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गांवों में बदलता ऋण का स्तर

गांवों में बदलता ऋण का स्तर

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हमारे देश भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में ऋण का बढ़ता स्तर चिंता का विषय है।कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) ऐसी स्थिति के बावजूद दांव आजमाने की कोशिश करते हुए हालात को और जटिल बना रही हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ‘दबाव देकर दिए जाने वाले ऋण’ के बढ़ते मामले पर अब ध्यान देना शुरू किया है। ऐसे ऋणों की मार्केटिंग बेहद आक्रामक तरीके से ऐसे की जाती है कि ऋण लेने वाले इनके दीर्घकालिक वित्तीय परिणामों से वाकिफ नहीं हो पाते हैं। ऋण संकट के मूल कारणों में से एक, देश के ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसरों का अभाव है। आर्थिक वृद्धि का लाभ भी पर्याप्त रूप से रोजगार सृजन में नहीं दिखा है, खासतौर पर गैर-कृषि क्षेत्रों में। ऋण की आसान पहुंच और चौबीस घंटे डिलिवरी सेवाओं के प्रसार से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत की स्थिति बढ़ी है। लोगों को ...
क्या विकास के पैसे सही दिशा में ख़र्च होते हैं?

क्या विकास के पैसे सही दिशा में ख़र्च होते हैं?

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विनीत नारायणबन्जर भूमि, मरूभूमि व सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए केंन्द्र सरकार हजारों करोड़ रूपया प्रान्तीय सरकारोंको देती आई है। जिले के अधिकारी और नेता मिली भगत से सारा पैसा डकार जाते हैं। झूठे आंकड़े प्रान्त सरकार केमाध्यम से केन्द्र सरकार को भेज दिये जाते हैं पर इस विषय के जानकारों को कागजी आंकड़ों से गुमराह नहीं किया जासकता। आज हम उपग्रह कैमरे से हर राज्य की जमीन का चित्र देख कर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जहां-जहां सूखीजमीन को हरी करने के दावे किये गये, वो सब कितने सच्चे हैं।दरअसल यह कोई नई बात नहीं है। विकास योजनाओं के नाम पर हजारों करोड़ रूपया इसी तरह वर्षों से प्रान्तीयसरकारों द्वारा पानी की तरह बहाया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का यह जुमला अब पुराना पड़ गया किकेन्द्र के भेजे एक रूपये मे से केवल 14 पैसे जनता तक पहुंचते हैं। सूचना का अधिकार कानून भी ...
कांग्रेस : जमानत पर हैं,तो एन्जॉय करिए

कांग्रेस : जमानत पर हैं,तो एन्जॉय करिए

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कांग्रेस ने हार से क्या सीखा? या कांग्रेस की हार के क्या कारण रहे पर बहस जारी है। जो सामान्य बात निकलकर आई है वो यह है – “भ्रष्टाचार के कारण देशभर में हुई बदनामी से सत्ता गंवाने के बावजूद कांग्रेस ने सबक नहीं सीखा है।“ कांग्रेस के केंद्र और ज्यादातर राज्यों से सत्ता बाहर होने के कारणो एक प्रमुख कारण भ्रष्टाचार रहा है। कर्नाटक कांग्रेस की सरकार के जमीनों में बंदरबांट इसका नया उदाहरण है। इसके चलते मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष मारी गौड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उल्लेखनीय है कि उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएन पार्वती और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ चल रहे भूमि घोटाले की जांच राज्य और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर लोकायुक्त और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच...
नवरात्रि से इतर रामलीला का विस्तार हो

नवरात्रि से इतर रामलीला का विस्तार हो

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नवरात्रि महोत्सव शक्ति साधना के अतिरिक्त पूरे देश में रामलीला की सशक्त पहचान है। हमारे दैनिक जीवन, परम्पराओं, रीति-रिवाजों और जीवन मूल्यों पर देवी-देवताओं का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। इस अवधि में इन देवी-देवताओं की आस्था का अभिकेन्द्र भगवान श्रीराम रहे हैं। तीन अक्तूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो गए॰थे,जो सम्पूर्णता की ओर है । इस दौरान देश के विभिन्न कस्बों और गांवों में रामलीला का मंचन भी हुआ। जिसमें भगवान श्रीराम की जीवन यात्रा का नाटकीय रूप से प्रस्तुतीकरण किया जाता है। हर जगह रामलीला में स्थानीय कलाकार पारम्परिक वेशभूषा धारण करके रामायण के पात्रों को जीवंत करते हैं। इस लोक नाट्य रूप में मंचित रामलीला में गीत, संगीत, नृत्य और संवाद के माध्यम से भगवान राम की कथा का मंचन किया जाता है। यह रामलीला लोगों को भगवान राम के आदर्श जीवन की स्मृति दिलाती है और समाज को धर्म और मर्यादा ...
जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

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जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।। बच्चों के विकास में, शिक्षकों की आदर्श भूमिका सही मूल्यों और गुणों के प्रवर्तक और प्रेरक की होनी चाहिए। इस प्रकार, छात्रों को ज्ञान सीधे चम्मच खिलाने के बजाय, उन्हें बच्चों में पूछताछ, तर्कसंगतता की भावना विकसित करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे अपने दम पर, जुनून के साथ सीखने के लिए सशक्त महसूस करें। साथ ही, शिक्षकों को अच्छे नैतिक मूल्यों जैसे सत्य, ईमानदारी, अनुशासन, नम्रता, धार्मिक सहिष्णुता, लिंग समानता आदि को बच्चों में विकसित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि अच्छे इंसानों की नींव रखी जा सके। यह हमारे समाज का कड़वा सच है कि कुछ शिक्षकों में वास्तव में पढ़ाने के लिए जुनून और ज्ञान नहीं है, ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे बिहार के स्कूलों में क्या हो रहा है, अगर शिक्षक में शिक्षण की गुणवत्ता की कमी है तो हम छात्रों से ...
राहुल बाबा की चक्रव्यूह रचना

राहुल बाबा की चक्रव्यूह रचना

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यह समझना मुश्किल है कि कांग्रेस की विरासत ही कांग्रेस के विपरीत है या राहुल गांधी का फोकस कहीं और है। वैसे तो नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को संसद में बजट पर बोलना था, लेकिन उन्होंने महाभारत कालीन चक्रव्यूह का नया रूपक ही गढ़ दिया। हजारों साल पुराने चक्रव्यूह में अभिमन्यु को घेर कर मार दिया गया था। उसका नियंत्रण द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, कृतवर्मा, अश्वत्थामा और शकुनि के हाथों में था। राहुल गांधी के मुताबिक़ आज का चक्रव्यूह भी प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, सरसंघचालक मोहन भागवत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल आदि आठ हाथों में है। दो शेष नाम देश के बड़े उद्योगपतियों के हैं, जिनका नाम सदन में नहीं लिया जा सकता था। स्पीकर ओम बिरला ने भी नियमों का हवाला दिया, लेकिन राहुल गांधी उनका एक बार नाम ले चुके थे। फिर उन्हें ए-1, ए-2 नामकरण दिया। सवाल यह है कि राहुल गांधी ने य...
कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी

कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
मृत्युंजय दीक्षितविगत दो वर्षों से विशेषकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ता प्राप्ति और फिर लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीत लेने के बाद राहुल गांधी और इंडी गठबंधन हर समय जाति जाति कर रहा है। संभवतः उन्हें लग रहा है कि जातिगत आरक्षण ही एक ऐसा बड़ा हथियार है जिसके माध्यम से जातियों में विभाजित हिंदू समाज को आपस में लड़ाकर भारतीय जनता पार्टी राजनैतिक रूप से पराजित किया जा सकता है और कांग्रेस के अच्छे दिन वापस लाये जा सकते हैं।राहुल गांधी अपनी तथाकथित न्याय यात्रा के दौरान हर जनसभा में जाति का मुद्दा उठाते रहे हैं यहां तक कि वो पत्रकार वार्ता में पत्रकारों और उनके मालिकों की जाति पूछते रहे हैं। राहुल गांधी सेना प्रमुखों की जाति पूछ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जाति के नाम पर अपमान करते रहे हैं। राहुल गांधी बहुत ही भद्दे तरीके से अपनी रैलियों में कहा करते हैं कि प्रधनमंत्री मोदी ओबीसी...
महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस से क्यों डरा रहता है विपक्ष?

महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस से क्यों डरा रहता है विपक्ष?

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आर.के. सिन्हा  लोकसभा चुनावों के नतीजे आने और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार बनने के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी अक्टूबर के महीने होने वाले चुनाव हैं। भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था की जान है महाराष्ट्र। इसलिए सारे देश की निगाहें महाराष्ट्र पर लगी रहती हैं।   वहीं राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति भी गरमा चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप के नियमित दौर चल रहे हैं। महाराष्ट्र का विपक्ष महाविकास आघाडी राज्य के उस नेता पर आरोप लगा रहे हैं, जिसने राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश का चौतरफा विकास करवाया। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के शिखर भाजपा नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की। देवेंद्र फडणवीस   राज्य के एक बड़े नेता होने के साथ ही काफी दूरदर्शी और अनुभवी रणनीतिकार के रूप में भी जाने जाते हैं। वह कई ब...
बढ़ती आबादी के बीच गंभीर होती पर्यावरण चुनौतियां

बढ़ती आबादी के बीच गंभीर होती पर्यावरण चुनौतियां

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-ः ललित गर्ग:- संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आबादी 2060 के दशक में 1 अरब 70 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है, जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जा रही है, पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं गंभीर चुनौती बनती जा रही है। हमें संसाधनों के विस्तार एवं विकास की योजनाओं के बीच पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, आवास, उद्योग, परिवहन आदि विकास योजनाओं को लागू करते हुए प्रकृति, पर्यावरण एवं जलवायु पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। हर विकास के अपने सकारात्मक और नकारात्मक नतीजे होते हैं। सभी विकास योजनाओं में पर्यावरण का ख्याल रखना जरूरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया गया तो यह मनुष्य के लिये विनाश एवं विध्वंस का कारण बनेगी। वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के साथ-साथ तीसरी बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनने की ओर अग्रसर होते...
ख़तरा : डार्क वेब और डीप वेब

ख़तरा : डार्क वेब और डीप वेब

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इस समय साइबर दुनिया में चर्चा का विषय है ”डार्क वेब” । इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है| डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। हक़ीक़त में हम इंटरनेट कंटेंट के केवल चार प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डार्क वेब इंटरनेट का ऐसा एक हिस्सा है जिसे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है। डार्क वेब को आम तौर पर गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। लंदन में किंग्स कॉलेज के शोधकर्ता डैनियल मूर और थॉमस रिड ने 2015 में 5 सप्ताह तक 2723 लाइव डार्क वेब साइट्स की सामग्री को नजर रखी और पाया कि 57 प्रतिशत में अवैध सामग्री मौजूद थी। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आते हैं। डार्क वेब को खोलन...