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काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें

काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें

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काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें अंक नहीं, असल काबिलियत की पहचान अंक केवल एक व्यक्ति की किताबी जानकारी का प्रमाण होते हैं, न कि उसकी असल क्षमता का। असली काबिलियत जीवन की समस्याओं को हल करने, नई चीजें सीखने और परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता में होती है। हमें बच्चों को केवल अंकों की दौड़ में शामिल करने के बजाय उनकी व्यक्तिगत रुचियों, प्रतिभाओं और आत्मनिर्भरता को पहचानने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। बच्चों की शिक्षा का विषय हमेशा से ही समाज का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। माता-पिता और शिक्षक, दोनों ही बच्चों की सफलता के लिए चिंतित रहते हैं, लेकिन कई बार यह चिंता एक दबाव का रूप ले लेती है। विशेष रूप से अंक या ग्रेड के मामले में, यह दबाव बच्चों की मानसिक सेहत पर गहरा असर डाल सकता है। इस लेख में हम इस मुद्दे की जड़ तक जाने की कोशिश करेंगे कि कैसे अंक और काब...
आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम?

आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम?

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आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम?"प्रशासन से पॉपुलैरिटी तक: आईएएस अधिकारियों का डिजिटल सफर""आईएएस अधिकारी: सोशल मीडिया स्टार या सच्चे सेवक?" आईएएस अधिकारियों का सोशल मीडिया पर बढ़ता रुझान एक नई चुनौती बनता जा रहा है। वे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ट्विटर पर नीतियों से जुड़ी जानकारियाँ और प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कर रहे हैं, जो जागरूकता बढ़ा सकती हैं। लेकिन क्या यह डिजिटल स्टारडम उनकी वास्तविक प्रशासनिक जिम्मेदारियों से समझौता है? व्यक्तिगत छवि बनाने की होड़ में पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में एक संतुलन जरूरी है, जहां अधिकारी डिजिटल दुनिया में सक्रिय रहते हुए भी जनता की सेवा को प्राथमिकता दें। आईएएस अधिकारी: ड्यूटी या डिजिटल स्टारडम? भारत में सिविल सेवा हमेशा से ही सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक रही है। एक आईएएस अधिकारी का दायित्व न केवल नीतियों को लागू कर...
ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन

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ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधनऑपरेशन सिन्दूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा हैआतंकवाद व उसको पोषित करने वालों को कड़ा संदेशमृत्युंजय दीक्षितपहलगाम की वीभत्स घटना और आपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई –बुद्ध पूर्णिमा के दिन देश को पहली बार संबोधित किया । पूरा देश इस संबोधन की सांस थामे प्रतीक्षा कर रहा था क्योंकि अचानक सीज फायर सुनकर सब हतप्रभ थे – ये क्या हुआ ? हम तो पाकिस्तान को जीत रहे थे? देश में अजीब सी छटपटाहट फ़ैल गई थी। प्रधानमंत्री आए, भारतवासियों से बात की और सब कुछ शीशे की तरह स्पष्ट हो गया। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद व पाकिस्तान पर भारत की रणनीति स्पष्ट करते हुए अपने देशवासियों के साथ साथ वैश्विक समुदाय को भी संबोधित किया और कुछ राष्ट्रों को उनके दोहरे रवैये पर कड़ा संदेश दिया।प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वप्रथम ऑपरेशन सिंदूर की अभूतपूर्व सफलता पर देशव...
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई - डॉ सत्यवान सौरभ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के 9 ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकवादी संगठनों के हेडक्वार्टर भी शामिल थे। भारतीय सेना ने 100 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकवादी अड्डों पर सटीक एयरस्ट्राइक की। साथ ही, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया। इस ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जय हिंद! भारत ने हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक सैन्य ऑपरेशन "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम दिया, जो केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारतीय सेना की ताकत, साहस और...
(संघर्ष से शांति तक का सफर) “युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर”

(संघर्ष से शांति तक का सफर) “युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर”

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(संघर्ष से शांति तक का सफर) "युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर" 10 मई 2025 को, भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की, जो हाल के वर्षों में सबसे गंभीर संघर्ष के बाद हुआ। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सैन्य तनाव बढ़ा था। अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद, दोनों देशों ने इस संघर्ष को समाप्त करने का निर्णय लिया। हालांकि, सीमा पर स्थायी शांति अभी भी एक बड़ी चुनौती है। सच्ची शांति तब तक संभव नहीं है जब तक कि दोनों देश आपसी विश्वास, संवाद और सहयोग को प्राथमिकता न दें। युद्धविराम केवल एक कदम है, पर स्थायी शांति की दिशा में कई और कदम बढ़ाने की जरूरत है। Pakistan will have to give up its anti-India policy in the interest of its citizens भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध हमेशा से...
संपूर्ण सनातन भारत ही ‘चेतना’ का लक्ष्य: राजेश चेतन

संपूर्ण सनातन भारत ही ‘चेतना’ का लक्ष्य: राजेश चेतन

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धरती को जहन्नुम बना कर जन्नत के जो सपने दिखाए वो 'काफिर' 'इस्लाम और विश्व शांति' व्याख्यान का आयोजन गले-सड़े कानूनों को तत्काल बदलने की जरूरत संपूर्ण सनातन भारत ही 'चेतना' का लक्ष्य: राजेश चेतन नई दिल्ली। संस्कार को अपनी वास्तविक धरोहर और संपूर्ण सनातन भारत को ही मूल लक्ष्य मानने वाली संस्था चेतना ने राष्ट्रवाद की लौ को और प्रखर करने के लिए रोहिणी में 'इस्लाम और विश्व शांति' व्याख्यान का आयोजन किया। लाला पन्ना लाल सिंघल स्मृति व्याख्यानमाला की यह नौवीं कड़ी थी। जाने माने उद्योगपति अनिल सिंघल व्याख्यान के स्वागताध्यक्ष रहे।ज्वलंत विषय पर वक्ताओं के तथ्यपूर्ण व तार्किक संबोधन से राष्ट्रवाद की भावनाओं का ऐसा सैलाब आया जो सभागार में मौजूद हर किसी को अपने साथ बहा ले गया।वक्ताओं का ओज, आक्रोश और आक्रामक तेवर इस कदर हावी हुए कि बार-बार भारत माता की जय, वंदेमातरम के नारे गूंजते रहे।वक...
“सैनिकों का सम्मान: समर्पण और बलिदान की पहचान”

“सैनिकों का सम्मान: समर्पण और बलिदान की पहचान”

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"सैनिकों का सम्मान: समर्पण और बलिदान की पहचान" हमारे सैनिक, जो सीमाओं पर अपने प्राणों की बाजी लगाते हैं, हमारे असली नायक हैं। युद्ध की आशंका में लौटते सैनिकों को ट्रेन में सीट दें, सड़क पर मिलें तो अपने वाहन से आगे छोड़ें, और होटलों में निशुल्क ठहरने की सुविधा दें। उनका सम्मान हमारा कर्तव्य है, न कि महज़ औपचारिकता। जहाँ भी मिले, सलाम करें – देश में इनसे बढ़कर कुछ नहीं। देवताओं के लिए भंडारे लगाते हो तो इन सैनिकों को भी माँ जैसा सम्मान दो। कहना कि ये तो सरकारी तनख्वाह लेते हैं, एक अपराध है। तनख्वाह सभी कर्मचारी लेते हैं, लेकिन ये अपने जीवन की बाजी लगाते हैं, अपने घर-परिवार से दूर रहते हैं, और हमारी सुरक्षा के लिए हर कठिनाई सहते हैं। आइए, इस परंपरा को मजबूत करें और सैनिकों का मान बढ़ाएं। जय हिंद! हमारे देश के सैनिक, जो सीमाओं पर अपने प्राणों की आहुति देकर हमारी रक्षा करते हैं, केव...
“सोशल मीडिया पर देशविरोध का कारोबार: अभिव्यक्ति की आज़ादी या एजेंडा मार्केटिंग?”

“सोशल मीडिया पर देशविरोध का कारोबार: अभिव्यक्ति की आज़ादी या एजेंडा मार्केटिंग?”

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"सोशल मीडिया पर देशविरोध का कारोबार: अभिव्यक्ति की आज़ादी या एजेंडा मार्केटिंग?" (पेआउट के बदले देशविरोध? अब नहीं चलेगा!)  सोशल मीडिया पर 'पेआउट' लेकर भारत को बदनाम करने वालों की अब खैर नहीं। IT एक्ट 2000 और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड 2021 के तहत सरकार ने सख़्त रुख अपनाया है। अब देशविरोधी कंटेंट पर न तो चुप्पी होगी, न छूट। अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर अफवाह फैलाने और एजेंडा चलाने वालों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। ये तय नहीं होगा कि आप किस पार्टी के समर्थक हैं, बल्कि ये देखा जाएगा कि आपके विचार भारत की अखंडता के साथ हैं या उसके खिलाफ़। अब पोस्ट से पहले सोचिए – देश पहले है, लोकप्रियता नहीं! आज सोशल मीडिया एक ऐसा हथियार बन चुका है, जिसकी धार किसी तलवार से कम नहीं। यह धार विचारों की है, भावनाओं की है और सबसे खतरनाक — अफ़वाहों की भी। अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर पिछले कुछ वर्षों में...
सिंदूर की सौगंध: एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच

सिंदूर की सौगंध: एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच

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एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच सिंदूर की सौगंध: 'एक था पाकिस्तान' की गूंज "एक था पाकिस्तान" – ये केवल तीन शब्द नहीं, बल्कि इतिहास की एक गहरी दास्तां है। यह उस विभाजन का प्रतीक है, जिसने दिलों को तोड़ा और घरों को उजाड़ा। लेकिन क्या हमें हमेशा इस नफरत के जाल में फंसे रहना चाहिए? हमें न केवल बाहरी दुश्मनों से, बल्कि अपने भीतर की नफरत से भी लड़ना होगा। तभी एक दिन हम गर्व से कह सकेंगे – हाँ, 'एक था पाकिस्तान', और हम थे, हैं, और रहेंगे – एक, अखंड, अविनाशी भारत। 'एक था पाकिस्तान' - यह केवल तीन शब्द नहीं हैं, बल्कि यह उन अनगिनत कुर्बानियों, टूटे सपनों और संघर्षों की कहानी है, जो भारतीय सभ्यता के दिल में गहरे तक समाई हुई हैं। जब हम यह वाक्य सुनते हैं, तो न केवल एक भूगोल का जिक्र होता है, बल्कि एक पूरी जड़ें, एक परिवार, एक संस्कृति, और एक सपना जो कभी हमारे अपने हिस्से ...
जो कहा वो किया – आपरेशन सिंदूर

जो कहा वो किया – आपरेशन सिंदूर

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जो कहा वो किया - आपरेशन सिंदूरमृत्युंजय दीक्षितअप्रैल 22, 2025 पहलगाम में 26-निहत्थे निर्दोष हिन्दुओं की धर्म पूछकर हत्या से पूरा देश आहत था। दुःख और क्रोध दोनों चरम पर थे। गृहमंत्री अमित शाह समाचार मिलते ही घटनास्थल पर पहुँच गए। प्रधानमंत्री अपनी विदेश यात्रा संक्षिप्त कर स्वदेश लौटे। अगले ही दिन मधुबनी रैली में घोषणा की, इस बार ऐसा दंड मिलेगा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी, इस संकल्प को उन्होंने अपने मन की बात कार्यक्रम में दोहराया। गृहमुंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री के संकल्प को बल देते हुए कहा, “हम एक - एक आतंकी को चुन- चुन कर मारेंगे“ और अंत में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि ये मेरा उत्तरदायित्व है कि देशवासी जो कुछ चाहते हैं वह सब कुछ मोदी सरकार में होकर रहेगा। इन वक्तव्यों के पीछे सरकार और सेना के सभी संकल्पबद्ध राष्ट्रभक्त सामरिक और रणनीतिक तैयारियां कर रहे थे।पहलगा...