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जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

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जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।। बच्चों के विकास में, शिक्षकों की आदर्श भूमिका सही मूल्यों और गुणों के प्रवर्तक और प्रेरक की होनी चाहिए। इस प्रकार, छात्रों को ज्ञान सीधे चम्मच खिलाने के बजाय, उन्हें बच्चों में पूछताछ, तर्कसंगतता की भावना विकसित करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे अपने दम पर, जुनून के साथ सीखने के लिए सशक्त महसूस करें। साथ ही, शिक्षकों को अच्छे नैतिक मूल्यों जैसे सत्य, ईमानदारी, अनुशासन, नम्रता, धार्मिक सहिष्णुता, लिंग समानता आदि को बच्चों में विकसित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि अच्छे इंसानों की नींव रखी जा सके। यह हमारे समाज का कड़वा सच है कि कुछ शिक्षकों में वास्तव में पढ़ाने के लिए जुनून और ज्ञान नहीं है, ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे बिहार के स्कूलों में क्या हो रहा है, अगर शिक्षक में शिक्षण की गुणवत्ता की कमी है तो हम छात्रों से ...
राहुल बाबा की चक्रव्यूह रचना

राहुल बाबा की चक्रव्यूह रचना

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यह समझना मुश्किल है कि कांग्रेस की विरासत ही कांग्रेस के विपरीत है या राहुल गांधी का फोकस कहीं और है। वैसे तो नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को संसद में बजट पर बोलना था, लेकिन उन्होंने महाभारत कालीन चक्रव्यूह का नया रूपक ही गढ़ दिया। हजारों साल पुराने चक्रव्यूह में अभिमन्यु को घेर कर मार दिया गया था। उसका नियंत्रण द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, कृतवर्मा, अश्वत्थामा और शकुनि के हाथों में था। राहुल गांधी के मुताबिक़ आज का चक्रव्यूह भी प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, सरसंघचालक मोहन भागवत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल आदि आठ हाथों में है। दो शेष नाम देश के बड़े उद्योगपतियों के हैं, जिनका नाम सदन में नहीं लिया जा सकता था। स्पीकर ओम बिरला ने भी नियमों का हवाला दिया, लेकिन राहुल गांधी उनका एक बार नाम ले चुके थे। फिर उन्हें ए-1, ए-2 नामकरण दिया। सवाल यह है कि राहुल गांधी ने य...
कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी

कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
मृत्युंजय दीक्षितविगत दो वर्षों से विशेषकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ता प्राप्ति और फिर लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीत लेने के बाद राहुल गांधी और इंडी गठबंधन हर समय जाति जाति कर रहा है। संभवतः उन्हें लग रहा है कि जातिगत आरक्षण ही एक ऐसा बड़ा हथियार है जिसके माध्यम से जातियों में विभाजित हिंदू समाज को आपस में लड़ाकर भारतीय जनता पार्टी राजनैतिक रूप से पराजित किया जा सकता है और कांग्रेस के अच्छे दिन वापस लाये जा सकते हैं।राहुल गांधी अपनी तथाकथित न्याय यात्रा के दौरान हर जनसभा में जाति का मुद्दा उठाते रहे हैं यहां तक कि वो पत्रकार वार्ता में पत्रकारों और उनके मालिकों की जाति पूछते रहे हैं। राहुल गांधी सेना प्रमुखों की जाति पूछ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जाति के नाम पर अपमान करते रहे हैं। राहुल गांधी बहुत ही भद्दे तरीके से अपनी रैलियों में कहा करते हैं कि प्रधनमंत्री मोदी ओबीसी...
महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस से क्यों डरा रहता है विपक्ष?

महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस से क्यों डरा रहता है विपक्ष?

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आर.के. सिन्हा  लोकसभा चुनावों के नतीजे आने और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार बनने के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी अक्टूबर के महीने होने वाले चुनाव हैं। भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था की जान है महाराष्ट्र। इसलिए सारे देश की निगाहें महाराष्ट्र पर लगी रहती हैं।   वहीं राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति भी गरमा चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप के नियमित दौर चल रहे हैं। महाराष्ट्र का विपक्ष महाविकास आघाडी राज्य के उस नेता पर आरोप लगा रहे हैं, जिसने राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश का चौतरफा विकास करवाया। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के शिखर भाजपा नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की। देवेंद्र फडणवीस   राज्य के एक बड़े नेता होने के साथ ही काफी दूरदर्शी और अनुभवी रणनीतिकार के रूप में भी जाने जाते हैं। वह कई ब...
बढ़ती आबादी के बीच गंभीर होती पर्यावरण चुनौतियां

बढ़ती आबादी के बीच गंभीर होती पर्यावरण चुनौतियां

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
-ः ललित गर्ग:- संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आबादी 2060 के दशक में 1 अरब 70 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है, जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जा रही है, पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं गंभीर चुनौती बनती जा रही है। हमें संसाधनों के विस्तार एवं विकास की योजनाओं के बीच पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, आवास, उद्योग, परिवहन आदि विकास योजनाओं को लागू करते हुए प्रकृति, पर्यावरण एवं जलवायु पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। हर विकास के अपने सकारात्मक और नकारात्मक नतीजे होते हैं। सभी विकास योजनाओं में पर्यावरण का ख्याल रखना जरूरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया गया तो यह मनुष्य के लिये विनाश एवं विध्वंस का कारण बनेगी। वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के साथ-साथ तीसरी बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनने की ओर अग्रसर होते...
ख़तरा : डार्क वेब और डीप वेब

ख़तरा : डार्क वेब और डीप वेब

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
इस समय साइबर दुनिया में चर्चा का विषय है ”डार्क वेब” । इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है| डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। हक़ीक़त में हम इंटरनेट कंटेंट के केवल चार प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डार्क वेब इंटरनेट का ऐसा एक हिस्सा है जिसे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है। डार्क वेब को आम तौर पर गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। लंदन में किंग्स कॉलेज के शोधकर्ता डैनियल मूर और थॉमस रिड ने 2015 में 5 सप्ताह तक 2723 लाइव डार्क वेब साइट्स की सामग्री को नजर रखी और पाया कि 57 प्रतिशत में अवैध सामग्री मौजूद थी। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आते हैं। डार्क वेब को खोलन...
जातीय संघर्ष में ‘सुलगता’ मणिपुर

जातीय संघर्ष में ‘सुलगता’ मणिपुर

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण
जातीय संघर्ष में 'सुलगता' मणिपुर बीते दो-तीन महीने से मणिपुर में जातीय संघर्ष लगातार जारी है। इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है, इस राज्य का जातीय हिंसा से पुराना नाता रहा है, और इसी जातीय गुटबंदी का परिणाम रहा है कि कुकी-नागा, मैतेई- पंगाल मुस्लिम, कुकी-कार्बी, हमार-दिमासा, कुकी-तमिल, और व्यापारियों के विरुद्ध हुई संघर्ष को यहाँ वर्षों से देखा गया है। दरअसल, मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब का दर्जा दिया जाए। मणिपुर में तनाव तब और बढ़ गया जब कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय की आधिकारिक जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध करना शुरू कर दिया। यह विवाद मणिपुर के मैतेई बहुसंख्यकों और कुकी-ज़ो के बीच दुश्मनी से उपजा है। कुकी-ज़ो राज्य के ई जनजातीय समूहों में से एक है, जो राज्य की आबादी का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा हैं। -प्रियंका सौरभ ...
लंबित मामले- मिले समाचार वाचिका, सलमान रुश्दी जैसों को न्याय

लंबित मामले- मिले समाचार वाचिका, सलमान रुश्दी जैसों को न्याय

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आर.के. सिन्हा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटना हाई कोर्ट के 100 साल पूरा होने के मौके पर देश की अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई थी। यह बात 2016 की है। वे जब अपना वक्तव्य दे रहे थे तब देश के चोटी के वकील, जज और अन्य गणमान्य लोग वहां मौजूद थे। सारा देश जानता है कि देश की निचली से लेकर उच्चतम न्यायालयों तक में मामलों की संख्या लाखों-करोड़ों हो चुकी है और बढ़ती ही चली जा रही है। इस कारण न्याय पाने वालों को अभूतपूर्व देरी का सामना करना पड़ रहा है। उम्मीद करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री के रूप में अपनी तीसरी पारी में   मोदी जी लंबित मामलों से जूझ रही देश की न्याय व्यवस्था में सुधार करेंगे। अगर यह होता है, तो डॉ. शीला मेहरा जैसे करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी।  देवकी नंदन पांडे, विनोद कश्यप और अशोक वाजपेयी जैसे दिग्गज हिन्द...
नये भारत में बदलाव के कानून, न्याय की ओर

नये भारत में बदलाव के कानून, न्याय की ओर

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-ः ललित गर्ग:-भारतीय न्याय प्रणाली की कमियां को दूर करते हुए उसे अधिक चुस्त, त्वरित एवं सहज सुलभ बनाना नये भारत की अपेक्षा है। मतलब यह सुनिश्चित करने से है कि सभी नागरिकों के लिये न्याय सहज सुलभ महसूस हो, कानूनी प्रावधान न्यायसंगत एवं अपराध-नियंत्रण का माध्यम हो, वह आसानी से मिले, जटिल प्रक्रियाओं से मुक्त होकर सस्ता हो। निश्चित रूप से किसी भी कानून का मकसद नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति व अधिकारों की रक्षा करना ही होता है। जिससे किसी सभ्य समाज में न्याय की अवधारणा पुष्ट हो सके। 1 जुलाई, 2024 से भारत आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। न्याय का एक नया सूरज उदित हो रहा है, जब पूरे देश में लागू हुई भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य संहिता को लेकर उम्मीद करनी चाहिए कि यह बदलाव न्याय की कसौटी पर खरा उतरेंगे। इस दृष्टि से यह कानून से ज...
सोनाक्षी औऱ इकबाल की शादी :रोमांचक किंतु चुनौतीपूर्ण होते हैं ऐसे विवाह – अनुज अग्रवाल

सोनाक्षी औऱ इकबाल की शादी :रोमांचक किंतु चुनौतीपूर्ण होते हैं ऐसे विवाह – अनुज अग्रवाल

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शादी कहने को तो निजी मामला है पर हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में यह स्त्री एवं पुरुष के शारीरिक संबंधों को सामाजिक स्वीकृति से अधिक सामाजिक , आत्मिक एवं आध्यात्मिक आयाम लिए हुए है। भारत में विवाह दो व्यक्तियों का नहीं दो परिवारों का होता है। ऐसे में हिंदू फ़िल्म अभिनेत्री सोनाक्षी अगर एक मुस्लिम युवक इकबाल से विवाह बंधन में बंधे तो यह केवल चर्चा का मुद्दा बन जाता है बल्कि अनेक विवादों को भी जन्म दे देता है। शुद्ध हिन्दुवादियों के लिए “लव जिहाद “ का एक उदाहरण है जिसमें अनुमान लगाए जा रहे हैं कि यह एक “कॉंट्रैक्ट मैरिज” जैसा भी कुछ पका है (जिसके लिए सोनाक्षी को बड़ी रक़म जिहादियों द्वारा दी गई है) जो तीन साल बाद समाप्त हो जाएगी किंतु इससे प्रेरित होकर हज़ारों हिंदू युवतियाँ मुस्लिम युवकों से शादी करने के लिए प्रेरित हो सकती हैं और “लव जिहाद” की शिकार हो सकती हैं। कट्टर मुस्ल...