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साहित्य संवाद

“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

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"इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" - प्रियंका सौरभ मुझे यह सोचकर पीड़ा होती है कि आज भी हमारे बच्चों को इतिहास के नाम पर मुग़ल शासकों की गाथाएँ पढ़ाई जाती हैं, जबकि चाणक्य, चित्रगुप्त और छत्रपति शिवाजी जैसे हमारे महान विचारकों और योद्धाओं को पाठ्यक्रम में पर्याप्त स्थान नहीं मिलता। मेरा मानना है कि इतिहास केवल जानने का विषय नहीं, बल्कि आत्मगौरव और पहचान का आधार है। मैं चाहता हूँ कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ें और उन्हें वह शिक्षा मिले जो उनके भीतर आत्मविश्वास और राष्ट्रभक्ति जगाए। “जय सनातन” मेरे लिए केवल नारा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है। "इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" “इतिहास केवल अतीत का आईना नहीं होता, वह आने वाली पीढ़ियों की दृष्टि का आधार भी होता है।” पर अफसोस, भारत के वर्तमान शैक्षणिक ढाँचे में यह आईना...
आदि शंकराचार्य जयन्ती – 2 मई, 2025

आदि शंकराचार्य जयन्ती – 2 मई, 2025

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आदि शंकराचार्य ने हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित किया - ललित गर्ग- महापुरुषों की कीर्ति युग-युगों तक स्थापित रहती। उनका लोकहितकारी चिंतन, दर्शन एवं कर्तृत्व कालजयी होता है, सार्वभौमिक, सार्वदैशिक एवं सार्वकालिक होता है और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता हैं। आदि शंकराचार्य हमारे ऐेसे ही एक प्रकाशस्तंभ हैं जिन्होंने एक महान हिंदू धर्माचार्य, दार्शनिक, गुरु, योगी, धर्मप्रवर्तक और संन्यासी के रूप में 8वीं शताब्दी में अद्वैत वेदांत दर्शन का प्रचार किया था। हिन्दुओं को संगठित किया। उन्होंने चार मठों की स्थापना की, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। आदि गुरु शंकराचार्य हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखते हैं, उनके विराट व्यक्तित्व को किसी उपमा से उपमित करने का अर्थ है उनके व्यक्तित्व को ससीम बनाना। उनके लिये इतना ही कहा जा सकता है कि वे अनिर्वचनीय है। उन्हें हम धर्मक्रांति एवं सम...
“अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

“अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

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"अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल" -प्रियंका सौरभ शिक्षा या शिकारी जाल? पढ़ी-लिखी लड़कियों को क्यों नहीं सिखा पाए हम सुरक्षित होना? अजमेर की छात्राएं पढ़ी-लिखी थीं, लेकिन वे सामाजिक चुप्पियों और डिजिटल खतरों से अनजान थीं। हमें यह स्वीकार करना होगा कि शिक्षा सिर्फ डिग्री नहीं, सुरक्षा भी सिखाए। और परवरिश सिर्फ आज्ञाकारी बनाने के लिए नहीं, संघर्षशील और सचेत नागरिक बनाने के लिए होनी चाहिए। हमारी बेटियां फंसती नहीं हैं, फंसाई जाती हैं—और जब तक शिक्षा सिर्फ अंकों तक सीमित रहेगी, ये शिकारी जाल बार-बार बुने जाते रहेंगे। पढ़ी-लिखी लड़कियों को यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग के मामलों में इतनी आसानी से कैसे फंसने दिया जाता है? यह सवाल अक्सर तब पूछा जाता है, जब मीडिया में किसी लड़की के साथ यौन शोषण या ब्लैकमेलिंग का मामला सामने आता है। लेकिन यह सवाल गलत है। सही सवाल यह होना च...
वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज

वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज

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वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज -डॉ. सत्यवान 'सौरभ' बिश्नोई समाज राजस्थान का एक अनूठा समुदाय है जो सदियों से पेड़-पौधों और वन्य जीवों की रक्षा में अपना जीवन समर्पित करता आया है। यहां की महिलाएं घायल हिरणों को अपने बच्चों की तरह पालती हैं। 1730 में खेजड़ली गांव में अमृता देवी और 363 बिश्नोईयों ने पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। बिश्नोई जीवनशैली 29 नियमों पर आधारित है, जिसमें प्रकृति से गहरा प्रेम निहित है। 'बिश्नोई टाइगर फोर्स' जैसे संगठनों के माध्यम से आज भी यह समाज जीव रक्षा का कार्य करता है। बिश्नोई समाज सच्चे अर्थों में प्रकृति का संरक्षक है। भारत में जब पर्यावरण संरक्षण की बात होती है, तो राजस्थान के बिश्नोई समाज का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। सदियों से यह समाज पेड़-पौधों और वन्य जीवों के संरक्षण में अपनी जान तक न्यौछावर ...
UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म।

UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म।

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UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म। देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा अब जातीय गौरव का तमाशा बन चुकी है। जैसे ही रिज़ल्ट आता है, प्रतिभा और मेहनत को धकिया कर जाति, धर्म और ‘किसान की झोपड़ी’ की स्क्रिप्ट सोशल मीडिया पर दौड़ने लगती है। एसी कमरों में पढ़ने वाले अब खुद को किसान का बेटा घोषित करते हैं, ताकि संघर्ष बिके। टॉपर बनने के बाद सेवा की बजाय सेल्फी और सेमिनार का मोह शुरू हो जाता है। हर दल, हर विचारधारा, हर वर्ग अपने-अपने टॉपर को पकड़कर झंडा उठाता है — “देखो, ये हमारा है!”किसी को सवर्ण गौरव चाहिए, किसी को दलित चमत्कार। और इस पूरे मेले में असली हीरो — यानी मेहनत और ईमानदारी — कहीं कोने में खड़ी, अकेली, उपेक्षित रह जाती है। UPSC अब परीक्षा नहीं, जातीय राजनीति, इमोशनल मार्केटिंग और ब्रांडिंग का अखाड़ा बनता जा रहा है। और सवाल वही — ये अफसर समाज सेवा...
अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

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अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व -प्रियंका सौरभ अक्षय तृतीया, जिसे 'आखा तीज' भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन पर्व है। 'अक्षय' का अर्थ होता है—जो कभी क्षय (नाश) न हो। यही कारण है कि यह दिन शुभ कार्यों, दान-पुण्य, निवेश और नए आरंभ के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे हृदय से पूजा-पाठ, व्रत और दान करने से न केवल वर्तमान जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि अगले जन्मों तक अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।पुराणों के अनुसार, इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। भगवान परशुराम का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था। महाभारत में वर्णित है कि इसी दिन युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति ह...
बीजेपी की मजबूरी है तमिलनाडु में गठबंधन की सियासत

बीजेपी की मजबूरी है तमिलनाडु में गठबंधन की सियासत

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बीजेपी की मजबूरी है तमिलनाडु में गठबंधन की सियासतसंजय सक्सेनाभारतीय जनता पार्टी और दिवंगत जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के बीच तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव को लेकर हुआ गठबंधन ने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक पार्टी की नींद उड़ा दी है। यह गठबंधन बीजेपी के रणनीतिकार अमित शाह की देन बताई जा रही है।हालांकि अभी तक दोनों दलों के दिल मिलते नहीं दिखाई दे रहे हैं। वजह हैं एआईएडीएमके नेता ई. पलानीस्वामी के बयानों में बार-बार आ रहा असमंजस। तमिलनाडु की राजनीति में यह कोई पहला मौका नहीं है जब चुनावी गणित के चलते विरोधी दलों ने हाथ मिलाया हो, लेकिन सत्ता साझा करने को लेकर जो स्पष्टता होनी चाहिए, उसकी यहां भारी कमी नजर आ रही है। अमित शाह ने खुद चेन्नई जाकर गठबंधन की सार्वजनिक घोषणा की, यहां तक कि दावा भी कर दिया कि अगली सरकार तमिलनाडु में एआईएडीएमके-बीजेपी की होगी। लेकिन जब पलानीस्वामी से इस बयान ...
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं

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न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं, विनीत नारायण भारत के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस रामस्वामी पर अनैतिक आचरण के चलते 1993 मेंसंसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। पर कांग्रेस पार्टी ने मतदान के पहले लोकसभा से बहिर्गमन करके उन्हेंबचा लिया। 1997 में मैंने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस वर्मा के अनैतिक आचरण को उजागरकिया तो सर्वोच्च अदालत, संसद व मीडिया तूफ़ान खड़ा हो गया था। पर अंततः उन्हें भी सज़ा के बदले तत्कालीनसत्ता व विपक्ष दोनों का संरक्षण मिला। 2000 में एक बार फिर मैंने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डॉ ए एसआनंद के छह ज़मीन घोटाले उजागर किए तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये मामला चर्चा में रहा व तत्कालीन क़ानून मंत्रीराम जेठमलानी की कुर्सी चली गई। पर तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विपक्ष के सहयोग से उन्हें सज़ा देने के बदलेभारत के मानव...
गायब होती बेटियाँ: आख़िर किसकी बन रहीं शिकार

गायब होती बेटियाँ: आख़िर किसकी बन रहीं शिकार

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गायब होती बेटियाँ: आख़िर किसकी बन रहीं शिकार(लापरवाही या नाकामयाबी, क्यों नहीं ढूँढ पाती पुलिस?) हरियाणा के हिसार में लापता बेटी की खोज में परेशान एक पिता ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिलने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस ने सीएम के पास जाने से रोका तो दंपती ने आत्मदाह करने का प्रयास किया। घटना उस समय हुई जब मुख्यमंत्री का काफ़िला हिसार दौरे पर था। पिता ने ख़ुद पर पेट्रोल डालकर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उसे समय रहते रोक लिया। गीता कॉलोनी निवासी के अनुसार 29 सितंबर से उसकी 16 साल की बेटी लापता है। थाने में शिकायत देकर गुमशुदगी दर्ज करवा चुके हैं। उसने बताया कि वह गाड़ी चलाता है, बेटी नौवीं कक्षा तक पढ़ी है। बताया कि 29 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर वह घर से निकली थी। लेकिन लगभग चार माह बाद भी बेटी नहीं मिली। आख़िर कहाँ गायब हो जाती है देश की बे...
देशी गाय के वैज्ञानिक महत्व को समझने की ज़रूरत

देशी गाय के वैज्ञानिक महत्व को समझने की ज़रूरत

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देशी गाय के वैज्ञानिक महत्व को समझने की ज़रूरत विनीत नारायणजबसे मुसलमान शासक भारत में आए तब से गौवंश की हत्या होनी शुरू हुई। हिन्दू लाख समझाते रहे कि गौमातासारे संसार की जननी के समान है। उसके शरीर के हर अंश में लोक कल्याण छिपा है और तो और उसका मूत्र औरगोबर तक औषधि युक्त है, इसलिये उसकी हत्या नहीं उसका पूजन किया जाना चाहिये। पर यवनों पर कोई असर नहींपड़ा। आज भी मूर्खतावश बहुत से मुसलमान गौवंश की हत्या करते हैं। अक्सर यह दोनों धर्मों के बीच विवाद काविषय रहता है। अंग्रेज जब भारत में आए तो उन्होंने हिन्दुओं का मजाक उड़ाया। वे अपने सीमित ज्ञान के कारण यहसमझने में असमर्थ थे कि हिन्दू गौवंश का इतना सम्मान क्यों करते हैं? आजादी के बाद धर्मनिरपेक्षता की राजनीतिकरने वालों ने भी हिन्दुओं की इस मान्यता पर ध्यान नहीं दिया।कुछ वर्ष पहले जब यह सूचना आई कि गौमूत्र का औषधि के रूप में अमरीका में पेटेंट ह...