर्क रहित सोलर आधारित ऑटोमेटेड मास्क डिस्पेंसिंग यूनिट और थर्मल स्कैनर (इंटेलिमास्ट) लगाया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित यह सिस्टम स्वचालित कामकाज में मददगार होगा। सीएमईआरआई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह तकनीक व्यावसायिक हस्तांतरण के लिए तैयार है। निकट भविष्य में सीएमईआरआई की योजना एक डिजिटल एंट्री मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने की है। सोलर आधारित इंटेलिमास्ट ...
हामिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने का संदेश घृणात्मक है

हामिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने का संदेश घृणात्मक है

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
मुस्तफा कमाल पाशा की विरासत बन गयी मजहबी घृणा का नया घर/ तुर्की में इस्लामिक कट्टरपंथ का बोलबाला/ इस्लामिक देश में गैर मुस्लिमों की विरासत और प्रतीक चिन्हों का कोई अर्थ नहीं/ पोप भी विरोध में खड़े हुए/ दुनिया भर में भी विरोध/ यूएनस्कों ने भी चिंता जतायी/ पर तुर्की के इस्लामिक शासक को कोई परवाह नही/ इस्लामिक कट्टरपंथी इसे अपनी जीत मानकर खुशी मना रहे हैं/ कल तुर्की भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया के रूप में तब्दील हो सकती है। इस्लामिक दुनिया की दो बड़ी घटनाओं ने दुनिया का ध्यान खींचा है, दोनों घटनाएं विघटन और घृणा से जुड़ी हुई हैं और यह प्रमाणित करती हैं कि इस्लामिक देशों में अन्य धर्मों व पंथों की विरासतों तथा प्रतीक चिन्हों का सम्मान और सुरक्षित रखना मुश्किल काम है तथा काफिर मानसिकताएं इन पर कहर बन कर टूटती हैं। पहली घटना पाकिस्तान की रही हैं जिसमें पाकिस्तान की काफिर मानसिकता ने इस्ल...
शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

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इमोजी हमारी भावनाओं का संकेत होते हैं, जिनके जरिए आप अपने जज्बातों को बयां करते हैं, और हंसी-ख़ुशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सम्पर्क में रहते है. पूरी दुनिया में विश्व इमोजी दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन "इमोजी का वैश्विक उत्सव" माना जाता है. ये दिवस 2014 के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता है, पहला इमोजी दिवस साल 2014 में बनाया गया था. इस हिसाब से इस बार इस दिवस की सातवीं सालगिरह है. हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हुई थी. जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने साल 1999 में ही इमोजी का सेट तैयार किया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की एक प्रसीद यूनिवर्सिटी में इमोजी पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है. वास्तवमें विश्व इमोजी दिवस "जेरेमी बर्गे के दिमाग की उपज" है, लंदन स्थित इमोजीपी के संस्थापक ने इसे 2014 में बनाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ब...