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Police-post in-charge should be arrested rather than only suspended for not taking instant action on complaint by slain journalist Vikram Joshi with all his assets confiscated

Police-post in-charge should be arrested rather than only suspended for not taking instant action on complaint by slain journalist Vikram Joshi with all his assets confiscated

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Since journalist Vikram Joshi having fatally attacked by criminals in Ghaziabad (UP) on 20.07.2020 only because police-post in-charge failed to take action on complaint of eve-teasing of his niece against criminals, arrest under stringent-most provisions of Indian Criminal Code is necessary rather than simple suspension. Moreover his property and assets should be confiscated and given to family of slain journalist as a token of exemplary instant justice. Likewise property and assets of all the accused killers of Vikram Joshi should be confiscated and given to family-members of Vikram Joshi. This is necessary because of poor-most justice-delivery-system of the country where criminals getting easy bail and parole enjoy crime-life with final punishment, if any, coming after decades as recent...
Welcome participation of Prime Minister in foundation-stone laying ceremony of Ram Janmbhoomi Temple at Ayodhya

Welcome participation of Prime Minister in foundation-stone laying ceremony of Ram Janmbhoomi Temple at Ayodhya

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Reports about Prime Minister participating in foundation-stone laying-ceremony of Ram Janmbhoomi Temple at Ayodhya (UP) on 05.08.2020 are welcome. Such participation should ideally make present owners of Congress party also in capacity of their being legal and political heirs of first Prime Minister of India Jawaharlal Nehru to formally lodge protest in name of Congress-styled secularism of Nehru-Gandhi family against participation of Narender Modi in a programme relating to construction of much-awaited Hindu Temple at birth-place of Lord Rama. It may be recalled that Nehru desired that the then (first) President of India Dr Rajendra Prasad should not participate in inauguration of Somnath Temple in Junagarh (Gujarat) because according to Nehru, it might not fit in secular-theory of Neh...
Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

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Consumer Protection Act 2019 has come into force from 20.07.2020 with several added features to safeguard interests of consumers. But big question is why some basic root-level changes are not incorporated either in the Act itself or by simultaneous modifications in existing system. National Anti-Profiteering Authority (NAPP) presently working under Department of Revenue should be shifted to Department of Consumer Affairs. Unfortunately there is no provision of entertaining feedback and suggestions coming from experts either by NAPP or by so many bodies constituted under Consumer Protection Act 2019. There must be some body which may have power to study and implement suggestions (if feasible) so that problems may not arise at root-level required to be tackled by NAPP or other bodies cons...
शिक्षा माफियाओं के दबाव में स्कूल और डिजिटल शिक्षा

शिक्षा माफियाओं के दबाव में स्कूल और डिजिटल शिक्षा

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय फिलहाल स्कूलों को खोलने की जल्दी में कतई नहीं है।  केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री ने 15 अगस्त के बाद की तारीख बताकर अनिश्चितता तो फिलहाल दूर कर दी लेकिन भारत में कुछ राज्य इन सबके बावजूद भी स्कूल खोलने की कवायद में जी- जान से जुड़े है। पता नहीं उनकी क्या मजबूरी है?  मुझे लगता है वो स्कूल माफियाओं के दबाव में है। आपातकालीन स्थिति में इस तकनीकी युग में बच्चों को शिक्षित करने के हमारे पास आज हज़ारों तरीके है। ऑनलाइन या डिजिटल स्टडी से बच्चों को घर पर ही पढ़ाया जा सकता है तो स्कूलों को खोलने में इतनी जल्दी क्यों ? वैश्विक महामारी जिसमे सोशल डिस्टन्सिंग ही एकमात्र उपाय है के दौरान स्कूल खोलने में इतनी जल्बाजी क्यों ? सरकारों को चाहिए की जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आती स्कूल न ...
कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

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वर्तमान कोरोना वायरस रोग (कोविड-१९) महामारी के कारणवश इस वर्ष का विश्व जनसंख्या दिवस बहुत ही प्रासंगिक और सामयिक रहा क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, कोविड-१९ महामारी से सम्बंधित तालाबंदी के दौरान महिला-हिंसा और प्रताड़ना में बढ़ोतरी ही हुई है. भारत की प्रख्यात महिलाधिकार कार्यकर्ता, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अनुबद्ध प्रोफेसर और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से जुड़ीं डॉ गीता सेन ने इस बात पर दुःख जताया कि कोविड-१९ महामारी के चलते एशिया पैसिफिक देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) में महिलाओं/ किशोरियों से सम्बंधित अनेक प्रचलित हानिकारक प्रथाओं के जोखिम को बढ़ावा मिला है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के यूएनएफपीए की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट २०२० में कहा गया है. महामारी के दौरान महिला-हिंसा की समानांतर महामारी करीब ४० सालों से महिलाधिकार के लिए समर्पित डॉ गीता सेन ने बताया कि म...
21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

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21वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में आईटी क्रान्ति का डिजिटल दौर चल रहा है। पेपरलैश कारोबार को तब निर्ग्रन्थ व्यवस्था थी जो स्मृतिपटल पर चिरस्थाई रूप से सुरक्षित होती थी और सतत् अपग्रेड होती रहती थी। कैशलैश पुरानी परम्परा रही, व्यक्ति की क्रेडिट कार्ड के रूप में व्यक्तित्व नगदी के बगैर जीवन निर्वाह का आधार था। कृषि प्रधान देश में समाज का प्रत्येक वर्ग बिना नगद व्यवहार के सेवा भाव से स्वाभाविक वर्णाश्रम धर्म का निर्वाह करता था, फसल उठने पर बिना लिखापढ़ी के ही प्रत्येक क्रिया कलाप का वार्षिक लेन देन वहैसियत अपग्रेट होता था। तब साइबर क्राइम का खतरा कतई नहीं था। इसी क्रम में कुछेक विन्दुओं को अतीत से वर्तमान का तुलनात्मक विश्लेषण करने का प्रयास है, प्रकृतिवादी अतीत के उस दौर में प्राकृतिक घटक पशु-पक्षी, जल-वायु, आदि दैवीय आपदा का पूर्वानुमान लगाकर संकेत देने की सामथ्र्य रखते है। दरअसल ‘‘दुनिया को ...
One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

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It refers to news-item about Delhi Chief Minister directing fast disposal of 1.80 lakh pending applications for ration cards at rate of 40000 applications per month. But Delhi should be selected for experimenting ideal one-nation one-card system as announced by Union Finance Minister on 14.05.2020 for complete population of Delhi on a fast track rather than disposing just 1.80 lakh pending applications for ration-cards covering only 8 lakh people of the city out of total population of more than 2 crores. Since ultimately one-nation one-card system is to be adopted, any issue of new ration-cards for pending 1.80 lakh applications will be duplication of work resulting in over-spent of public-resources.   One-nation one-card system if made compulsory, will serve multiple purposes if Aad...
ऑनलाइन पढाई बच्चों  को रास नहीं आई

ऑनलाइन पढाई बच्चों को रास नहीं आई

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ऑनलाइन शिक्षा के परिणाम समाज के सामने आने लगे है | बच्चों और उनके अभिभावकों का एक बड़ा प्रतिशत एकाएक गाज की तरह सर पर आ गिरी इस मुसीबत से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार नहीं थे | जिन बच्चों ने कभी घर पर किताब खोली तक नहीं थी, अब उन्हें घर पर ही बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। यह और बात है कि किताब-कापी  उन्हें अब भी नहीं खोलनी, बस कंप्यूटर खोलना है। बड़े नामी स्कूल तो पूरी बेहरहमी के साथ घर में भी स्कूली यूनिफार्म के साथ ऑन लाइन होने की हिदायत देते हैं | मध्यम श्रेणी स्कूल भी बड़े स्कूलों की तरह पूरी निष्ठुरता से फ़ीस वसूल रहे है | इन स्कूलों ने छात्रों  को स्कूलों की वर्दी आदि से छूट है| ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब ४३ प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई में ओ...
कमजोर हो चुकी कांग्रेस कई तरीकों से मजबूत हो सकती है

कमजोर हो चुकी कांग्रेस कई तरीकों से मजबूत हो सकती है

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राजस्थान में कांग्रेस सरकार का भविष्य जो भी हो, इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के तौर पर कांग्रेस काफी कमजोर हो चुकी है। कुछ राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिला और कुछ में वह सबसे बड़ा दल बनकर उभरी लेकिन आज कांग्रेस उनमें से कई में विरोधी दल बनकर बैठने पर मजबूर हुई है। इस सर्वज्ञात तथ्य के बावजूद हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टियों में रही है। कांग्रेस जितने वर्षों तक इस विशाल देश में सत्तारुढ़ रही है, शायद दुनिया की कोई पार्टी नहीं रही है। आज भी देश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता न हों। कांग्रेस के अध्यक्षों में किस धर्म, किस जाति, किस प्रांत, किस भाषा और किस योग्यता के लोग नहीं रहे ? सबसे बड़ी बात यह है कि देश की आजादी का बहुत बड़ा श्रेय कांग्रेस को ही है। तो ऐसी कांग्रेस का अत्यंत निर्बल हो जाना य...
परीक्षाओं में कम अंक लाने वालों को शाबाशी ?

परीक्षाओं में कम अंक लाने वालों को शाबाशी ?

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सच में फिर से वही हो रहा है, जिसकी आशंका थी। जैसी ही सीबीएसई के 10 वीं और 12 वीं कक्षा के नतीजे आए, बस उसी समय अनेक ज्ञानी लोग मैदान में कूद  गए। ये ही वे प्रकांड ज्ञानी हैं जो हर बार की तरह अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की उपलब्धियों को कम करके आंक रहे हैं और उन विद्यार्थियों  को सांत्वना दे रहे हैं जिनके अपेक्षाकृत खराब अंक आए हैं।  ये अधिक अंक लेने वालों की मेहनत और निष्ठा पर लगभग पानी फेरते हुए यह कह रहे हैं कि यह कैसे हो सकता है कि किसी के 98 या 99 फीसद तक अंक आ जाएं?  यह सब कहते- हुए ये इस तथ्य की अनदेखी कर रहे हैं कि इन परीक्षाओं के परिणामों में हजारों बच्चे तो फेल भी हुए हैं। सैकड़ों के 40-50 पर्सेट तक ही अंक आए हैं।  क्या आप यकीन करेंगे कि कुछ कथित ज्ञानी तो यहां तक रहे हैं कि जिनके बेहतर अंक आए हैं उनमें से बहुत से आईआईटी, मेडिकल या फिर आईआईएम में जायेंगे, पर कोई भी न तो कोरो...