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भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

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भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है विश्व के कुछ देश वर्ष 2024 में मंदी की मार झेल सकते हैं, यह कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का आंकलन है। परंतु, वैश्विक स्तर पर अर्थव्यस्था के गिरने की सम्भावनाओं के बीच एक देश ऐसा भी है, जिस पर समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक, की नजरें टिकी है, वह है भारत। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति समस्त विदेशी वित्तीय संस्थान आशावान हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब भारत ही सहारा देने की क्षमता रखता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अभी हाल ही में एक प्रतिवेदन जारी किया है। इसमें भारत के प्रति मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं। प्रथम, भारत आज विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। दूसरे, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरे, व...
कतर में भी बजा भारत का डंका !!

कतर में भी बजा भारत का डंका !!

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मृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की कूटनीति का डंका पूरे विश्व बज रहा है, इसी के परिणाम स्वरुप कतर से एक प्रसन्नतादायी समाचार आया है जिससे हर भारतवासी गर्व का अनुभव कर रहा है। कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा से राहत मिल गयी है।दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलाजी में कार्यरत भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था । इन नौसेनिक अधिकारियों में राष्ट्रपति स्वर्ण पदक विजेता कैप्टन नवतेज गिल के अलावा कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी,अमित नागवाल, एस के गुप्ता, कमांडर वी के वर्मा सुगुनकर पाकला और रागेश शामिल हैं। 26 अक्तूबर 2023 को कतर के एक न्यायालय ने इन अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी फिलहाल अब इन सभी अधिकारियों को फांसी की सजा से राहत मिल चुकी है हालांकि अ...
<strong>बीते वर्ष में भारत ने निर्माण की नई रेखाएं खींचीं</strong>

बीते वर्ष में भारत ने निर्माण की नई रेखाएं खींचीं

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- ललित गर्ग- बीते वर्ष में सकारात्मकता की नयी तस्वीरें सामने आयी। ज्यादातर बड़ी सकारात्मक खबरें आर्थिक उपलब्धियों और नये राजनीतिक समीकरणों से जुड़ी हैं। साल के अंत में हुए विधानसभा चुनावों, महिला सशक्तीकरण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण, नए संसद भवन के उद्घाटन, हर क्षेत्र में स्वदेशी की शक्ति और संसदीय-राजनीति, सुप्रीम कोर्ट के कुछ बड़े फैसलों, चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 मिशन जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियां निराशा से ज्यादा आशाभरी खबरों ने आजादी के अमृतकाल में वास्तविक रूप में अमृतमय होने के संकेत दिये हैं। भारत की दिशा एवं दशा बदल रही है। बीते वर्ष में राजनीति से लेकर सामाजिक, आर्थिक से लेकर खेल तक, सुरक्षा से लेकर सौहार्द तक अनेक सकारात्मक दृष्टिकोण ने सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास को बल दिया है। चीन के हैंगजाऊ में हुए एशियाई खेलों में कई प्रकार के रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने खेल की ...
भाजपा का विजयी अभियान : सामान्य कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की कमान

भाजपा का विजयी अभियान : सामान्य कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की कमान

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~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलमध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा की विजय पताका फहर चुकी है। जहां राजस्थान और छत्तीसगढ़ इन दोनों राज्यों में भाजपा ने कांग्रेस को पराजित कर सत्ता में अपनी वापसी की है। वहीं मध्यप्रदेश में 163 विधानसभा सीट के साथ ऐतिहासिक एवं प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सरकार में पुनः वापसी हुई है। इन तीनों राज्यों में भाजपा द्वारा संगठनात्मक स्तर पर नेतृत्व को लेकर किए गए आमूलचूल परिवर्तनों ने एक बार फिर से सबको सोचने के लिए विवश कर दिया है। मीडिया और चर्चाओं में आगे चलने वाले चेहरों के स्थान पर ऐसे तीन चेहरे चुनकर आए जो सम्भावित दौड़ में नहीं माने जा रहे थे।मध्यप्रदेश में जहाँ डॉ.मोहन यादव को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया वहीं छ.ग. एवं राजस्थान में विष्णुदेव साय और भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री की कमान दी गई। नेतृत्व को लेकर हुए इन निर्णयों ने र...
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

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रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को हल करने में लगेंगे कई साल, वैकल्पिक और टिकाऊ तरीकों पर विचार करना बुद्धिमानी। किसानों को उर्वरकों के उपयोग की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करें, जिसमें सही मात्रा, समय और उपयोग की तकनीकें शामिल हैं। जो किसान अधिक ज्ञान प्राप्त करेंगे वे निर्णय लेने में बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे। लक्षित सब्सिडी कार्यक्रमों को लागू करें जो छोटे और हाशिए पर रहने वाले किसानों को समर्थन देने पर केंद्रित हों जो वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहें हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सब्सिडी उन लोगों को दी जाए जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। विशेष फसल और मिट्टी की आवश्यकताओं के आधार पर उर्वरक के उपयोग को अधिकतम करने के लिए, मिट्टी परीक्षण और पोषक तत्व प्रबंधन रणनीतियों जैसी सटीक कृषि तकनीकों के कार्यान्वयन को बढ़ावा दें। इससे पर्यावरण और उपयोग पर नकारात्मक प्रभा...
नया साल मनायें लेकिन सावधानी से : बेटे बेटियों को समझाकर भेजें

नया साल मनायें लेकिन सावधानी से : बेटे बेटियों को समझाकर भेजें

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पिछले साल हत्या और बलात्कार की दर्जनों घटनाएँ घटीं थीं : दिल्ली में एक बेटी को मीलों घसीटा था --रमेश शर्मा नया साल आने वाला है । पूरा देश उत्सव मनायेगा । महानगरों में सभी बार, होटल रेस्टोरेंट बुक हो चुके हैं । पहाड़ों पर जाने के लिये भी कतारें लग गईं हैं । उत्सव मनाएँ लेकिन सावधानी बरतें । पिछले साल अकेली दिल्ली में हत्या, बलात्कार आदि के 19 बड़े अपराध घटे थे । कांजीवली में तो एक बेटी को 14 किलोमीटर तक घसीटा था ।वर्ष 2023 का समापन की घड़ी आ गई और 2024 की झलक दिखने लगी । दुनियाँ के साथ भारत में भी नववर्ष के स्वागत की तैयारी हो रही है । चारों ओर ये नजारे दिख रहे हैं। मीडिया में नववर्ष तैयारी की खबरें आने लगीं। तैयारी होटल, बार रेस्टोरेंट आदि में बहुत अधिक है । अंग्रेज ठंडे देश के रहने वाले थे । वे क्रिसमस की इन छुट्टियों में मंसूरी नैनीताल आदि ठंडे पहाड़ों पर जाया करते थे । अंग्रे...
गालिबने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई

गालिबने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई

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आर.के. सिन्हा मिर्जा मोहम्मद असादुल्लाह बेग खान यानी  मिर्जा गालिब एक से बढ़कर एक कालजयी शेर कहते हैं। कौन सा हिन्दुस्तानी होगा जिन्हें गालिब साहब के कहे “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसीं, कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले...” और “हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है...” जैसे शेरों को सुन-सुनकर आनंद ना मिलता हो। गालिब अपनी शायरी में वे सारे दुख, तकलीफ और त्रासदियों का जिक्र करते हैं जिससे वे महान शायर बनते हैं। लगता है कि गालिब में भी एक आम आदमी की कई कमजोरियाँ थीं। ग़ालिब ने अपने जीवन में भी कई दुःख देखे। उनके सात बच्चे थे लेकिन सातों की मृत्यु हो गई थी। उनकी माली हालत तो कभी बहुत बेहतर नहीं रही। वे जीवनभर किराए के घर में ही रहे। दिल्ली-6 में जहाँ  ...
26 दिसम्बर : वीर बाल दिवस

26 दिसम्बर : वीर बाल दिवस

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गुरु गोविन्द सिंह के साहबजादों को दी गई क्रूर यातनाओं और बलिदान का स्मृति दिवस --रमेश शर्मा दिसम्बर माह की 21 से लेकर 27 के बीच गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाओं और बलिदान की स्मृतियाँ तिथियाँ हैं। ऐसा उदाहरण विश्व के किसी इतिहास में नहीं मिलता। इनमें 26 दिसम्बर के दिन दो अवोध साहबजादों का बलिदान हुआ। ये बलिदान राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिये हुये । इस वर्ष यह दिवस वीर बाल दिवस के रूप में स्मरण किया जा रहा है ।सनातन संस्कृति और परंपराओं की रक्षा केलिये भारत में असंख्य बलिदान हुये हैं। इनमें कुछ परिवार ऐसे हैं जिनकी पीढ़ियों का बलिदान इस राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की रक्षा केलिये हुआ । गुरु गोविन्द सिंह की वंश परंपरा है जिनकी पीढियों के बलिदान इतिहास पन्नों में दर्ज है । इसमें गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाएँ और बलिदान का व...
भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय

भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय

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भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय आर.के. सिन्हा अपने वतन से सात समंदर दूर कामकाज के लिए गए भारतीयों ने देश के खजाने को लबालब भर दिया है। उन्होंने चालू साल 125 बिलियन डॉलर यानी करीब 136 अरब रुपये भारत में भेजे। विश्व बैंक की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से बाहर रहने वाले लाखों भारतीयों ने साल 2022 की तुलना में 11 फीसद अधिक धन चालू साल में स्वदेश भेजकर अपने  देश से प्रेम का सशक्त परिचय़ दिया।  भारत के बाद   मेक्सिको और चीन  को अपने देशवासियों से पैसा मिला। हालांकि, भारत की तुलना में इन दोनों देशों को अपनी आबादी के अनुपात में बहुत कम धन मिला। मेक्सिकों को 67 बिलियन और चीन को मात्र 50 बिलियन डॉलर मिले। बात बहुत साफ है कि संसार के कोने-कोने में रहने वाले भारतीयों ने अपने देश...
डाक्टर और जानलेवा लापरवाही ?

डाक्टर और जानलेवा लापरवाही ?

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भारतीय संसद द्वारा हाल ही में भारतीय न्याय संहिता में जो बदलाव किया गया है वह डॉक्टरों के लिये तो निश्चय ही राहतकारी है, लेकिन यदि वास्तव में जानलेवा लापरवाही होती है तो क्या मरीज को न्याय मिल सकेगा? कुछ लोग इस फैसले की तार्किकता पर सवाल उठाते हैं। दरअसल, भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 में किसी लापरवाही से होने वाली मौत के लिये जुर्माने के अलावा पांच साल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही इलाज में लापरवाही के प्रकरण में चिकित्सकों को राहत देते हुए इस सजा को घटाकर अधिकतम दो साल व जुर्माना कर दिया गया है। सरकार की दलील है कि लोगों के इलाज करने वाले चिकित्सकों को अनावश्यक दबाव से बचाने के लिये भारतीय मेडिकल एसोसिएशन के आग्रह पर यह कदम उठाया गया है, लेकिन वहीं जानकार मानते हैं कि मरीजों के जीवन रक्षा के अधिकार का भी सम्मान होना चाहिए। संसद के शीतकालीन सत्र में अभूतपूर्व हंगामे और निलं...