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श्रीकृष्ण-भक्ति के दिव्य एवं अलौकिक प्रतीक हैं सूरदास

श्रीकृष्ण-भक्ति के दिव्य एवं अलौकिक प्रतीक हैं सूरदास

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सूरदास जयन्ती- 2 मई, 2025श्रीकृष्ण-भक्ति के दिव्य एवं अलौकिक प्रतीक हैं सूरदास- ललित गर्ग-इस संसार में यदि सबसे बड़ा कोई संगीतकार है तो वो हैं श्रीकृष्ण। जिस प्रकार से तत्व, रज और तम-इन तीनों गुणों के समन्वय को प्रकृति कहा गया है, उसी प्रकार से गायन, वादन और भक्ति इन तीनों में जो रमा हो, जो पारंगत हो उसे श्रीकृष्ण-भक्त गया गया है। ऐसे ही दिव्य एवं अलौकिक श्रीकृष्ण भक्ति के एक महान् चितेरे एवं श्रीकृष्ण भक्ति को समर्पित शीर्षस्थ भक्त-कवि व्यक्तित्व हैं सूरदासजी। वे एक दृष्टिहीन संत थे, जिन्होंने पूरी दुनिया को श्रीकृष्ण भक्ति का मार्ग दिखाया। वे बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित थे और उनकी भक्ति में पूरी तरह से डूब गए। वे एक महान भक्ति कवि एवं हिन्दी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। उनका आदर्श चरित्र और जीवन दर्शन अंधेरे को भी उजाला प्रदान करता है। वे जहां भक्त, वैरागी, त्यागी और ...
“अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

“अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

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"अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल" -प्रियंका सौरभ शिक्षा या शिकारी जाल? पढ़ी-लिखी लड़कियों को क्यों नहीं सिखा पाए हम सुरक्षित होना? अजमेर की छात्राएं पढ़ी-लिखी थीं, लेकिन वे सामाजिक चुप्पियों और डिजिटल खतरों से अनजान थीं। हमें यह स्वीकार करना होगा कि शिक्षा सिर्फ डिग्री नहीं, सुरक्षा भी सिखाए। और परवरिश सिर्फ आज्ञाकारी बनाने के लिए नहीं, संघर्षशील और सचेत नागरिक बनाने के लिए होनी चाहिए। हमारी बेटियां फंसती नहीं हैं, फंसाई जाती हैं—और जब तक शिक्षा सिर्फ अंकों तक सीमित रहेगी, ये शिकारी जाल बार-बार बुने जाते रहेंगे। पढ़ी-लिखी लड़कियों को यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग के मामलों में इतनी आसानी से कैसे फंसने दिया जाता है? यह सवाल अक्सर तब पूछा जाता है, जब मीडिया में किसी लड़की के साथ यौन शोषण या ब्लैकमेलिंग का मामला सामने आता है। लेकिन यह सवाल गलत है। सही सवाल यह होना च...
वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज

वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज

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वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज -डॉ. सत्यवान 'सौरभ' बिश्नोई समाज राजस्थान का एक अनूठा समुदाय है जो सदियों से पेड़-पौधों और वन्य जीवों की रक्षा में अपना जीवन समर्पित करता आया है। यहां की महिलाएं घायल हिरणों को अपने बच्चों की तरह पालती हैं। 1730 में खेजड़ली गांव में अमृता देवी और 363 बिश्नोईयों ने पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। बिश्नोई जीवनशैली 29 नियमों पर आधारित है, जिसमें प्रकृति से गहरा प्रेम निहित है। 'बिश्नोई टाइगर फोर्स' जैसे संगठनों के माध्यम से आज भी यह समाज जीव रक्षा का कार्य करता है। बिश्नोई समाज सच्चे अर्थों में प्रकृति का संरक्षक है। भारत में जब पर्यावरण संरक्षण की बात होती है, तो राजस्थान के बिश्नोई समाज का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। सदियों से यह समाज पेड़-पौधों और वन्य जीवों के संरक्षण में अपनी जान तक न्यौछावर ...
बेतुके बयानों से बचें एवं राजनीतिक सहमति कायम रखें

बेतुके बयानों से बचें एवं राजनीतिक सहमति कायम रखें

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बेतुके बयानों से बचें एवं राजनीतिक सहमति कायम रखें- ललित गर्ग- पहलगाम की बर्बर आतंकी घटना ने भारत की आत्मा पर सीधा हमला किया है, इसमें पाकिस्तान की स्पष्ट भूमिका को देखते हुए देश की एक सौ चालीस करोड जनता चाहती है कि अब पाकिस्तान को सबक सीखाना जरूरी हो गया है, नरेन्द्र मोदी सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया और पाकिस्तान के खिलाफ कठोर एक्शन लेते हुए सिंधु जल को रोकने जैसे पांच कदम उठाये। दोनों ही देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी है, यह पहली बार देखने को मिला है कि इस घटना को लेकर कश्मीर सहित समूचा देश एक दिखाई दे रहा है। ऐसे क्रूर, आतंकी एवं अमानवीय हमले के वक्त में पूरा देश दुख और गुस्से की मनःस्थिति से गुजर रहा है, जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का एक सशक्त संदेश दिया है। सभी राजनीतिक दल, जाति, वर्ग, धर्म के लोग पाकिस्तान को करारा जबाव देने के लिये मोदी सरकार के हर ...
UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म।

UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म।

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UPSC टॉपर या जाति टॉपर?: प्रतिभा गुम, जाति और पृष्ठभूमि का बाज़ार गर्म। देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा अब जातीय गौरव का तमाशा बन चुकी है। जैसे ही रिज़ल्ट आता है, प्रतिभा और मेहनत को धकिया कर जाति, धर्म और ‘किसान की झोपड़ी’ की स्क्रिप्ट सोशल मीडिया पर दौड़ने लगती है। एसी कमरों में पढ़ने वाले अब खुद को किसान का बेटा घोषित करते हैं, ताकि संघर्ष बिके। टॉपर बनने के बाद सेवा की बजाय सेल्फी और सेमिनार का मोह शुरू हो जाता है। हर दल, हर विचारधारा, हर वर्ग अपने-अपने टॉपर को पकड़कर झंडा उठाता है — “देखो, ये हमारा है!”किसी को सवर्ण गौरव चाहिए, किसी को दलित चमत्कार। और इस पूरे मेले में असली हीरो — यानी मेहनत और ईमानदारी — कहीं कोने में खड़ी, अकेली, उपेक्षित रह जाती है। UPSC अब परीक्षा नहीं, जातीय राजनीति, इमोशनल मार्केटिंग और ब्रांडिंग का अखाड़ा बनता जा रहा है। और सवाल वही — ये अफसर समाज सेवा...
अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

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अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व -प्रियंका सौरभ अक्षय तृतीया, जिसे 'आखा तीज' भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन पर्व है। 'अक्षय' का अर्थ होता है—जो कभी क्षय (नाश) न हो। यही कारण है कि यह दिन शुभ कार्यों, दान-पुण्य, निवेश और नए आरंभ के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे हृदय से पूजा-पाठ, व्रत और दान करने से न केवल वर्तमान जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि अगले जन्मों तक अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।पुराणों के अनुसार, इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। भगवान परशुराम का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था। महाभारत में वर्णित है कि इसी दिन युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति ह...
पहलगाम आतंकवादी हमला {वैश्विक जगत भारत के साथ वहीं भारत के विरोधी दल देश के गुनाहगारों के साथ}

पहलगाम आतंकवादी हमला {वैश्विक जगत भारत के साथ वहीं भारत के विरोधी दल देश के गुनाहगारों के साथ}

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पहलगाम आतंकवादी हमला {वैश्विक जगत भारत के साथ वहीं भारत के विरोधी दल देश के गुनाहगारों के साथ}मृत्युंजय दीक्षितकश्मीर घाटी के पहलगाम हमले में 26 निहत्थे निर्दोष पर्यटकों की धर्म पूछकर और कलमा न पढ़ पाने पर की गई नृशंस हत्याओं के बाद, देश में आतंकवाद के खिलाफ भीषण आक्रोश है। देश का जन जन पाकिस्तान से बदला लेने के लिए तड़प रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले बिहार की मधुबनी रैली में और फिर “मन की बात“ रेडियो कार्यक्रम में देश को विश्वास दिलाया है कि पीड़ितों को न्याय मिलकर रहेगा तथा पाकिस्तान को ऐसा दंड दिया जाएगा जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी । आतंकवादी घटनाओं के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि देश के गृहमंत्री तुरंत अपने सभी कार्यक्रम रद्द करके घटनास्थल पहुंचे और पीड़ितों के साथ खड़े रहे। इस घटना के बाद से भारत के आतंकवाद से निपटने के निर्णय को विश्व के सभी प्रमुख देशों ने अपना प...
डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों?

डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों?

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डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों? विनीत नारायणआज के डिजिटल युग में, बच्चों का व्यवहार और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। माता-पिता और शिक्षक अक्सर यह शिकायत करते हैं कि बच्चे पहले की तुलना में अधिक गुस्सैल, चिड़चिड़े और आक्रामकहो गए हैं। इसका एक प्रमुख कारण बच्चों का कम उम्र में मोबाइल फोन और इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग है।प्रारंभिक स्क्रीन टाइम और डिजिटल दुनिया बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को नकारात्मक रूप सेप्रभावित कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप उनमें गुस्सा और आक्रामकता बढ़ रही है।आज के बच्चे ‘डिजिटल नेटिव्स’ हैं, यानी वे उस दुनिया में पैदा हुए हैं जहां स्मार्टफोन, टैबलेट और इंटरनेट रोजमर्रा कीजिंदगी का हिस्सा हैं। पहले जहां बच्चे खेल के मैदान में दोस्तों के साथ समय बिताते थे, वहीं अब वे मोबाइल स्क्रीन परगेम खेलने, वीडियो देखने और सोशल मीडि...
पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

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पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा-ललित गर्ग-जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, मंगलवार को एक भीषण, दर्दनाक एवं अमानवीय आतंकी हमले का गवाह बना, एक बार फिर जिहादी आतंक का घिनौना-बर्बर चेहरा दिखा। आतंकियों ने पहलगाम में निर्दाेष-निहत्थे पर्यटकों की जिस तरह पहचान पता करके गोलियां बरसाईं, उससे यही पता चलता है कि वे केवल खौफ ही नहीं पैदा करना चाहते थे, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों का खून बहाकर दुनिया का ध्यान भी खींचना चाहते थे। यह आतंकवाद एवं सांप्रदायिक घृणा का अब तक का सबसे घिनौना एवं बर्बर हमला एवं चेहरा है, जिसमें हिन्दू सुनकर चलाई गोलियां। जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मूल एजेंडे का हिस्सा है। इस जघन्य एवं त्रासद घटना में निर्दोष पर्यटकों को तब मौत की गहरी नींद सुलाया गया, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में हैं और भारतीय प्रधानमंत्री स...
पहलगाम : अब भारत की पारी शुरू

पहलगाम : अब भारत की पारी शुरू

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पहलगाम : अब भारत की पारी शुरू पहलगाम का आतंकी हमला हताशा में किया गया एक ऐसा कुकृत्य है, जिस पर हमेशा की तरह सुई पाकिस्तान की तरफ घूमती है। खुद आतंकवाद का दंश झेल रहा एक देश सरकारी और तैयार आतंकियों के जरिये भारत को बार-बार गहरे जख्म देने की नापाक नीति पर चल रहा है। पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने पर्यटकों पर हुए इस कायरतापूर्ण हमले की जिम्मेदारी ली है। इस दुखद घटना ने वर्ष 2008 में दुस्साहसपूर्ण ढंग से मुंबई और भारत को हिलाकर रख देने वाले लश्कर-ए-तैयबा द्वारा रचे गए नरसंहार की याद दिला दी है। यह महज संयोग नहीं कि यह हमला 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण और पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के भारत विरोधी बयान के बीच हुआ है। मुनीर ने पिछले हफ्ते ही कश्मीर को अपने देश की ‘गले की नस’ बताकर 22 अप्रैल के हमले की भयावहता की जमीन तैया...