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सिविल सेवाएँ राज्य और समाज के बीच संपर्क पुल.

सिविल सेवाएँ राज्य और समाज के बीच संपर्क पुल.

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आईएएस अधिकारी रितु माहेश्वरी ने कानपुर में प्रचलित बिजली चोरी से निपटने के लिए नए बिजली स्मार्ट मीटर लगाए। प्राकृतिक, मानव और वित्तीय संसाधनों का विकास और जुटाना और विकासात्मक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उनका उचित उपयोग। मध्य प्रदेश में जिला कलेक्टर के रूप में पी नरहरि ने एक बाधा मुक्त वातावरण बनाने की दिशा में काम किया, जो यह सुनिश्चित करता है कि विकलांग लोग सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से घूम सकें। विकास की प्रक्रिया में लोगों को शामिल करके विकासात्मक गतिविधियों के लिए उनका समर्थन सुरक्षित किया गया। समाज में हो रहे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के प्रति उचित दृष्टिकोण से 'जनता की अधिकारी' के नाम से मशहूर आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल ने वारंगल में "फंड योर सिटी" नामक एक अभियान शुरू किया। उन्होंने निवासियों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने की अपील की, जि...
शेयर निवेश-मेडिकल क्षेत्र के शिखर भी जाता यूपी

शेयर निवेश-मेडिकल क्षेत्र के शिखर भी जाता यूपी

TOP STORIES, समाचार
आर.के. सिन्हा बीते दिनों उत्तर प्रदेश (यूपी) को लेकर दो बड़ी खबरें आईं, जिसने देश के सबसे बड़े सूबे की एक अलग ही छवि दुनिया के समक्ष पेश की। पहली खबर आई कि बीते अप्रैल महीने में शेयर बाजार से जुड़ने वाले नए निवेशकों की संख्या के मामले में यूपी ने देश की आर्थिक राजधानी वाले राज्य महाराष्ट् तक को पीछे छोड़ दिया है। बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) के मुताबिक, नए डीमैट खाते खोलने में यूपी ने महाराष्ट्र के अलावा भी सभी अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। इस तरह से यू.पी. की एक साल में 37% की बढ़त हुई है। इसी अवधि में महाराष्ट्र की ग्रोथ 20%, गुजरात की 15%, राजस्थान की 26% और कर्नाटक की 20% ही रही है। शेयर बाजार में यूपी की ठसक लगातार ही बढ़ रही है। शेयर बाजार के गढ़ महाराष्ट्र को ही यूपी वालों ने सीधी टक्कर दे दी है। बीएसई के मुताबिक एक साल में यूपी से 35 लाख नए निव...
<strong>Will coal-based thermal power plants ever meet emission norms?</strong>

Will coal-based thermal power plants ever meet emission norms?

TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति
India’s coal-based thermal power plants continue to drag their feet in meeting emission norms, says a new analysis done by Centre for Science and Environment (CSE). Sulphur dioxide (SO2) emissions are a case in point: the CSE analysis finds that a mere 5 per cent of the installed capacity in this sector has put in place an air pollution control device – flue gas de-sulfurization (FGD) system -- for controlling SO2 emissions. The CSE analysis is based on the updated FGD status released by the Central Electricity Authority (CEA), the technical arm of the Union Ministry of Power, for April 2023. Says Nivit Yadav, programme director, industrial pollution unit, CSE: “The Ministry of Environment, Forest and Climate Change (MoEFCC) had issued a notification specifying the emission norms fo...
डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान

डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, समाचार, सामाजिक
23 जून 1953 सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान बंगाल से लेकर कश्मीर तक राष्ट्र रक्षा आदोलनों की लंबी श्रृंखला --रमेश शर्मा सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारी विचारक डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 23 जुलाई 1901 को बंगाल के अति प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था । उनके पिता आशुतोष मुखर्जी सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उन्हे अंग्रेजों ने "सर" की उपाधि से सम्मानित किया था । श्यामाप्रसाद जी की अधिकांश शिक्षा कलकत्ता में ही हुई । उन्होंने 1917 में मैट्रिक एवं 1921 में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की । 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करके वे विदेश चले गये और 1926 में लंदन से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कीं।...
क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?

क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म
रजनीश कपूरपिछले कुछ दिनों से एक फ़िल्म को लेकर देश भर में काफ़ी विवाद चल रहा है। कारण है इस फ़िल्म में दिखाए गएभ्रामक दृश्यों और आपत्तिजनक डायलॉग। समाज का एक बड़ा हिस्सा, धार्मिक गुरु व संत और राजनैतिक दलफ़िल्म के निर्माताओं को हर मंच पर घेर रहे हैं। विवादों के चलते सोशल मीडिया पर इस फ़िल्म को दुनिया भर सेकाफ़ी ट्रोल भी किया गया है। सवाल उठता है कि क्या मनोरंजन के लिए आप आस्था से खिलवाड़ कर सकते हैं?क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?रामायण पर आधारित फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं ने इस फ़िल्म में कुछ पात्रों का विवादास्पद चित्रण कियाहै, जो हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचा रहा है। इसके साथ ही इस फ़िल्म में बोले गये कई ऐसे डायलॉग भी हैं जोकि सभ्य नहीं माने जा सकते। जैसे ही विवाद बढ़ा तो फ़िल्म के निर्माता व संवाद लेखक ने अपने पुराने बयानों सेपलटते हुए यह सफ़ाई दी कि “यह फ़िल्म रामायण पर आधारित न...
भारत पिछले 74 साल से एक कीड़े से पीड़ित था, जिसे मोदी सरकार ने खत्म कर दिया।

भारत पिछले 74 साल से एक कीड़े से पीड़ित था, जिसे मोदी सरकार ने खत्म कर दिया।

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
विदेश मंत्री एस जयशंकर जी ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केवल 30 मिनट में इस पूरी समिति को अगले दस दिनों के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दे दिया गया। संयुक्त राष्ट्र की एक समिति संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह को भारत ने भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। यह कमेटी 1948 से भारत में काम कर रही थी और कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के रवैए खासकर खुद भारत के रवैए पर पैनी नजर रख रही थी। काम करने, घूमने, रहने, खाने-पीने, उठने-बैठने का सारा खर्च भारत उठा रहा था। इस कमेटी ने भारत के खिलाफ काफी कड़े बयान दिए थे। उन्होंने कश्मीर को द्विपक्षीय मामला न बनाकर त्रिपक्षीय घोषित करने की कोशिश की और साथ ही भारत पर गंभीर आरोप लगाए: भारत और पाकिस्तान के बीच संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के काम में बाधा डाल रहा है ताकि समिति ठीक से काम न कर सके। समिति यहीं नहीं रुकी, उन्होंने आ...
फ्रीबीज बनाम जनकल्याणकारी योजनाएं !

फ्रीबीज बनाम जनकल्याणकारी योजनाएं !

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
आज राजनीति का स्तर लगातार गिरता चला जा रहा है। राजनीति का मतलब आज सेवा नहीं अपितु मेवा खाना हो गया है। देश में आजकल रेवड़ी कल्चर खूब प्रचलन में है।यह तथ्य आज किसी से भी छिपा हुआ नहीं कि रेवडिय़ां बांटने की राजनीतिक संस्कृति ने न जाने कितने देशों को तबाह किया है। आज राजनीति का मतलब है रेवड़ी कल्चर।आम आदमी को रेवड़ियां बांटकर वोट हथियाना शायद आज की राजनीति का प्रमुख हथियार हो गया है।एक समय था,जब लोग राजनीति में समाज सेवा,देश सेवा, सामाजिक सरोकारों के लिए आते थे। राजनीति का असली धर्म भी सेवा ही तो है लेकिन आज इसके उलट देखने को मिल रहा है और राजनीति आज तुच्छ राजनीति हो चली है, यहां स्वार्थ और लालच की नदियां बहती है, देश व समाज चाहे भाड़ में जाए,किसी को देश व समाज से कोई लेना देना अथवा कोई सरोकार नहीं रह गया है। सच तो यह है कि रेवड़ी कल्चर आज के राजनीतिक गलियारों का प्रमुख शब्द हो गया है,...
<strong>नेताजी सुभाष जीवित होते तो देश का बंटवारा न होने देते</strong>

नेताजी सुभाष जीवित होते तो देश का बंटवारा न होने देते

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आर.के. सिन्हा क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीवित होते तो पाकिस्तान कभी  बन पाता? यह बहस लंबे समय से चल रही है। इस विषय पर इतिहासकारों और विद्वानों में मतभेद भी रहे हैं।    अब इस बहस में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि "अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिंदा होते तो भारत का बंटवारा नहीं होता।” क्या वे मोहम्मद अली जिन्ना को समझा पाते कि भारत के बंटवारे से किसी को कुछ लाभ नहीं होगा? यह सवाल अपने आप में काल्पनिक होते हुए भी महत्वपूर्ण हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन काल में ही अखिल भारतीय मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया था। जिन्ना ने 23 मार्च, 1940 को लाहौर के बादशाही मस्जिद के ठीक आगे बने मिन्टो पार्क में जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी घनघोर सांप्रदायिक सोच को प्रकट कर दिया था। जिन...
<em>लोकसभा चुनाव 2024 में अहम् भूमिका अदा करेगा ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के निर्णय ?</em>

लोकसभा चुनाव 2024 में अहम् भूमिका अदा करेगा ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के निर्णय ?

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डॉ. अजय कुमार मिश्राअखिलेश मिश्रालोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2024 में महज 7 महीने की अवधि अब शेष है | हालियाँ विधानसभा चुनाव परिणाम ने केंद्र सरकार को पुनः उत्तर प्रदेश पर गहराई से फोकस करने हेतु सजग किया है, क्योंकि देश की सत्ता की चाभी उत्तर प्रदेश की सहमति के बिना संभव नहीं है | सर्वाधिक लोकसभा सीट (80) उत्तर प्रदेश में ही है | केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं को प्रदेश में लागूं करने में उत्तर प्रदेश सरकार प्रथम भी रहा है | पर यदि यहाँ की आम जनता की आवश्यकताओं को मूल्यांकित कर प्राथमिक आवश्यकताओं का चुनाव करना हो तो बिजली की आपूर्ति महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है | रोजगार, स्व-रोजगार सभी की धूरी बिजली पर निर्भर करती है | ऐसे में ऊर्जामंत्री की भूमिका अति महत्वपूर्ण रूप से निकलकर सामने आती है जिन्होंने महज एक वर्ष के कार्यकाल में अपने निर्णय से यह सुनिश्चित कर दिया है की प्रत्येक आदमी तक...
<strong>गीता प्रेस रूपी उजालों पर राजनीति क्यों?</strong>

गीता प्रेस रूपी उजालों पर राजनीति क्यों?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
-ः ललित गर्ग:- आजादी के अमृतकाल में स्व-संस्कृति, स्व-पहचान एवं स्व-धरातल को सुदृढ़ता देने के अनेक अनूठे उपक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार में हो रहे हैं, उन्हीं में एक है भारत सरकार द्वारा एक करोड़ का गांधी शांति पुरस्कार सौ साल से सनातन संस्कृति की संवाहक रही गीता प्रेस, गोरखपुर देने की घोषणा। 1800 पुस्तकों की अब तक 92 करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित करने वाले गीता प्रेस को इस पुरस्कार के लिये चुना जाना एक सराहनीय एवं सूझबूझभरा उपक्रम है। यह सम्मान मानवता के सामूहिक उत्थान, धर्म-संस्कृति के प्रचार-प्रसार, अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है। लेकिन विडम्बना है कि ऐसे मानवतावादी उपक्रमों को भी राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। हर मुद्दे को राजनीतिक रंग देने से राजनीतिक दलों और नेताओं को कितना फायदा या ...