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आइये हम सभी अपने कचरे को सोने में बदले 

आइये हम सभी अपने कचरे को सोने में बदले 

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 गांधीजी ने कहा है- "इस दुनिया में हर व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है लेकिन हर किसी के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। आइए हम एक ऐसी दुनिया बनाने की आशा करें जहां नफरत, युद्ध, क्रोध और हिंसा के मामले में कचरा न हो।" लेकिन अपनों के लिए प्यार, करुणा, सहनशीलता और हाथ में हाथ डालकर चलने का वादा ही खजाना है। इस तरह, हम सभी अपने कचरे को सोने में बदल पाएंगे। -डॉ सत्यवान सौरभ  महान पुरुष वे हैं जो कचरे को सोने में बदलने में सक्षम होते हैं। उनके पास जीवन में उस व्यापक दृष्टि की क्षमता होती है जिससे वे प्रतिकूल परिस्थितियों में संभावित लाभों का पूर्वाभास कर सकते हैं। गांधी जी एक ऐसे नेता थे जो विपरीत परिस्थितियों में उठे, भारत के लिए एक आदर्श दृष्टि रखते थे और बिना किसी हथियार के अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़े, तब भी जब लोग सोचते थे कि एक अहिंसक आंदोलन...
वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है उत्तर प्रदेश

वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है उत्तर प्रदेश

Current Affaires, Today News, राज्य
मृत्युंजय दीक्षित  उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार प्रदेश को अपराधमुक्त, दंगामुक्त तथा  भयमुक्त  बनाने के बाद आर्थिक विकास के लिए संकल्पवान होकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लगातार कदम उठा रही है जिसका स्पष्ट परिणाम भी दिखलाई आता दिखाई दे रहा  है।  प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए  रखा एक ट्रिलियन डालर का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार काम कर रही है। फरवरी -2023 में लखनऊ में आयोजित होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही प्रदेश को निवेश के प्रस्ताव मिलने प्रारंभ  हो गए हैं। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए  प्रदेश के मुख्यमंत्री व कैबिनेट के अनेक मंत्री विदेशों का दौरा करने जा रहे हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पूर्व अभी दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गय...
राहुल गांधी जैसे विधर्मियों, ईसाईयो व कसाइयों को मठ-मंदिरों में प्रवेश से वंचित करो

राहुल गांधी जैसे विधर्मियों, ईसाईयो व कसाइयों को मठ-मंदिरों में प्रवेश से वंचित करो

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
राष्ट्र-चिंतन*   *आचार्य श्री विष्णुगुप्त*  राहुल गांधी अभी-अभी उज्जैन के महाकाल मंदिर में घुसा और दर्शन के नाम पर भरपूर मनोरंजन किया। राहुल गांधी के इस मनोरंजन खेल को न तो मूर्ख हिन्दू समझेंगे और न ही सेक्युलर हिन्दू समझेंगे, महाकाल जैसे मंदिरों के पुजारियों और मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी नहीं समझेंगे। उपर्युक्त टिप्पनियां सोशल मीडिया पर खूब चली, इस तरह की टिप्पणियों के सहचर लोगों का गुस्सा यह है कि राहुल गांधी जैसे विधर्मियों और गैर हिन्दुओं का प्रवेश मंदिरों और मठों में क्यों होना चाहिए? विधर्मियों और गैर हिन्दुओं का मठ-मंदिरों में प्रवेश उसी तरह से निषेध होना चाहिए जिस तरह से मक्का मदीना में गैर मुसलमानों का प्रवेश निषेध है। यानी कि अब स्वाभिमानी हिन्दू अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए मक्का-मदीना जैसा विकल्प चाहते हैं।            ईसाई और मु...
राहुल क्यों करे मोदी की नकल?

राहुल क्यों करे मोदी की नकल?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक लोकतंत्र में सभी नेताओं और दलों को स्वतंत्रता होती है कि यदि वे करना चाहें तो हर किसी की आलोचना करें लेकिन आजकल नेता लोग एक-दूसरे की निंदा करने और नकल करने में नए-नए प्रतिमान कायम कर रहे हैं। राहुल गांधी को देखकर लगता है कि नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी भाई-भाई हैं। हालांकि दोनों के बौद्धिक स्तर में ज्यादा फर्क नहीं है लेकिन मोदी के आलोचक भी मानते हैं कि राहुल के मुकाबले मोदी बहुत अधिक प्रभावशाली वक्ता हैं। वे जो बात भी कहते हैं, वह तर्कसंगत और प्रभावशाली होती है जबकि राहुल का बोला हुआ लोगों की समझ में ही नहीं आता। कई बार राहुल के मुंह से ऐसी बातें निकल जाती हैं, जो कांग्रेस पार्टी की परंपरागत नीति के विरुद्ध होती हैं। फिर भी राहुल की हरचंद कोशिश होती है कि वह मोदी के विकल्प की तरह दिखने लगें। राहुल ने मोदी की तरह अपनी दाढ़ी बढ़ा ली है। और बिल्कुल मोदी की तरह धोती लपे...
सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

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आर.के. सिन्हा सुप्रीम कोर्ट में देश की आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी सिर्फ अंग्रेजी में ही जिरह करने की अनिवार्यता बताना उन तमाम भारतीय भाषाओं की अनदेखी और अपमान ही माना जाएगा, जिसमें इस देश के करोड़ों लोग आपस में संवाद करते हैं। अंग्रेजी से किसी को ऐतराज़ भी नहीं है। अंग्रेजी एक तरह से विश्व संवाद की एक भाषा है और हमारे अपने देश में भी इसका हर स्तर पर उपयोग होता है। जहाँ ज़रूरी होने में हर्ज भी नहीं है। पर सुप्रीम कोर्ट में तो सिर्फ इसी का उपयोग किया जा सकता है। यह सही कैसे माना जाए? यह तो अंग्रेजों की गुलामी को दर्शाने वाली व्यवस्था है जो तत्काल खत्म होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में कुछ समय पहले ही एक अलग ही तरह का शर्मनाक मामला देखने को मिला जहां हिंदी में दलील दे रहे एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने टोक दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा जैसे ही अपने के...
दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है बैक्टीरियल इन्फेक्शन

दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है बैक्टीरियल इन्फेक्शन

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लैंसेट में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि ह्रदय रोग के बाद बैक्टीरियल इन्फेक्शन दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा है। ह्रदय रोगों में दिल का दौरा भी शामिल है। पता चला है कि 2019 में इन्फेक्शन की वजह से दुनिया भर में 1.37 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। मतलब कि हर आठ में से एक मौत के लिए यह इन्फेक्शन ही जिम्मेवार था। इनमें से 77 लाख मौतों के लिए केवल 33 जीवाणु रोगजनक जिम्मेदार थे, जोकि रोगाणुरोधी प्रतिरोधी और अतिसंवेदनशील दोनों ही हैं। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों में से 13.6 फीसदी मौतों के लिए यह 33 बैक्टीरियल पैथोजन ही जिम्मेदार हैं। वहीं यदि इससे होने वाली मृत्यु दर की बात करें तो वो प्रति लाख की आबादी पर 99.6 दर्ज की गई है।  यही वजह है कि जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित इस नई रिसर्च में 204 देशों में इन 33 जीवाणु रोगजनकों और 11 प्रकार के संक्रमणों...
अच्छी आदतों के निर्माण का संकल्प लें

अच्छी आदतों के निर्माण का संकल्प लें

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-ललित गर्ग- आज का इंसान नकारात्मक को ओढ़े नानाप्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है,हर इंसान अपनी आदतों को लेकर परेशान है। ऐसा नहीं है कि आज का आदमी समय के साथ चलना न चाहे, बुरे आचरण एवं आदतों को छोड़कर अच्छी जिन्दगी का सपना न देखे, बुराई को बुराई समझने के लिये तैयार न हो। सोचना यह है कि हम गहरे में जमंे संस्कारों एवं जड़ हो चुकी आदतों को कैसे दूर करें। जड़ तक कैसे पहुंचे। बिना जड़ के सिर्फ फूल-पत्तों का क्या मूल्य? अच्छा जीवन जीने एवं श्रेष्ठता के मुकाम तक पहुंचने के लिये अच्छी आदतों को स्वयं में सहेजना होगा, बाहरी अवधारणाओं को बदलना होगा, जीने की दिशाओं को मोड़ देना होगा। अंधेरा तभी तक डरावना है जब तक हाथ दीये की बाती तक न पहुंचे। जरूरत सिर्फ उठकर दीये तक पहुंचने की है।विलियम जेम्स ने अपनी पुस्तक ‘दि प्रिसिंपल ऑफ साइकोलॉजी’ में मनोवैज्ञानिक ढंग से चर्चा करते हुए लिखा है-‘अच्छा जीवन जीने क...
न्याय-व्यवस्थाः सुधार के संकेत

न्याय-व्यवस्थाः सुधार के संकेत

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सर्वोच्च न्यायालय में आए एक ताजा मामले ने हमारी न्याय-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है लेकिन उसने देश के सारे न्यायालयों को नया रास्ता भी दिखा दिया है। हमारी बड़ी अदालत में 1965 में डाॅ. राममनोहर लोहिया ने अंग्रेजी का बहिष्कार करके हिंदी में बोलने की कोशिश की थी लेकिन कल शंकरलाल शर्मा नामक एक व्यक्ति ने अपना मामला जैसे ही हिंदी में उठाया, सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों ने कहा कि वे हिंदी नहीं समझते। उनमें से एक जज मलयाली के एम. जोजफ थे और दूसरे थे बंगाली ​ऋषिकेश राय। उनका हिंदी नहीं समझना तो स्वाभाविक था और क्षम्य भी है लेकिन कई हिंदी भाषी जज भी ऐसे हैं, जो अपने मुवक्किलों और वकीलों को हिंदी में बहस नहीं करने देते हैं। उनकी भी यह मजबूरी मानी जा सकती है, क्योंकि उनकी सारी कानून की पढ़ाई-लिखाई अंग्रेजी में होती रही है। उन्हें नौकरियां भी अंग्रेजी के जरिए ही मिलत...
भारतीय सशस्त्र बलों के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण की आवश्यकता

भारतीय सशस्त्र बलों के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण की आवश्यकता

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भारत के पास रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिये एक उचित औद्योगिक आधार का अभाव है। हालाँकि तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा क्षेत्र स्थापित किये गए हैं जो निजी क्षेत्र को परिचालन के लिये आधार प्रदान करेंगे। इन क्षेत्रों की स्थापना और विनिर्माण कार्य शुरू किये जाने के बाद पूरी रक्षा अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी। रक्षा उद्योग में अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता के साथ सामरिक स्वायत्तता सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है, भू-राजनीति के बढ़ते चरण और विवैश्वीकरण के साथ, अनुसंधान एवं विकास में सुधार के माध्यम से रक्षा निर्माण में सुधार करना अनिवार्य हो जाता है। उभरते सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, सीमा पार साइबर हमले, ड्रोन हमले, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने के लिए कृत्रिम तकनीक का उपयोग जैसे नए खतरे उभर रहे हैं जिन्हें अनुसंधान एवं विकास...
आर्थिक विकास की दृष्टि से एक दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी

आर्थिक विकास की दृष्टि से एक दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी

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अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। भारत में केंद्र सरकार ने विनिर्माण के क्षेत्र में बड़े आकार की कई नई इकाईयों को स्थापित करने के उद्देश्य से हाल ही के समय में कई निर्णय लिए हैं, जिनका उचित परिणाम अब दिखाई देने लगा है। इनमे शामिल हैं, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, कम्पनियों द्वारा अदा की जाने वाली कर की राशि को 25 प्रतिशत तक कम करना और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना, ईज आफ डूइंग बिजिनेस के क्षेत्र में कई निर्णय लेना, आदि, शामिल हैं। इसके चलते चीन से विनिर्माण के क्षेत्र में कई इकाईयां भारत में अपना कार्य प्रारम्भ करने जा रही हैं। ...