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साहित्य संवाद

भारत में सहकारिता आंदोलन को सफल होना ही होगा

भारत में सहकारिता आंदोलन को सफल होना ही होगा

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भारत में आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से सहकारिता आंदोलन को सफल बनाना बहुत जरूरी है। वैसे तो हमारे देश में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1904 से हुई है एवं तब से आज तक सहकारी क्षेत्र में लाखों समितियों की स्थापना हुई है। कुछ अत्यधिक सफल रही हैं, जैसे अमूल डेयरी, परंतु इस प्रकार की सफलता की कहानियां बहुत कम ही रही हैं। कहा जाता है कि देश में सहकारिता आंदोलन को जिस तरह से सफल होना चाहिए था, वैसा हुआ नहीं है। बल्कि, भारत में सहकारिता आंदोलन में कई प्रकार की कमियां ही दिखाई दी हैं। देश की अर्थव्यवस्था को यदि 5 लाख करोड़ अमेरिकी डालर के आकार का बनाना है तो देश में सहकारिता आंदोलन को भी सफल बनाना ही होगा। इस दृष्टि से केंद्र सरकार द्वारा एक नए सहकारिता मंत्रालय का गठन भी किया गया है। विशेष रूप से गठित किए गए इस सहकारिता मंत्रालय से अब “सहकार से समृद्धि” की परिकल्पना के साकार होने क...
उड़ता भारत

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उड़ता भारत विनीत नारायणकुछ वर्ष पहले एक फ़िल्म आई थी ‘उड़ता पंजाब’, जिसमें दिखाया गया था कि प्रदेश सरकार की लापरवाही से पंजाबके घर-घर में मादक दवाओं का प्रयोग फैल गया है। जिसके चलते पंजाब कि पूरी युवा पीढ़ी तबाह हो रही है। जिनमेंहर वर्ग के युवा शामिल हैं। ग़रीब-अमीर का कोई भेद नहीं। उस वक्त पंजाब में अकाली दल की सरकार थी, तो आमआदमी पार्टी ने सरकार को इस तबाही के लिए ज़िम्मेदार ठहराकर अपना चुनाव अभियान चलाया। इधर पिछले दसवर्षों से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है, पर क्या ये सरकार दावे से कह सकती है कि दिल्ली में मादकपदार्थों की बिक्री सारे आम नहीं हो रही? कुछ महीने पहले हरियाणा के सोनीपत में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारीस्थानीय डिग्री कॉलेज के छात्रों को नशीली दवाओं के सेवन के विरुद्ध भाषण दे रहे थे। तभी एक छात्र ने उनसे पूछाकि हमारे कॉलेज के बाहर पान की दुकान पर नशीली दवाएँ रात-दिन बि...
क्या विकास के पैसे सही दिशा में ख़र्च होते हैं?

क्या विकास के पैसे सही दिशा में ख़र्च होते हैं?

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विनीत नारायणबन्जर भूमि, मरूभूमि व सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए केंन्द्र सरकार हजारों करोड़ रूपया प्रान्तीय सरकारोंको देती आई है। जिले के अधिकारी और नेता मिली भगत से सारा पैसा डकार जाते हैं। झूठे आंकड़े प्रान्त सरकार केमाध्यम से केन्द्र सरकार को भेज दिये जाते हैं पर इस विषय के जानकारों को कागजी आंकड़ों से गुमराह नहीं किया जासकता। आज हम उपग्रह कैमरे से हर राज्य की जमीन का चित्र देख कर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जहां-जहां सूखीजमीन को हरी करने के दावे किये गये, वो सब कितने सच्चे हैं।दरअसल यह कोई नई बात नहीं है। विकास योजनाओं के नाम पर हजारों करोड़ रूपया इसी तरह वर्षों से प्रान्तीयसरकारों द्वारा पानी की तरह बहाया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का यह जुमला अब पुराना पड़ गया किकेन्द्र के भेजे एक रूपये मे से केवल 14 पैसे जनता तक पहुंचते हैं। सूचना का अधिकार कानून भी ...
जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

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जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।। बच्चों के विकास में, शिक्षकों की आदर्श भूमिका सही मूल्यों और गुणों के प्रवर्तक और प्रेरक की होनी चाहिए। इस प्रकार, छात्रों को ज्ञान सीधे चम्मच खिलाने के बजाय, उन्हें बच्चों में पूछताछ, तर्कसंगतता की भावना विकसित करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे अपने दम पर, जुनून के साथ सीखने के लिए सशक्त महसूस करें। साथ ही, शिक्षकों को अच्छे नैतिक मूल्यों जैसे सत्य, ईमानदारी, अनुशासन, नम्रता, धार्मिक सहिष्णुता, लिंग समानता आदि को बच्चों में विकसित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि अच्छे इंसानों की नींव रखी जा सके। यह हमारे समाज का कड़वा सच है कि कुछ शिक्षकों में वास्तव में पढ़ाने के लिए जुनून और ज्ञान नहीं है, ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे बिहार के स्कूलों में क्या हो रहा है, अगर शिक्षक में शिक्षण की गुणवत्ता की कमी है तो हम छात्रों से ...
डिजिटल युग के अपराधों पर कैसे लगे लगाम?

डिजिटल युग के अपराधों पर कैसे लगे लगाम?

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डिजिटल युग के अपराधों पर कैसे लगे लगाम? राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार, साइबर उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि हुई है, विशेष तौर पर महिलाओं के खिलाफ, परंतु नई संहिता ऐसे अपराधों के लिए कड़े दंड निर्दिष्ट नहीं करती हैं। उभरती प्रौद्योगिकियों से निपटने में कमियाँ है, नए कानून उभरती हुई प्रौद्योगिकियों से संबंधित अपराधों, जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी घोटाले और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दुरुपयोग को ध्यान में नहीं रखते हैं। क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी ने डिजिटल और आभासी वातावरण में अपराधों को संबोधित करने के लिए वर्तमान में एक कानूनी ढाँचे की आवश्यकता को दर्शाया है। हैकिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट और साइबरस्टॉकिंग सहित साइबर अपराध के विभिन्न रूपों को लक्षित करते हुए विशिष्ट कानून बनाने की आवश्यकता है, ताकि पीड़ितों को प्रभावी विधिक सहायता मिल सके। -डॉ. सत्यवान सौरभ हाल ही में भारत की आपर...
कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी

कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी

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मृत्युंजय दीक्षितविगत दो वर्षों से विशेषकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ता प्राप्ति और फिर लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीत लेने के बाद राहुल गांधी और इंडी गठबंधन हर समय जाति जाति कर रहा है। संभवतः उन्हें लग रहा है कि जातिगत आरक्षण ही एक ऐसा बड़ा हथियार है जिसके माध्यम से जातियों में विभाजित हिंदू समाज को आपस में लड़ाकर भारतीय जनता पार्टी राजनैतिक रूप से पराजित किया जा सकता है और कांग्रेस के अच्छे दिन वापस लाये जा सकते हैं।राहुल गांधी अपनी तथाकथित न्याय यात्रा के दौरान हर जनसभा में जाति का मुद्दा उठाते रहे हैं यहां तक कि वो पत्रकार वार्ता में पत्रकारों और उनके मालिकों की जाति पूछते रहे हैं। राहुल गांधी सेना प्रमुखों की जाति पूछ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जाति के नाम पर अपमान करते रहे हैं। राहुल गांधी बहुत ही भद्दे तरीके से अपनी रैलियों में कहा करते हैं कि प्रधनमंत्री मोदी ओबीसी...
ख़तरा : डार्क वेब और डीप वेब

ख़तरा : डार्क वेब और डीप वेब

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इस समय साइबर दुनिया में चर्चा का विषय है ”डार्क वेब” । इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है| डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। हक़ीक़त में हम इंटरनेट कंटेंट के केवल चार प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डार्क वेब इंटरनेट का ऐसा एक हिस्सा है जिसे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है। डार्क वेब को आम तौर पर गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। लंदन में किंग्स कॉलेज के शोधकर्ता डैनियल मूर और थॉमस रिड ने 2015 में 5 सप्ताह तक 2723 लाइव डार्क वेब साइट्स की सामग्री को नजर रखी और पाया कि 57 प्रतिशत में अवैध सामग्री मौजूद थी। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आते हैं। डार्क वेब को खोलन...
इन मौतों का कसूरवार कौन है?

इन मौतों का कसूरवार कौन है?

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हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग के समापन के बाद मची भगदड़ में सौ से अधिक लोगों के मरने की घटना ने पूरे देश को विचलित किया है । सिकंदराराऊ के निकट फुलरई के एक खेत में कथित हरि बाबा का एक दिवसीय सत्संग चल रहा था। बताते हैं जब बाबा का काफिला जाने लगा तो सेवादारों ने करीब पचास हजार से अधिक श्रद्धालुओं को रोक दिया। गर्मी व उमस वाली भरी दोपहर में सत्संग सुनने के बाद श्रद्धालु घर जाने को बेताब थे। फिर भगदड़ मच गई और जो गिरा वो उठ न सका। लोगों की चीख-पुकार को सुनने के लिये वहां पुलिस-प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं थी। नजदीकी जनपद एटा के अस्पतालों के बाहर लगे लाशों के अंबार हृदयविदारक थे। चारों तरफ करुण क्रंदन और अपनों को तलाशने की बेबसी थी। सौ से अधिक लाशों का ढेर देखकर आहत एक पुलिस कांस्टेबल का हार्टफेल होने से निधन हो गया। मरने वालों में अधिकांश महिलाएं थीं, वहीं कुछ पुरुष व बच्चे भी शामिल ...
भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

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भारत में हाल ही में आई भीषण गर्मी से डेली वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी कर्मियों, ईंट-भट्ठों पर काम करने वालों और दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं। भीषण गर्मी ने खुला काम करने वाले  वर्कर्स के लिए कठोर कार्य स्थितियों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। इस भीषण गर्मी में कई लोग खुले वातावरण और गर्म मौसम में काम करने के लिए मजबूर हैं। अगर वे काम नहीं करेंगे, तो उनके घर खाना नहीं पकेगा। यह उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन है। ऐसे  लोग अक्सर काफी गरीबी में जीने के लिए विवश होते हैं। साफ पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित झुग्गियों के घर टिन या तारपोलिन की छतों के नीचे तपती गर्मी झेलते हैं। चूंकि ये काम ज्यादातर खुले वातावरण में ही करने पड़ते हैं, तो भीषण गर्मी में इन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा रहता है।इनकी ज...
अग्निपथ॰॰अग्निपथ ॰॰अग्निपथ?

अग्निपथ॰॰अग्निपथ ॰॰अग्निपथ?

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अग्निपथ॰॰अग्निपथ ॰॰अग्निपथ?* ‘अग्निपथ’ योजना को भाजपा और मोदी सरकार सशस्त्र बलों की गेम-चेंजर और युवा शक्ति के जरिये सेना की ताकत बढ़ाने वाली बताती रही है, लेकिन इस योजना के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर सवाल गाहे-बगाहे उठते रहे हैं। यद्यपि जून 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना फिलहाल गहन विभागीय जांच के अधीन है, लेकिन विशेषकर, विपक्ष को यह मुद्दा आम चुनाव के दौरान सर्वाधिक रास आया है। जिन इलाकों से ज्यादा युवा सेना में आते रहे हैं उन इलाकों में कांग्रेस ने सरकार पर तीखे हमले इस योजना को लेकर किये हैं। इस योजना के अंतर्गत सिर्फ पच्चीस फीसदी अग्निवीरों की सेवाओं को बरकरार रखने का प्रावधान है। यही वजह है कि चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर सेवा से बाहर होने वाले अग्निवीरों का मुद्दा राजनीतिक हलकों में विवादास्पद रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस ने अपने आम चुनाव 2024 के घोषणापत्र में वायदा...