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हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

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आर.के. सिन्हा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटा दिया है। छह महीने पहले ही उन्होंने आकाश को धूमधाम से अपना उत्तराधिकारी  भी घोषित किया था।  उन्होंने कहा कि आकाश तब तक उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन सकते ,  जब तक वे "पूरी तरह परिपक्व" नहीं हो जाते। आकाश आनंद बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों में बसपा के प्रचार अभियान का मुख्य चेहरा थे। उनके भाषणों में भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखे हमले किए गए थे। अप्रैल में सीतापुर में एक चुनावी रैली के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। मायावती को लगता है कि ये भाषण पार्टी द्वारा निर्धारित नियमों और नीतियों से भटक गए थे। मायावती के इस तरह के अचानक फैसले पहले...
विवाह की गरिमा का अर्थ

विवाह की गरिमा का अर्थ

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विवाह की गरिमा का अर्थ आधुनिक और प्रगतिशील होने का दम्भ भरने वाले भारतीय समाज के एक बड़े धड़े को देश की शीर्ष अदालत ने आईना दिखाया है। देश की शीर्ष अदालत को विवाह जैसे बेहद व्यक्तिगत मामले में परामर्श देना पड़ा है, तो इसका अभिप्राय यही है कि इसके मूल स्वरूप से तेजी से खिलवाड़ हो रहा है। अदालत को सख्त लहजे में यहां तक कहना पड़ा कि विवाह यदि सप्तपदी यानी फेरे जैसे उचित संस्कार और जरूरी समारोह के बिना होता है तो वह अमान्य ही होगा। निश्चित रूप से अदालत ने यह बताने का प्रयास किया कि इन जरूरी परंपराओं के निर्वहन से ही विवाह की पवित्रता और कानूनी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। हाल के वर्षों में विवाह समारोहों के आयोजन में पैसे के फूहड़ प्रदर्शन व तमाम तरह के आडंबरों को तो प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन परंपरागत हिंदू विवाह के तौर-तरीकों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। आज से कुछ दशक...
सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

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सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन? आर.के. सिन्हा हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने को राजनीति का विद्वान बताने वाले ज्ञानियों ने किस संसदीय क्षेत्र में किसके हक में बयार बह रही है , इस विषय पर लिखना-बताना शुरू कर दिया है। वे अपना विश्लेषण रखते हुए बताते हैं कि वहां ( उस संसदीय क्षेत्र में ) इतने फीसद क्षत्रिय, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, यादव वगैरह हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर जातियों का गणित बताने वाले मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों की जातियों पर मौन ही रहते हैं। उन्हें जातियों के कोढ़ के बारे में सिर्फ हिन्दुओं की ही चर्चा करनी होती है। उन्हें लगता है कि मानों जातियां सिर्फ हिन्दू धर्म में ही हैं। जैसे कि बाकी धर्मावलंबी  किसी जात-पात में यकीन नहीं करते। इससे एक बात बहुत साफ हो जानी चाहिए हमारे &nbs...
आधे चुनावों के बाद

आधे चुनावों के बाद

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लोकसभा में तीन चरणों का मतदान पूरा हो गया है.आधे से अधिक लोकसभा सीटों का जनादेश EVM में कैद हो चुका है. तीसरे चरण के मतदान में पहले के दोनों चरणों की तुलना में मतदान बढ़ना खुशी की बात है. यह मतदान और अधिक बढ़ता तो लोकतंत्र ज्यादा मजबूत होता..!! बाकी चरणों में मतदान प्रतिशत बढ़ने की पूरी संभावना है. अब तक 282 सीटों पर मतदान हो चुका है. मतदान प्रतिशत के आधार पर चुनावी नतीजे का विश्लेषण, परिणाम के दिन तक चाय की चर्चा का विषय बने रहेंगे. देश में यह चुनाव एनडीए 400 पार के लिए लड़ रहा है, तो विपक्षी गठबंधन सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि एनडीए को अपना लक्ष्य पार नहीं होने देने के लिए लड़ता दिखाई पड़ रहा है.देश के हर कोने में चुनाव परिणामों को लेकर परसेप्शन क्लियर और कॉन्फिडेंट है. पहले राजनेता अति-आत्मविश्वास में होते थे, इस बार देश की जनता अति-आत्मविश्वास में दिखाई पड़ रही है. यह चुनाव कई राज...
हिन्दू विवाह पर सर्वोच्च अदालत का स्वागतयोग्य फैसला

हिन्दू विवाह पर सर्वोच्च अदालत का स्वागतयोग्य फैसला

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- ललित गर्ग - देश की सर्वोच्च अदालत ने हिन्दू विवाह को लेकर बड़ा फैसला देकर न केवल हिन्दू विवाह के संस्कारों एवं पारंपरिक रिवाजों को पुष्ट किया है बल्कि उन्हें कानूनी दृष्टि से आवश्यक स्वीकार किया है। आज जबकि हिन्दू विवाह की पवित्रता एवं परम्परा तथाकथित आधुनिक जीवन एवं प्रभाव के कारण धुंधली होती जा रही है, पाश्चात्य संस्कृति की आंधी में हिन्दू विवाह की पवित्रता समाज में समय के साथ घटी है और उसमें सुधार एवं सुदृढ़ता की जरूरत है। जो लोग विवाह को मात्र एक पंजीकरण मानते हैं, उन्हें चेत जाना चाहिए। उन्हें सात फेरों का अर्थ समझना होगा। बिना सात फेरों, हिन्दू रीति-रिवाजों एवं वैवाहिक आयोजनों के कोर्ट की दृष्टि में भी विवाह मान्य नहीं होगा। हिंदू विवाह पर कोर्ट का ताजा फैसला न केवल स्वागतयोग्य है बल्कि इसके दूरगामी परिणाम सुखद होंगे। इससे हिन्दू संस्कृति एवं संस्कारों को बल मिलेगा। पारिवारिक-स...
लोकसभा चुनाव में मुद्दों को नया विमर्श दें

लोकसभा चुनाव में मुद्दों को नया विमर्श दें

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- ललित गर्ग - लोकसभा चुनावों के प्रचार अभियान में एक आवाज बहुत धीमी पर एक वजन और पीड़ा के साथ सुनने को मिल रही है कि इस चुनाव को येन-केन-प्रकारेण जीतने के सभी जायज एवं नाजायक प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन नैतिकता, मूल्य एवं आदर्श की बात कहीं भी सुनाई नहीं दे रही है। देश का राजनीतिक भविष्य तय करने वाले इन चुनावों में एक और विडम्बना देखने को मिल रही है कि राष्ट्र विकास के मुद्दों एवं आजादी के अमृतकाल को अमृतमय बनाने की कोई चर्चा नहीं है। देश को दिशा देने एवं कोई नया विमर्श खड़ा करने का नेताओं के पास अभाव है, जो अपने-आप में एक त्रासदी है। मतदाताओं की लोकतंत्र के महाकुंभ में भागीदारी का घटना भी एक चिन्ता का सबब है। जबकि किसी भी राष्ट्र के जीवन में चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण घटना होती है। यह एक यज्ञ होता है। लोकतंत्र प्रणाली का सबसे मजबूत पैर होता है।विभिन्न राजनीतिक दल आरक्षण का मुद्दा खड़ा करके ज...
मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल

मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल

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मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दलमृत्युंजय दीक्षितलोकसभा चुनावों के मतदान के दो चरण समाप्त हो जाने के बाद सभी राजनैतिक दलों को जनता के मध्य अपनी स्थिति की वास्तविकता का कुछ सीमा तक पता चल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की सम्भावना वाली भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्ष ने एक बार फिर मुस्लिम तुष्टीकरण का विकृत खेल खेलना प्रारम्भ कर दिया है। तथाकथित इंडी गठबंधन में शामिल दलों के नेता लगातार भड़काऊ और नफरत भरी बयानबाजी कर रहे हैं जिसमें अब वोट जिहाद और तालिबान भी आ गया है। दिल्ली के मंडी हाउस इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ आतंकी फंडिंग मामले में सजा काट रहे यासिन मलिक का फोटो लगाया गया है। पोस्टर में यासिन मलिक की रिहाई के साथ कांग्रेस को वोट देने की अपील की गई है। हालांकि जानकारी मिलते ही दिल्...
<strong>गहराते जल-संकट से जीवन एवं कृषि खतरे में</strong>

गहराते जल-संकट से जीवन एवं कृषि खतरे में

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- ललित गर्ग - मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के साथ जलाशयों एवं नदियों के लिए खतरा बन चुका है। जलवायु परिवर्तन का खतरनाक प्रभाव गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित प्रमुख जलाशयों और नदी घाटियों में कुल जल भंडारण पर खतरनाक स्तर पर महसूस किया जा रहा है, जिससे लोगों को गंभीर जल परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। केंद्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़े भारत में बढ़ते इसी जल संकट की गंभीरता को ही दर्शाते हैं। आंकड़े देश भर के जलाशयों के स्तर में आई चिंताजनक गिरावट की तस्वीर उकेरते हैं। रिपोर्ट के अनुसार 25 अप्रैल 2024 तक देश में प्रमुख जलाशयों में उपलब्ध पानी में उनकी भंडारण क्षमता के अनुपात में तीस से पैंतीस प्रतिशत की गिरावट आई है। जो हाल के वर्षों की तुलना में बड़ी गिरावट है। जो सूखे जैसी स्थिति की ओर ...
<strong><em><u>क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल</u></em></strong>

क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल

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क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल या  क्यों चौ. छोटू राम- सीएफ एंड्रूज के कॉलेज का स्कूल खोलना खास आर.के. सिन्हा कभी विचार कीजिए कि किसी स्कूल या कॉलेज को किस आधार पर श्रेष्ठ कहा जाना चाहिए?  बेशक, इसका एकमात्र पैमाना यही हो सकता है कि उस शिक्षण संस्थान ने अपने विद्यार्थियों को इस तरह के संस्कार दिए जिसके चलते उन्होंने आगे चलकर बेहतर नागरिक बनकर देश और समाज की सेवा की। इसका एक पैमाना यह भी हो सकता है कि क्या उसने ( शिक्षण संस्थान) ने अपना विस्तार किया ? विस्तार से मतलब है कि क्या उसने अपनी कोई अन्य शाखा भी खोली और वहां का शिक्षण भी श्रेष्ठ और स्तरीय रहा । बेशक, इस मोर्चे पर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज का नाम लेना होगा। सेंट स्टीफंस कॉलेज को गांधी जी के परम सहयोगी दीनबंधु सी.एफ.एंड्रूज की संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी ने स्थापित किया था।...
ईवीएम की बची इज़्ज़त

ईवीएम की बची इज़्ज़त

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हर चुनाव में नेताओं से ज्यादा EVM की इज्जत दांव पर लगी होती है. हर जीत EVM की कारीगरी बताई जाती है. लोकतंत्र की जीत को EVM की जीत बताया जाता है. EVM को बदनाम किया जाता है. चुनाव दर चुनाव EVM पर परिपक्वता बढ़ने की बजाय शंका और अविश्वास बढ़ाया जाता है. लोकसभा चुनाव में तो लगभग सभी विपक्षी दलों ने बैलेट पेपर की पद्धति से चुनाव कराने की मंशा जाहिर की. कई बड़े नेताओं ने तो इतनी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी उतारने तक की जुगाड़ लगाई, ताकि EVM मशीन की तकनीकी क्षमता समाप्त हो जाए और चुनाव बैलेट पेपर पर हो जाए. देश में शंका का ऐसा वातावरण बनाया गया, कि जैसे EVM के जरिए चुनाव परिणामों को मैनेज किया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय में बैलेट पेपर से मतदान के मांग की याचिका डाली गई. EVM और VVPAT पर्चियां का शत प्रतिशत मिलान करने की याचिकाएं पेश की गईं. सर्वोच्च न्यायालय ने बारीकी से EVM की शुद्धता और न...