संसद का विशेष सत्र सार्थक बहस का माध्यम बने
-ललित गर्ग-
आज संसद में भारतीय संसदीय इतिहास का आठवां विशेष सत्र प्रारंभ हुआ, ऐतिहासिक रूप से देखें तो विशेष सत्र आमतौर पर महत्वपूर्ण विधायी या राष्ट्रीय घटनाओं के उपलक्ष्य में बुलाए गए हैं। संसदीय इतिहास में अब तक संसद के सात विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं जिनमें से तीन बार ऐसे सत्र तब बुलाए गए जब देश ऐतिहासिक उपलब्धियों का जश्न मना रहा था। वहीं दो बार राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए 1977 में तमिलनाडु और नगालैंड में तो 1991 में हरियाणा में विशेष सत्रों का आयोजन किया गया। इस बार 75 साल की संसदीय यात्रा पर चर्चा के लिए मुख्यतः विशेष सत्र बुलाया गये हैं। इस बार का विशेष सत्र संसदीय परम्परा के श्रेष्ठ स्वरूप को उपस्थित करके उसके उत्कर्ष को बढ़ाने और उसे उन्नत-आदर्श बनाने के लिये होना चाहिए, न केवल इस विषय पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए, बल्कि इस पर चिंतन और मनन भी होना चाहिए। क्योंकि इससे इन्क...