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भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने हेतु सांस्कृतिक संगठनों को भी विशेष भूमिका निभानी होगी

भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने हेतु सांस्कृतिक संगठनों को भी विशेष भूमिका निभानी होगी

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भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने हेतु सांस्कृतिक संगठनों को भी विशेष भूमिका निभानी होगी प्रहलाद सबनानी  प्राचीनकाल में भारत विश्व गुरु रहा है इस विषय पर अब कोई शक की गुंजाईश नहीं रही है क्योंकि अब तो पश्चिमी देशों द्वारा पूरे विश्व के प्राचीन काल के संदर्भ में की गई रिसर्च में भी यह तथ्य उभरकर सामने आ रहे हैं। भारत क्यों और कैसे विश्व गुरु के पद पर आसीन रहा है, इस संदर्भ में कहा जा रहा है कि भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के नियमों के आधार पर भारतीय नागरिक समाज में अपने दैनंदिनी कार्य कलाप करते रहे हैं। साथ ही,  भारतीयों के डीएनए में आध्यतम पाया जाता रहा है जिसके चलते वे विभिन्न क्षेत्रों में किए जाने वाले अपने कार्यों को धर्म से जोड़कर करते रहे हैं। लगभग समस्त भारतीय, काम, अर्थ एवं कर्म को भी धर्म से जोड़कर करते रहे हैं। काम, अर्थ एवं कर्म में चूंकि तामसी प्रवृत्ति का ...
इन्हें तो कठोर सजा दीजिए

इन्हें तो कठोर सजा दीजिए

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राकेश दुबे इन्हें तो कठोर सजा दीजिए निश्चित ही उन लोगों को कठोर सजा मिलना चाहिए। जिनकी लापरवाही से किसानों के खून-पसीने से उपजी और कर दाता के धन से खरीदी गई लाखों टन उपज बर्बाद हो गई। सोचिए जिस देश में करोड़ों लोग कुपोषण व खाद्यान्न की किल्लत से जूझ रहे हों, उसके सिर्फ एक राज्य में ही, चार साल में 8191 मीट्रिक टन अनाज सड़ जाए, इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। हमारा गैर-जिम्मेदार तंत्र व अदूरदर्शी नेतृत्व इसकी जवाबदेही से बच नहीं सकता। ये लापरवाही की अंतहीन शृंखला की दुर्भाग्यपूर्ण परिणति है। किसानों के खून-पसीने से उपजी और कर दाता के धन से खरीदी गई लाखों टन उपज का यूं बर्बाद होना बताता है कि हमारे तंत्र में प्रबंधन से जुड़े अधिकारी कितने संवेदनहीन और गैर-जिम्मेदार हैं। चिंता की बात यह है कि पंजाब में साल-दर-साल बर्बाद होने वाले अनाज की मात्रा लगातार बढ़ती ही जा रही है। यानी ...
इतनी हिंसा – कारण?

इतनी हिंसा – कारण?

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इतनी हिंसा – कारण? राकेश दुबे देश में बढ़ती भौतिक विलासिता की चकाचौंध और सोशल मीडिया का जिंदगी में बढ़ता दखल, पारिवारिक-सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहा है। संबंधों में तकरार और फिर नृशंस तरीके से हत्या जैसे मामलों ने देश को झकझोर कर रख दिया है। मेरठ की मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर अपने पति सौरभ राजपूत की हत्या कर दी। ऐसे ही मुजफ्फरनगर की पिंकी ने अपने आशिक के लिए अपने पति अनुज को जहर पिलाकर मार दिया। रिश्तों में हत्या का ऐसा ही प्रकरण बेंगलुरू में देखने को मिला, वहां के हुलीमावु क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या करके उसकी बॉडी को सूटकेस में भर दिया। देश के अलग-अलग शहरों में हो रही ऐसी हत्याओं ने देश की जनता को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया। आखिर यह सिलसिला कहां जकर थमेगा? इन घटनाओं ने सोचने-समझने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर यह देश किस दिशा...