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गालिबने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई

गालिबने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई

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आर.के. सिन्हा मिर्जा मोहम्मद असादुल्लाह बेग खान यानी  मिर्जा गालिब एक से बढ़कर एक कालजयी शेर कहते हैं। कौन सा हिन्दुस्तानी होगा जिन्हें गालिब साहब के कहे “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसीं, कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले...” और “हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है...” जैसे शेरों को सुन-सुनकर आनंद ना मिलता हो। गालिब अपनी शायरी में वे सारे दुख, तकलीफ और त्रासदियों का जिक्र करते हैं जिससे वे महान शायर बनते हैं। लगता है कि गालिब में भी एक आम आदमी की कई कमजोरियाँ थीं। ग़ालिब ने अपने जीवन में भी कई दुःख देखे। उनके सात बच्चे थे लेकिन सातों की मृत्यु हो गई थी। उनकी माली हालत तो कभी बहुत बेहतर नहीं रही। वे जीवनभर किराए के घर में ही रहे। दिल्ली-6 में जहाँ  ...
26 दिसम्बर : वीर बाल दिवस

26 दिसम्बर : वीर बाल दिवस

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गुरु गोविन्द सिंह के साहबजादों को दी गई क्रूर यातनाओं और बलिदान का स्मृति दिवस --रमेश शर्मा दिसम्बर माह की 21 से लेकर 27 के बीच गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाओं और बलिदान की स्मृतियाँ तिथियाँ हैं। ऐसा उदाहरण विश्व के किसी इतिहास में नहीं मिलता। इनमें 26 दिसम्बर के दिन दो अवोध साहबजादों का बलिदान हुआ। ये बलिदान राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिये हुये । इस वर्ष यह दिवस वीर बाल दिवस के रूप में स्मरण किया जा रहा है ।सनातन संस्कृति और परंपराओं की रक्षा केलिये भारत में असंख्य बलिदान हुये हैं। इनमें कुछ परिवार ऐसे हैं जिनकी पीढ़ियों का बलिदान इस राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की रक्षा केलिये हुआ । गुरु गोविन्द सिंह की वंश परंपरा है जिनकी पीढियों के बलिदान इतिहास पन्नों में दर्ज है । इसमें गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाएँ और बलिदान का व...
भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय

भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय

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भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय आर.के. सिन्हा अपने वतन से सात समंदर दूर कामकाज के लिए गए भारतीयों ने देश के खजाने को लबालब भर दिया है। उन्होंने चालू साल 125 बिलियन डॉलर यानी करीब 136 अरब रुपये भारत में भेजे। विश्व बैंक की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से बाहर रहने वाले लाखों भारतीयों ने साल 2022 की तुलना में 11 फीसद अधिक धन चालू साल में स्वदेश भेजकर अपने  देश से प्रेम का सशक्त परिचय़ दिया।  भारत के बाद   मेक्सिको और चीन  को अपने देशवासियों से पैसा मिला। हालांकि, भारत की तुलना में इन दोनों देशों को अपनी आबादी के अनुपात में बहुत कम धन मिला। मेक्सिकों को 67 बिलियन और चीन को मात्र 50 बिलियन डॉलर मिले। बात बहुत साफ है कि संसार के कोने-कोने में रहने वाले भारतीयों ने अपने देश...
डाक्टर और जानलेवा लापरवाही ?

डाक्टर और जानलेवा लापरवाही ?

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भारतीय संसद द्वारा हाल ही में भारतीय न्याय संहिता में जो बदलाव किया गया है वह डॉक्टरों के लिये तो निश्चय ही राहतकारी है, लेकिन यदि वास्तव में जानलेवा लापरवाही होती है तो क्या मरीज को न्याय मिल सकेगा? कुछ लोग इस फैसले की तार्किकता पर सवाल उठाते हैं। दरअसल, भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 में किसी लापरवाही से होने वाली मौत के लिये जुर्माने के अलावा पांच साल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही इलाज में लापरवाही के प्रकरण में चिकित्सकों को राहत देते हुए इस सजा को घटाकर अधिकतम दो साल व जुर्माना कर दिया गया है। सरकार की दलील है कि लोगों के इलाज करने वाले चिकित्सकों को अनावश्यक दबाव से बचाने के लिये भारतीय मेडिकल एसोसिएशन के आग्रह पर यह कदम उठाया गया है, लेकिन वहीं जानकार मानते हैं कि मरीजों के जीवन रक्षा के अधिकार का भी सम्मान होना चाहिए। संसद के शीतकालीन सत्र में अभूतपूर्व हंगामे और निलं...
क्यों जरुरी था अयोध्या का भव्य विकास?

क्यों जरुरी था अयोध्या का भव्य विकास?

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-विनीत नारायणX (ट्विटर) पर एक पोस्ट देखी जिसमें अयोध्या में रामलला के विग्रह को रज़ाई उढ़ाने का मज़ाक़ उड़ाया गया है।उस पर मैंने निम्न पोस्ट लिखी जो शायद आपको रोचक लग। वैष्णव संप्रदायों में साकार ब्रह्म की उपासना होती है।उसमें भगवान के विग्रह को पत्थर, लकड़ी या धातु की मूर्ति नहीं माना जाता। बल्कि उनका जागृत स्वरूप मानकरउनकी सेवा- पूजा एक जीवित व्यक्ति के रूप में की जाती है।ये सदियों पुरानी परंपरा है। जैसे श्रीलड्डूगोपाल जी के विग्रह को नित्य स्नान कराना, उनका शृंगार करना, उन्हेंदिन में अनेक बार भोग लगाना और उन्हें रात्रि में शयन कराना। ये परंपरा हम वैष्णवों के घरों में आज भी चलरही है। ‘जाकी रही भावना जैसी-प्रभु मूरत देखी तीन तैसी।’इसीलिए सेवा पूजा प्रारंभ करने से पहले भगवान के नये विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसका शास्त्रों मेंसंपूर्ण विधि विधान है। जैसा अब रामलला के विग्रह की अ...
अटलजी बहुत याद आते हैं

अटलजी बहुत याद आते हैं

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-बलबीर पुंज आगामी 25 दिसंबर का देश-दुनिया में बहुत ही महत्व है। इस दिन अर्थात् चार दिन बाद दुनियाभर (भारत सहित) करोड़ों ईसाई आगामी अपने आराध्य ईसा मसीह का जन्मदिवस हर बार की तरह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे। यीशु के असंख्य श्रद्धालुओं को इस बात से रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ता कि यह दिन एक पोप की कोरी-कल्पना पर आधारित है, जिसका उल्लेख बाइबल तक में नहीं है। उनके लिए अपने इष्ट द्वारा प्रदत्त 10 आज्ञाओं की अनुपालना, उनका विनम्र व्यक्तित्व और विनयशील जीवन ही महत्व रखता है। यह संयोग ही है कि इसी दिन वर्ष 1924 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, जननायक और कुशल राजनीतिज्ञ दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का भी जन्म हुआ था। इस बार उनकी 99वीं जयंती मनाई जाएगी। वर्ष 2014 से भाजपा शासित राज्य सरकार इस दिन को सुशासन दिवस के रूप में मना रहे है। अटलजी से मेरा निजी परिचय 1980 के दशक में हुआ था। वे न केवल आ...
<strong>स्वार्थी सांसदों ने संसद को मज़ाक बनाकर रख दिया</strong>

स्वार्थी सांसदों ने संसद को मज़ाक बनाकर रख दिया

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संसद में शोर-शराबा, वेल में जाकर नारेबाज़ी करना, एक-दूसरे पर निजी कटाक्ष करना यहां तक कि कई बार हाथापाई पर उतारू हो जाना आज संसद की आम तस्वीर है। आखिर सियासी पार्टियों और सांसदों का बर्ताव इतना अराजक क्यों हो गया है? क्या आज पार्टियों के निहित स्वार्थों ने संसद को मज़ाक बनाकर रख दिया है। अब समय आ गया है कि हमारे सभी सांसद इस बात पर ध्यान दें कि संसदीय लोकतंत्र को कैसे मजबूत किया जा सकता है। अन्यथा जनता ही उसका उपहास करने लगेगी। हमारे सांसदों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वे किस तरह की विरासत छोड़ कर जा रहे हैं। क्या वे संसद को इसके पतन के भार के नीचे दबने देंगे? आज जो हो रहा है, वो हम देख ही रहे हैं। उम्मीद है कि देश के सांसदों को, सांसद चलाने वालों को इस बात का भान जल्द हो कि देश का नागरिक उन्हें कितनी उम्मीद के साथ देखता है। साथ ही उन्हें कई मौकों पर...
गतिरोध एवं उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना दुर्भाग्यपूर्ण

गतिरोध एवं उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना दुर्भाग्यपूर्ण

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ललित गर्ग लोकसभा एवं राज्यसभा में सत्तापक्ष या विपक्ष का अनुचित एवं अलोकतांत्रिक व्यवहार न केवल अशोभनीय, अनुचित एवं मर्यादाहीन है बल्कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आदर्श परम्पराओं को धुंधलाने वाला है। शीतकालीन सत्र से लोकसभा के अब तक 95 एवं राज्यसभा के 46 कुल 141 सांसदों को सस्पेंड किए जाने के बाद विपक्षी सांसद संसद परिसर में धरना दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतारकर मिमिक्री की, निश्चित ही इस तरह का अपमानजनक एवं अशालीन व्यवहार भारत के लोकतंत्र को कलंकित करने की चिन्ताजनक घटना है। उपराष्ट्रपति सर्वोच्च एवं सम्मानजनक पद है, इसकी गरिमा को आहत करना एवं उस पर आंच आने का अर्थ है राष्ट्र की अस्मिता एवं अस्तित्व को धुंधलाने की कुचेष्टा। तभी उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि यह हास्यास्पद और अस्वीकार्य है कि एक सांसद मेर...
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस- 18 दिसम्बर 2023

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस- 18 दिसम्बर 2023

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अल्पसंख्यकों को नहीं बांटें और सत्य को नहीं ढकें- ललित गर्ग- अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पहली बार 18 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया गया था। भारत में, इस दिन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। यह दिवस राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों की घोषणा को जीवंतता प्रदान करने का दिवस है। भारत में इस वर्ष की थीम के अन्तर्गत केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के गैर-भेदभाव और समानता के अधिकारों की गारंटी के प्रयास सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है। इस दिन, देश के अल्पसंख्यक समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों और मुद्दों पर ध्यान खींचा जाता है। लोग धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की बात करते हैं। अल्पसंख्यक शब्द अल्प और संख्यक दो शब्दों ...
16 दिसम्बर 1971 : भारत का विजय दिवस

16 दिसम्बर 1971 : भारत का विजय दिवस

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*तेरह दिन में टूट गया था पाकिस्तान*पाकिस्तान ने शुरुआत नवम्बरमें ही करदी थी --रमेश शर्मा पाकिस्तान भारत का ही हिस्सा है, उसका जन्म भारत की भूमि पर हुआ । वहां रहने वाले लोग भी भारतीय पूर्वजों के वंशज हैं । फिर भी वे लोग दिन रात भारत के विरुद्ध विष वमन और भारत को मिटाने का दंभ भरते हैं । पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो अपने जन्म के पहले दिन से नहीं बल्कि अपने गर्भ काल से अपने जन्मदाता भारत की धरती पर रक्तपात का षडयंत्र कर रहा है । पाकिस्तान के इन षडयंत्रों में सबसे भीषण षडयंत्र था 1971 का युद्ध । जो उसने भारत पर थोपा था लेकिन बुरी तरह मुँह की खाई । भारत के प्रति उत्तर से वह मात्र तेरह दिन में टूट गया । यह टूटन उसके मनोबल पर भी आई और उसके भूभाग पर भी । पर ढीढ इतना कि अपनी कुचालें बंद नहीं करता । आज भी प्रतिदिन कुछ न कुछ षडयंत्र करता ही रहता है । 1971 का यह युद्ध कुल तेरह दिन तक चला था । दुन...