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केंद्र सरकार के उपक्रम बन रहे कमाऊ पूत

केंद्र सरकार के उपक्रम बन रहे कमाऊ पूत

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केंद्र सरकार के उपक्रम बन रहे कमाऊ पूत आज से एक दशक से अधिक समय पूर्व तक केंद्र सरकार के उपक्रमों को चलायमान बनाए रखने के लिए केंद्रीय बजट में भारी भरकम राशि का प्रावधान करना पड़ता था तथा इन उपक्रमों को केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती थी। परंतु, आज स्थिति एकदम बदल गई है एवं अब केंद्र सरकार के उपक्रम केंद्र सरकार को लाभांश के रूप में भारी भरकम राशि प्रदान कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों ने 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का लाभ अर्जित किया है। केंद्र सरकार के उपक्रमों में यह आमूलचूल परिवर्तन केंद्र में ईमानदार सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा निगमित अभिशासन से सम्बंधित नियमों का कड़ाई से अनुपालन कराए जाने के चलते ही सम्भव हो सका है। पूर्व में इन उपक्रमों में पनप रहे भ्रष्टाचार के चलते इन उपक्रमों की लाभप्रदता पर विपरीत प्रभाव पड़ता...
मन्दिरों में पैसे लेकर एवं वीआईपी दर्शन बन्द हो

मन्दिरों में पैसे लेकर एवं वीआईपी दर्शन बन्द हो

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मन्दिरों में पैसे लेकर एवं वीआईपी दर्शन बन्द हो-ः ललित गर्ग:- ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में पैसे लेकर दर्शन कराने वाले बाउंसरों की गिरफ्तारी के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में सुगम दर्शन के नाम पर एक साथ इक्कीस लोगों की गिरफ्तारी जहां मंदिर प्रशासन की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है, वही ईश्वर के दरबार में पांव फैला रहा भ्रष्टाचार गहन चिन्ताजनक एवं शर्मनाक हैं। कुछ ही दिनों पहले ओंकारेश्वर स्थित ममलेश्वर मंदिर में भक्तों से वीआइपी दर्शन के नाम पर अवैध वसूली करने पर प्रशासन ने एक होमगार्ड जवान और दो पंडितों पर कार्रवाई की है। देश-विदेश  के भक्त अगाध श्रद्धा से अपने आराध्य का दर्शन करने आते हैं, लेकिन देश के प्रमुख मन्दिरों में सीधे दर्शन कराने के नाम पर पैसों की लूट मची है या वीआईपी संस्कृति के नाम पर त्रासद एवं भेदभावपूर्ण स्थितियां पसरी है। सवाल यह पूछा जा रहा है कि हिंदुओं के धार्मिक स्थलों ...
पिता-पुत्र का रिश्ता बेजोड़ एवं विलक्षण है

पिता-पुत्र का रिश्ता बेजोड़ एवं विलक्षण है

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अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस- 15 जून, 2025पिता-पुत्र का रिश्ता बेजोड़ एवं विलक्षण है- ललित गर्ग- भारतीय संस्कृति में पिता का स्थान आकाश से भी ऊंचा माना गया है, पिता की धर्म है, पिता ही संबल है, पिता ही ताकत है। पिता हर संतान के लिए एक प्रेरणा हैं, एक प्रकाश हैं और संवेदनाओं के पुंज हैं। इसके महत्व को दर्शाने और पिता व पिता तुल्य व्यक्तियों के योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस यानी फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल 15 जून 2025 को भारत समेत विश्वभर में यह दिवस मनाया जायेगा। फादर्स डे 2025 का आधिकारिक थीम ‘पिताः लचीलेपन का पोषण और भविष्य को आकार देना’ है। यह थीम हमारे जीवन में पिताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है, जो बच्चों में सकारात्मक भावनाओं और सामाजिक विकास को बढ़ावा देते हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन और विविध...
बढ़ते प्रदूषण में यज्ञ परम्परा का योगदान

बढ़ते प्रदूषण में यज्ञ परम्परा का योगदान

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बढ़ते प्रदूषण में यज्ञ परम्परा का योगदान यज्ञ हमारी भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से चला आ रहा एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यज्ञ परम्परा का वर्णन हमारे प्राचीन वैदिक ग्रन्थों तथा ब्राह्मण ग्रन्थों में सविस्तार उपलब्ध होता है। सर्वाधिक वर्णन यजुर्वेद में प्राप्त होता है। प्राचीन समय में प्राकृतिक विपदाओं से बचने, अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने और तत्कालीन प्राकृतिक देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बहुतायत से यज्ञ किए जाते थे। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार ब्रह्माजी ने मानव को सहयोग देकर यज्ञ परम्परा को प्रारम्भ किया। ऋग्वेद में कहा गया है 'अग्रिमीडे पुरोहितं।Ó अग्रि को यज्ञ के मुँह की संज्ञा दी गई है अत: अग्रि में आहूति दी जाती है। यज्ञ ही विद्वानों के अनुसार श्रेष्ठतम कर्म है। गायत्री को माता तथा यज्ञ को पिता कहा गया है। विद्वानों ने यह भी कहा है 'यज्ञो वै विष्णु:वैदिककालीन प्राकृति...
भारतीय अध्यात्म जगत के महासूर्य हैं कबीर | संत कबीर जन्म जयन्ती- 11 जून, 2025

भारतीय अध्यात्म जगत के महासूर्य हैं कबीर | संत कबीर जन्म जयन्ती- 11 जून, 2025

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संत कबीर जन्म जयन्ती- 11 जून, 2025 भारतीय अध्यात्म जगत के महासूर्य हैं कबीर- ललित गर्ग - भारतीय संत परम्परा और संत-साहित्य में संत कबीर एक महान् हस्ताक्षर, समाज-सुधारक, अध्यात्म की सुदृढ़ परम्परा के संवाहक एवं अनूठे संत हैं। जब भारतीय समाज और धर्म का स्वरूप रूढ़ियों एवं आडम्बरों में जकड़ा एवं अधंकारमय था, एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांधता से जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी और दूसरी तरफ हिंदूओं के कर्मकांडों, विधानों एवं पाखंडों से धर्म-बल का हृास हो रहा था, तब संत कबीर एक रोशनी बनकर समाज को दिशा दी। कबीर ने मानव चेतना के विकास के हर पहलू को उजागर किया। श्रीकृष्ण, श्रीराम, महावीर, बुद्ध, जीसस के साथ-ही-साथ भारतीय अध्यात्म आकाश के अनेक संतों-आदि शंकराचार्य, नानक, रैदास, मीरा आदि की परंपरा में कबीर ने धर्म की त्रासदी एवं उसकी चुनौतियों को समाहित करने का अनूठा कार्य किया। जीवन का ऐसा कोई ...
राजनीति को नई दिशा देते विपक्षी दलों के नये चेहरें

राजनीति को नई दिशा देते विपक्षी दलों के नये चेहरें

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राजनीति को नई दिशा देते विपक्षी दलों के नये चेहरें- ललित गर्ग - सिंदूर ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान दुनिया से सहानुभूति बटोरने के लिये जहां विश्व समुदाय में अनेक भ्रम, भ्रांतिया एवं भारत की छवि को छिछालेदार करने में जुटा है, वहीं भारत का डर दिखा-दिखा कर ही पाक अनेक देशों से आर्थिक मदद मांग रहा है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए दुनिया के सामने भारत का पक्ष रखने के लिए केंद्र सरकार ने जिस तरह से सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया है और इन दलों में विपक्षी दलों के सांसद एवं नेताओं ने भारत का पक्ष बिना आग्रह, दुराग्रह एवं पूर्वाग्रह के दुनिया के सामने रखा, उसकी जितनी सराहना की जाये, कम है। इन विपक्षी नेताओं ने विदेश में भारतीय राष्ट्रवाद को सशक्त एवं प्रभावी तरीकों से व्यक्त किया। देश ने इन नेताओं को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते और एक लय में आगे बढ़ते देखा, जबकि संसद में वे केवल आपस में...
गांवों की राजनीति से शुरू होगा 2027 का सियासी महाकुंभ  

गांवों की राजनीति से शुरू होगा 2027 का सियासी महाकुंभ  

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गांवों की राजनीति से शुरू होगा 2027 का सियासी महाकुंभ   अजय कुमार,वरिष्ठ पत्रकार उत्तर प्रदेश में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव को राजनीतिक दलों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट कहा जा रहा है, क्योंकि इसके नतीजे आने के बाद ही प्रदेश की सियासी तस्वीर साफ होगी। चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए पूरी तैयारी शुरू कर दी है और जल्द ही अधिसूचना जारी करने की संभावना है। ऐसे में राजनीतिक दल भी अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं। पंचायत चुनाव से न केवल दलों की लोकल पकड़ का पता चलेगा, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए उनकी रणनीतियों की दिशा भी तय होगी। उत्तर प्रदेश के गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर जो सरगर्मी दिख रही है, उससे यह साफ हो गया है कि ये चुनाव प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका...
काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें

काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें

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काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें अंक नहीं, असल काबिलियत की पहचान अंक केवल एक व्यक्ति की किताबी जानकारी का प्रमाण होते हैं, न कि उसकी असल क्षमता का। असली काबिलियत जीवन की समस्याओं को हल करने, नई चीजें सीखने और परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता में होती है। हमें बच्चों को केवल अंकों की दौड़ में शामिल करने के बजाय उनकी व्यक्तिगत रुचियों, प्रतिभाओं और आत्मनिर्भरता को पहचानने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। बच्चों की शिक्षा का विषय हमेशा से ही समाज का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। माता-पिता और शिक्षक, दोनों ही बच्चों की सफलता के लिए चिंतित रहते हैं, लेकिन कई बार यह चिंता एक दबाव का रूप ले लेती है। विशेष रूप से अंक या ग्रेड के मामले में, यह दबाव बच्चों की मानसिक सेहत पर गहरा असर डाल सकता है। इस लेख में हम इस मुद्दे की जड़ तक जाने की कोशिश करेंगे कि कैसे अंक और काब...
आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम?

आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम?

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आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम?"प्रशासन से पॉपुलैरिटी तक: आईएएस अधिकारियों का डिजिटल सफर""आईएएस अधिकारी: सोशल मीडिया स्टार या सच्चे सेवक?" आईएएस अधिकारियों का सोशल मीडिया पर बढ़ता रुझान एक नई चुनौती बनता जा रहा है। वे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ट्विटर पर नीतियों से जुड़ी जानकारियाँ और प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कर रहे हैं, जो जागरूकता बढ़ा सकती हैं। लेकिन क्या यह डिजिटल स्टारडम उनकी वास्तविक प्रशासनिक जिम्मेदारियों से समझौता है? व्यक्तिगत छवि बनाने की होड़ में पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में एक संतुलन जरूरी है, जहां अधिकारी डिजिटल दुनिया में सक्रिय रहते हुए भी जनता की सेवा को प्राथमिकता दें। आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम? भारत में सिविल सेवा हमेशा से ही सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक रही है। एक आईएएस अधिकारी का दायित्व न केवल नीतियों को लागू कर...
ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन

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ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधनऑपरेशन सिन्दूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा हैआतंकवाद व उसको पोषित करने वालों को कड़ा संदेशमृत्युंजय दीक्षितपहलगाम की वीभत्स घटना और आपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई –बुद्ध पूर्णिमा के दिन देश को पहली बार संबोधित किया । पूरा देश इस संबोधन की सांस थामे प्रतीक्षा कर रहा था क्योंकि अचानक सीज फायर सुनकर सब हतप्रभ थे – ये क्या हुआ ? हम तो पाकिस्तान को जीत रहे थे? देश में अजीब सी छटपटाहट फ़ैल गई थी। प्रधानमंत्री आए, भारतवासियों से बात की और सब कुछ शीशे की तरह स्पष्ट हो गया। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद व पाकिस्तान पर भारत की रणनीति स्पष्ट करते हुए अपने देशवासियों के साथ साथ वैश्विक समुदाय को भी संबोधित किया और कुछ राष्ट्रों को उनके दोहरे रवैये पर कड़ा संदेश दिया।प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वप्रथम ऑपरेशन सिंदूर की अभूतपूर्व सफलता पर देशव...