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साहित्य संवाद

*राममंदिर से रामराज्य की ओर बढ़ने के कुछ पहलू।

*राममंदिर से रामराज्य की ओर बढ़ने के कुछ पहलू।

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
भारत वर्ष सभ्यतामूलक दृष्टि से दुनिया का नेतृत्व करता रहा है। कालांतर में वैभव, प्रमाद, आलस्य, आत्मविस्मृति और सदगुण विकृति से प्रभावित हुआ। फलतः पिछले 5-7 सौ वर्षों में निरंतर संघर्षरत रहा। *पिछले 200 वर्ष तो चिंताजनक रहे। पर भारतीय चेतना फिर से आग्रही चैतन्यवान स्वरुप की ओर 1800 से बढ़ी।* *दुनिया की हलचलों को समझकर भारतीय समाज ने अब मानव केन्द्रिक विकास की जगह प्रकृति केन्द्रिक विकास की ओर कदम बढाये हैं। देसी, स्वदेशी और विकेन्द्रीकरण की आग्रही राजनैतिक, आर्थिक सुव्यवस्था की मांग अब बढ़ रही है।* समाज, सरकार दोनों को समझ मे आ रहा है कि रामराज्य हमारा आदर्श है। वह *रामराज्य ही राम के भारत को स्वीकार्य है।* उसके अनुकूल है प्रकृति का संपोषण करने वाली प्रकृति केन्द्रिक विकास की संकल्पना। उससे ही मेल खाती है महात्मा गांधीजी के हिन्द स्वराज की सभ्यता मूलक दृष्टि और रा. स्व. संघ के परम वैभव का ...
India to face more extreme weather events

India to face more extreme weather events

राज्य, राष्ट्रीय, सामाजिक, साहित्य संवाद
New Delhi, Jul 20 (India Science Wire): Based on the mathematical modelling it is understood that India it is expected a temperature change of 2° C by the end of year 2100, said Dr Madhavan Nair Rajeevan, Secretary, Ministry of Earth Sciences. He was delivering a lecture under eminent scientist category of CSIR-Summer Research Training Programme (CSIR-SRTP), 2020 on the topic “Science of Climate Change”. He told that India is ready with its Earth System Modelling and climate change projections which is a mathematical model and requires huge computation power. There will be increase in surface air temperatures and humidity levels; increase in heat waves; increase in extreme weather like heavy rains, strong winds, intense tropical cyclones, convective storms; no change in mean monsoo...
हिंदी कैसे बने राष्ट्रभाषा ?

हिंदी कैसे बने राष्ट्रभाषा ?

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
भारत में उत्तरप्रदेश हिंदी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन देखिए कि हिंदी की वहां कैसी दुर्दशा है। इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 23 लाख विद्यार्थियों में से लगभग 8 लाख विद्यार्थी हिंदी में अनुतीर्ण हो गए। डूब गए। जो पार लगे, उनमें से भी ज्यादातर किसी तरह बच निकले। प्रथम श्रेणी में पार हुए छात्रों की संख्या भी लाखों में नहीं है। यह वह प्रदेश है, जिसने हिंदी के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों और देश के सर्वाधिक प्रधानमंत्रियों को जन्म दिया है। हिंदी को महर्षि दयानंद ‘आर्यभाषा’ और महात्मा गांधी ‘राष्ट्रभाषा’ कहते थे। नेहरु ने उसे ‘राजभाषा’ का दर्जा दे दिया लेकिन 73 साल की आजादी के बाद हिंदी के तीनों नामों का हश्र क्या हुआ ? ‘आर्यभाषा’ तो बन गई ‘अनार्य भाषा’ याने अनाड़ियों की भाषा ! कम पढ़े-लिखे, गांवदी, पिछड़े, गरीब-गुरबों की भाषा। ‘राष्ट्रभाषा’ आप किसे कहेंगे ? यह ऐसी राष्ट्रभाषा है, जिसका प्रयोग न तो र...
कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

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वर्तमान कोरोना वायरस रोग (कोविड-१९) महामारी के कारणवश इस वर्ष का विश्व जनसंख्या दिवस बहुत ही प्रासंगिक और सामयिक रहा क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, कोविड-१९ महामारी से सम्बंधित तालाबंदी के दौरान महिला-हिंसा और प्रताड़ना में बढ़ोतरी ही हुई है. भारत की प्रख्यात महिलाधिकार कार्यकर्ता, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अनुबद्ध प्रोफेसर और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से जुड़ीं डॉ गीता सेन ने इस बात पर दुःख जताया कि कोविड-१९ महामारी के चलते एशिया पैसिफिक देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) में महिलाओं/ किशोरियों से सम्बंधित अनेक प्रचलित हानिकारक प्रथाओं के जोखिम को बढ़ावा मिला है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के यूएनएफपीए की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट २०२० में कहा गया है. महामारी के दौरान महिला-हिंसा की समानांतर महामारी करीब ४० सालों से महिलाधिकार के लिए समर्पित डॉ गीता सेन ने बताया कि म...
21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

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21वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में आईटी क्रान्ति का डिजिटल दौर चल रहा है। पेपरलैश कारोबार को तब निर्ग्रन्थ व्यवस्था थी जो स्मृतिपटल पर चिरस्थाई रूप से सुरक्षित होती थी और सतत् अपग्रेड होती रहती थी। कैशलैश पुरानी परम्परा रही, व्यक्ति की क्रेडिट कार्ड के रूप में व्यक्तित्व नगदी के बगैर जीवन निर्वाह का आधार था। कृषि प्रधान देश में समाज का प्रत्येक वर्ग बिना नगद व्यवहार के सेवा भाव से स्वाभाविक वर्णाश्रम धर्म का निर्वाह करता था, फसल उठने पर बिना लिखापढ़ी के ही प्रत्येक क्रिया कलाप का वार्षिक लेन देन वहैसियत अपग्रेट होता था। तब साइबर क्राइम का खतरा कतई नहीं था। इसी क्रम में कुछेक विन्दुओं को अतीत से वर्तमान का तुलनात्मक विश्लेषण करने का प्रयास है, प्रकृतिवादी अतीत के उस दौर में प्राकृतिक घटक पशु-पक्षी, जल-वायु, आदि दैवीय आपदा का पूर्वानुमान लगाकर संकेत देने की सामथ्र्य रखते है। दरअसल ‘‘दुनिया को ...
दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
हाल ही में राजस्थान में बिगड़ते राजनीतिक संकट के बीच राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों को ‘दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता नोटिस जारी किया गया है। इसको लेकर बागी काॅन्ग्रेसी नेता सचिन पायलट और 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों ने अयोग्यता नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मामले पर  बागी विधायकों का तर्क है विधानसभा के बाहर कुछ नेताओं के निर्णयों और नीतियों से असहमत होने के आधार पर उन्हें संसदीय ‘दलबदल विरोधी कानून’ के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है,ऐसा करना गलत है। मामला ये है कि राजस्थान के कांग्रेसी उपमुख्यमंत्री सहित कॉंग्रेस के कुछ बागी विधायक हाल ही में 'काॅन्ग्रेस विधायक दल  की बैठकों में बार-बार निमंत्रण देने के बावज़ूद शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद राज्य में पार्टी के मुख्य सचेतक की अपील पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इन विधायकों को...
हामिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने का संदेश घृणात्मक है

हामिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने का संदेश घृणात्मक है

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
मुस्तफा कमाल पाशा की विरासत बन गयी मजहबी घृणा का नया घर/ तुर्की में इस्लामिक कट्टरपंथ का बोलबाला/ इस्लामिक देश में गैर मुस्लिमों की विरासत और प्रतीक चिन्हों का कोई अर्थ नहीं/ पोप भी विरोध में खड़े हुए/ दुनिया भर में भी विरोध/ यूएनस्कों ने भी चिंता जतायी/ पर तुर्की के इस्लामिक शासक को कोई परवाह नही/ इस्लामिक कट्टरपंथी इसे अपनी जीत मानकर खुशी मना रहे हैं/ कल तुर्की भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया के रूप में तब्दील हो सकती है। इस्लामिक दुनिया की दो बड़ी घटनाओं ने दुनिया का ध्यान खींचा है, दोनों घटनाएं विघटन और घृणा से जुड़ी हुई हैं और यह प्रमाणित करती हैं कि इस्लामिक देशों में अन्य धर्मों व पंथों की विरासतों तथा प्रतीक चिन्हों का सम्मान और सुरक्षित रखना मुश्किल काम है तथा काफिर मानसिकताएं इन पर कहर बन कर टूटती हैं। पहली घटना पाकिस्तान की रही हैं जिसमें पाकिस्तान की काफिर मानसिकता ने इस्ल...
शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

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इमोजी हमारी भावनाओं का संकेत होते हैं, जिनके जरिए आप अपने जज्बातों को बयां करते हैं, और हंसी-ख़ुशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सम्पर्क में रहते है. पूरी दुनिया में विश्व इमोजी दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन "इमोजी का वैश्विक उत्सव" माना जाता है. ये दिवस 2014 के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता है, पहला इमोजी दिवस साल 2014 में बनाया गया था. इस हिसाब से इस बार इस दिवस की सातवीं सालगिरह है. हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हुई थी. जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने साल 1999 में ही इमोजी का सेट तैयार किया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की एक प्रसीद यूनिवर्सिटी में इमोजी पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है. वास्तवमें विश्व इमोजी दिवस "जेरेमी बर्गे के दिमाग की उपज" है, लंदन स्थित इमोजीपी के संस्थापक ने इसे 2014 में बनाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ब...
प्रकृति हमें कब बचाएगी

प्रकृति हमें कब बचाएगी

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इस दुष्काल में हुए लॉक डाउन ने भारतीयों को प्रकृति का सानिध्य महसूस कराया था हम घर में रहते हुए सुबह की मंद बयार और गौधुली की उष्मा महसूस करने लगे थे | लॉक डाउन-१ हटा हो या २  हालत बदतर ही  हुए | अब उद्योग खुलने के साथ पर्यावरण सूचकांक फिर डराने लगा है | सच भी है कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह वो सब करे करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध ठप है क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसे में अब तक उनकी अनदेखी करता आया मंत्रालय अब क्यों ध्यान देगा? सच तो यह है कि सारा भारतीय समाज जिस पर्यावरण की निर्मलता से निरापद रहेगा | उस पर्यावरण के मोर्चे पर देश  पिछड़  रहा है |इस  नाकामी का एक मानक येल विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में दिखता है। सन २०२०  में जारी सूचकांक में भारत १८०  देशों में १६८ वें स्थान पर रहा...
संभलिये, दुष्काल की परिणति अपराध वृद्धि हो सकती है

संभलिये, दुष्काल की परिणति अपराध वृद्धि हो सकती है

राज्य, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
इस दुष्काल में कई प्रकार के सर्वे आ रहे हैं | सबको विश्वसनीय नहीं माना जा सकता और न ही सबको अविश्वसनीय |लेकिन जिन सर्वेक्षणों के साथ कोई सरकारी एजेंसी  या कोई अन्य साखपूर्ण संस्था जुडी हो, उसके अनुमान को नकारा नहीं जा सकता | देश के जाने-मने सामाजिक शोध संस्थान ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि “कोरोना संक्रमण से उपजे संकट ने जिस तरह देश की आर्थिकी व सामाजिक ताने-बाने को झंझोड़ा है, उसके नकारात्मक प्रभावों का सामने आना लाजिमी है। आज समाज एक अप्रत्याशित भय व असुरक्षा की मनोदशा में पहुंचा है। एक अलग तरह की हताशा व कुंठा का भाव लोगों में घर कर गया है।इसके परिणाम स्वरूप अपराध में वृद्धि हो सकती है | “ वैसे यह साफ़ नजर आ रहा है कि तालाबंदी के पहले दौर ही ने करोड़ों लोगों के रोजगार छीने, ऐसे लोग अभी तक सामान्य स्थिति हासिल नहीं कर पाये। ऐसे में समाज में अपराधों के बढ़ने के लिए उर्वरा भूमि तैया...