आइये हम सभी अपने कचरे को सोने में बदले
गांधीजी ने कहा है- "इस दुनिया में हर व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है लेकिन हर किसी के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। आइए हम एक ऐसी दुनिया बनाने की आशा करें जहां नफरत, युद्ध, क्रोध और हिंसा के मामले में कचरा न हो।" लेकिन अपनों के लिए प्यार, करुणा, सहनशीलता और हाथ में हाथ डालकर चलने का वादा ही खजाना है। इस तरह, हम सभी अपने कचरे को सोने में बदल पाएंगे।
-डॉ सत्यवान सौरभ
महान पुरुष वे हैं जो कचरे को सोने में बदलने में सक्षम होते हैं। उनके पास जीवन में उस व्यापक दृष्टि की क्षमता होती है जिससे वे प्रतिकूल परिस्थितियों में संभावित लाभों का पूर्वाभास कर सकते हैं। गांधी जी एक ऐसे नेता थे जो विपरीत परिस्थितियों में उठे, भारत के लिए एक आदर्श दृष्टि रखते थे और बिना किसी हथियार के अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़े, तब भी जब लोग सोचते थे कि एक अहिंसक आंदोलन...