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संघ की संस्कृति एवं मूल्यपरक भारत-दृष्टि

संघ की संस्कृति एवं मूल्यपरक भारत-दृष्टि

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-ः ललित गर्ग:- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली ने विभिन्न धार्मिक संगठनों, सेवा-संस्थानों एवं कार्यकर्ताओं की सामाजिक सद्भाव संगोष्ठी का आयोजन कर भारत की ज्वलंत समस्याओं पर सार्थक बहस का एक अनूठा उपक्रम किया। नये मध्यप्रदेश भवन, चाणक्यपुरी में हुए इस आयोजन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यकारणी के सदस्य भैयाजी जोशी के उद्बोधन से जहां राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर संघ का विचार एवं दृष्टिकोण विभिन्न धर्म के प्रतिनिधियों के सामने आया वहीं विभिन्न धर्मों एवं संस्थानों से जुड़े लोगों के चिन्तन से संघ भी अवगत हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास में कुछ ऐसे विरल व्यक्तित्व हुए हैं, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह, महामंत्री आदि अनेक जिम्मेदारियों का निर्वाह करने वाले भैयाजी जोशी भी हैं, उनकी विरलता या महत्ता के प्रमुख मानक हैं- सशक्त राष्ट्रीयता, हिन्दुत्व ...
कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

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नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होता है, वह सुख-समृद्धि बनी रहती है। देवी पूजा महज माता की प्रतिमा की पूजा मात्र नहीं है, बल्कि यह पर्व मां, बहन, बेटी और समाज की हर नारी के सम्मान का पर्व है। ऐसे में सिर्फ कन्या पूजन ही नहीं, महिलाओं का भी सम्मान करें। अगर आप देवी पूजा करते हैं तो महज नवरात्रि के मौके पर नहीं बल्कि महिलाओं के प्रति आदर सदैव बनाए रखें। इन नवरात्रि देवी के सामने महिला सम्मान का संकल्प लें और अपने आचरण में कुछ बदलाव लाएं, ताकि मां, बेटी और समाज की हर नारी सुरक्षित व सम्मानित महसूस कर सके। आज जब सभी देशवासी भारत की संस्कृति का गौरवमय त्यौहार कन्या पूजन करने की तैयारी में हैं तो उनसे यह निवेदन और प्रश्न भी है कि आखिर जहां कन्या की सम्मानजनक स्थिति बने रहे, ऐसा समाज बनान...
मोदी जी की राह आसान करेगा ‘इंडिया’ गठबंधन

मोदी जी की राह आसान करेगा ‘इंडिया’ गठबंधन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-विनीत नारायणजबसे पटना, बेंगलुरु और मुंबई में प्रमुख विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठकें हुईं और ‘इंडिया’ गठबंधन की घोषणाहुई तब से विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में एक उत्साह की लहर दौड़ गई थी। क्योंकि पिछले नौ वर्षोंसे राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा विपक्षी दलों पर हावी रही है। पर पिछले दिनों ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल कुछदलों के प्रवक्ताओं ने एक दूसरे दल पर ऐसी तीखी टिप्पणियाँ की हैं जिससे गठबंधन में दरार पड़ सकती है।आगामी विधान सभा चुनावों में मध्य प्रदेश की कुछ सीटों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी दल की जोबयानबाज़ी हुई है वो भी ‘इंडिया’ गठबंधन के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। हालाँकि मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने जो कड़ी मेहनत की है उससे हवा कांग्रेस के पक्ष में बह रही है। शायद इसी आत्मविश्वास के कारण कांग्रेसको समाजवादी पार्टी की कोई अहमियत नज़र नहीं आई। पर अगर यही रवैया रहा तो लोक...
<strong>इन चुनावों में विरोधियों से नहीं अपनों से जूझते दल</strong>

इन चुनावों में विरोधियों से नहीं अपनों से जूझते दल

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- ललित गर्ग - पांच राज्यों के चुनावों की सरगर्मियां उग्र से उग्रत्तर होती जा रही है, चुनाव प्रचार अब धीरे-धीरे चरम पर पहुंच रहा है। विशेषतः राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में सत्ता के दावेदारों में लोक-लुभावन वादों एवं रेवड़ियां बांटने की होड़ लगी हुई है। येन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाना इन चुनावों का चरम लक्ष्य है। इन तीनों ही प्रांतों में चुनावों की सबसे खास बात यह है कि इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी एवं भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। जैसे-जैसे उम्मीदवारों की सूचियां सामने आ रही है, विरोध का स्वर उभर रहे हैं, उग्र विरोध को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि इन चुनावों में परायों से अधिक डर इस बार ‘अपनों’ का चुनौती बनेगा।वर्ष 2023 के ये चुनाव अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण बन रहे हैं। जटिल से जटिलतर होते हालातों एवं राजनीतिक परिदृश्यों में यह स्पष्ट हो रहा है कि इन राज्यों के ये चुनाव लो...
भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। रिश्तों के प्रति इंसान को जागरूक होना चाहिए तथा रिश्तों की अहमियत को पहचाना चाहिए। जो रिश्तों के अर्थ को समझ सकता है। वहीं रिश्तों को निभा सकता है। जीवन दो-ढाई दशक पहले तक कई मायनों में बहुत ही सादगी भरा और दिखावे से कोसों दूर और वास्तविकता के बहुत पास होता था। तब मनुष्यता के जितने गुण सोचे और तय किए गए हैं,  वे सब आसपास के परिवेश के दिख जाते थे। लेकिन आज सरलता और सहजता से दूर दिखावे और स्वार्थ से भरा हुआ जीवन ही ज्यादातर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसमें वयस्क या बुजुर्गों की तो दूर, हमने बच्चों तक को नहीं छोड़ा है। आजकल लोग अपने ख़ुशी में कम खुश और दुसरों की दुख में ज़्यादा खुश होने लगें हैं। -प्रियंका सौरभ  आजकल की भागदौड की जिंदगी...
नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

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आर.के. सिन्हा देश को मिली नई संसद भवन की इमारत का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार होने से यह स्पष्ट है कि अब भारत में वास्तुशास्त्र के नियमों और निर्देशों के अनुसार ही बड़े भवनों से लेकर पार्कों तक का निर्माण होगा। वास्तुशास्त्र को आईआईटी जैसे अति महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में भी स्वीकार्यता मिल रही है। आईआईटी, खड़कपुर में वास्तु शास्त्र को पढ़ाने का फैसला लिया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार बनने वाली इमारतें किसी अप्रिय प्राकृतिक घटना से बचाती हैं। नई संसद या नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नए सिरे से बनने वाली तमाम इमारतों में वास्तु शास्त्र के मूल बिन्दुओं का पालन करते हुए निर्माण कार्यों का होना सुखद है।  यह सर्वविदित है कि वास्तु शास्त्र एक अति प्राचीन भारतीय विज्ञान है। वास्तुशास्त्र के अंर्तगत चार मूल दिशाओं और दस कोणो...
इन चुनावों में कौन जीतेगा ? एक बड़ा सवाल

इन चुनावों में कौन जीतेगा ? एक बड़ा सवाल

BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
अभी पाँच राज्य, फिर देश चुनाव से गुजरेगा। पिछले एक अर्से से हमारी राजनीति में एक नई परंपरा पनपी है जो मतदाता को अपमानित करती है। “राजनेताओं ने मान लिया है कि देश का मतदाता कुछ रुपयों से खरीदा जा सकता है। दो तरीकों से मतदाता को रुपये बांटे जा रहे हैं–एक तो यह कि चुनाव के मौके पर नोट के बदले वोट दिया जाये और दूसरे वैध तरीके से कभी बेटियों के नाम पर, कभी माताओं-बहनों को नगद राशि दी जाये। स्कूलों में बच्चों की फीस माफ हो, गैस-बिजली आदि की दरें कम की जाएं, सस्ती दरों पर जरूरतमंदों को अनाज बांटा जाये, यह तो फिर भी समझ में आता है, पर यह समझना मुश्किल है कि लाभार्थियों के खातों में पैसे जमा करना रिश्वत नहीं तो और क्या है? रिश्वत लेना या देना अपराध है पर यह अपराध हमारे राजनीतिक दल खुलेआम कर रहे हैं।“ वो भी घोषणा पत्र या वचन पत्र के स्वरूप में। तय कार्यक्रम के अनुसार दिसंबर तक पांच राज्यों म...
बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, समाचार
_-बलबीर पुंज_ जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रम से क्या रेखांकित होता है? जहां स्वतंत्र भारत में पहली बार पाकिस्तान सीमा के निकट इस वर्ष पुनर्निर्मित शारदा माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि की पूजा हो रही है, वही इसी दौरान पुंछ में पोस्टर चस्पा करके हिंदुओं और सिखों को क्षेत्र छोड़ने हेतु धमकी देने का मामला प्रकाश में आया है। यह ठीक है कि धारा 370-35ए के संवैधानिक क्षरण के बाद से घाटी में आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पुनर्स्थापना के साथ समेकित आर्थिक विकास, केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, तीन दशक बाद नए-पुराने सिनेमाघरों का संचालन, भारतीय फिल्म उद्योग के लिए कश्मीर पुन: पसंदीदा गंतव्य बनना और जी20 पर्यटन कार्यसमूह की सफल बहुराष्ट्रीय बैठक और आतंकवादी-पथराव की घटनाओं में तुलनात्मक कमी आदि का साक्षी बन रहा है। परंतु क्या यह जिहादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए...
आत्म शक्ति जाग्रत कर आरोग्य और यूनीवर्स की इनर्जी से जुड़ने की अवधि है नवरात्र

आत्म शक्ति जाग्रत कर आरोग्य और यूनीवर्स की इनर्जी से जुड़ने की अवधि है नवरात्र

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--रमेश शर्मा भारतीय चिंतन में तीज त्यौहार केवल धर्मिक अनुष्ठान और परमात्मा की कृपा प्राप्त करने तक सीमित नहीं है । परमात्मा के रूप में परम् शक्ति की कृपा आंकाक्षा तो है ही साथ ही इस जीवन को सुन्दर और सक्षम बनाने का भी निमित्त तीज त्यौहार हैं । इसी सिद्धांत नवरात्र अनुष्ठान परंपरा में है । इन नौ दिनों में मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा को सृष्टि की अनंत ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में चिंतन है । आधुनिक विज्ञान के अनुसंधान भी इस निष्कर्ष पर पहुंच गये हैं कि व्यक्ति में दो मस्तिष्क होते हैं। एक चेतन और दूसरा अवचेतन। इसे विज्ञान की भाषा में "कॉन्शस" और "अनकाॅन्शस" कहा गया है व्यक्ति का अवचेतन मष्तिष्क सृष्टि की अनंत ऊर्जा से जुड़ा होता है । जबकि चेतन मस्तिष्क संसार से । हम चेतन मस्तिष्क से सभी काम करते हैं पर उसकी क्षमता केवल पन्द्रह प्रतिशत ही है । जबकि अवचेतन की सामर्थ्य 85% है । सुसुप्त अवस्था ...
निठारी काण्ड: सीबीआई पर फिर उठे सवाल

निठारी काण्ड: सीबीआई पर फिर उठे सवाल

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*रजनीश कपूरजब भी कभी कोई न सुलझने वाला अपराध होता है तो मामला देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) को सौंप दिया जाता है। इसी उम्मीद से कि यह एजेंसी देश की सबसे काबिल और श्रेष्ठ जाँच एजेंसी है। परंतु क्यासीबीआई में कार्य करने वाले अधिकारी हर अपराध की तह तक आसानी से पहुँच पाते हैं? क्या इन जाँच अधिकारियों कोअपराध के सभी प्रमाण व अन्य जानकारियाँ आसानी से मिल जाती है? क्या अपराध के सीन पर सबसे पहले पहुँची स्थानीयपुलिस अपना काम पूरी तत्पर्ता से करती है और क्राइम सीन पर किसी भी तरह के सुबूत को मिटाती नहीं है? क्या दोषी कोसज़ा दिलवाने के लिए पुलिस और सीबीआई एक ठोस केस बना पाते हैं जो अदालत में टिका रहे और आरोपी को सज़ा मिलजाए? अफ़सोस की बात है कि ऐसे सवालों का जवाब प्रायः हमें ‘नहीं’ में मिलता है। ऐसे अनेकों उदाहरण मिल जाएँगे जहांअपराध के कई चर्चित मामलों सीबीआई को कोर्ट ...