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आम बजट २०१७ या भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध का शंखनाद!

आम बजट २०१७ या भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध का शंखनाद!

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आठ नवम्बर २०१६ की रात्रि ८ बजे प्रधान मंत्री द्वारा देश की ८६% मुद्रा के एक झटके में विमुद्रीकरण (५०० व १००० के नोट बंदी) की घोषणा के बाद अब केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली ने भी संसद में वर्ष २०१७-१८ का आम बजट पेश करते हुए अनेक कीर्तिमान बना डाले हैं.  उनके बजट भाषण में देश की रग-रग में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के संकल्प की अभिव्यक्ति भी स्पष्ट नजर आती है. जहां आयकर की दर १० से घटाकर ५ प्रतिशत कर ईमानदार करदाताओं या वेतनभोगी कर्मचारियों या यूं कहें कि उस तबके को जो नोटबंदी से सर्वाधिक परेशान हुआ, किन्तु धैर्य नहीं खोया, को, विशेष राहत प्रदान की है वहीँ, विविध सरकारी योजनाओं का लाभ गरीवों किसानों कामगारों अनुसूचित जातियों अनुसूचित जन जातियों युवाओं महिलाओं तथा समाज के अन्य निचले तबकों तक सीधा पहुंचाए जाने हेतु विविध प्रबंध भी साफ़ देखे जा सकते हैं. ...
धूर्त बिल्डरों पर लगाम; ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान

धूर्त बिल्डरों पर लगाम; ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान

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आप ये मानेंगे कि किसी भी इंसान की माली हालात चाहे कितनी ही खस्ता क्यों न हो पर उसके जीवन का एक बड़ा सपना होता है कि उसकी अपनी भी एक छत हो।  उसका अपना एक अदद घर हो, जिसे वह अपना आशियाना कह सके। और, इस सपने को साकार करने की दिशा में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने 2017-18 के आम बजट में बहुत से अहम कदम उठाए हैं और यह आशा की किरण गरीबों और मेहनतकश भारतीयों के मन में जगा ही दी है कि जल्दी ही उनका सपना साकार हो जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो 2022 तक हरेक भारतीय को घर देने का वादा कर ही दिया हैं। उस वादे को पूरा करने की दिशा में अरुण जेटली ने इस बार की बजट में दो दूरदर्शी कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में सस्ते घरों को“इंफ्रास्ट्रक्चर” का दर्जा दे दिया है। इससे गरीबों के लिए सस्ते घरों की आपूर्ति में तेजी से वृद्धि की संभावना तेजी से बढ़ेगी। सरकार की चाहत है कि सा...
पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे

पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे

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आदर्श की बात जुबान पर है, पर मन में नहीं। उड़ने के लिए आकाश दिखाते हैं पर खड़े होने के लिए जमीन नहीं। दर्पण आज भी सच बोलता है पर हमने मुखौटे लगा रखे हैं। ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व के सामने सबसे बड़ी गंभीर समस्या है और हम पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन प्रदूषित करते जा रहे हैं। ऐसी निराशा, गिरावट व अनिश्चितता की स्थिति में एक व्यक्ति पर्यावरण को बचाने के लिये बराबर प्रयास कर रहा है। यह व्यक्ति नहीं है, यह नेता नहीं है, यह विचार है, एक मिशन है। और येे श्री अवधूत बाबा जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अरुणगिरीजी के रूप पहचाने जाते हैं और उनका मिशन है अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा। पर्यावरण संरक्षण का यह अनूठा एवं अनुकरणीय उपक्रम है, जो वैष्णोदेवी से कन्याकुमारी तक निरन्तर चलित यज्ञ और पांच करोड़ पौधारोपण द्वारा विश्व पर्यावरण की शु़िद्ध के संकल्प के साथ चलयमान एक महायात्रा है। अगस्त 2017 तक चलने वाली करीब 4500 किलो...
हम  हवा-पानी सोखन लगे,  तो को कर सकै उद्धार

हम हवा-पानी सोखन लगे, तो को कर सकै उद्धार

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हर्ष की बात है कि विश्व नमभूमि दिवस - 2017 से ठीक दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 15 लाख डाॅलर की धनराशि वाले ’वाटर एंबडेंस प्राइज’ हेतु समझौता किया है। यह समझौता, भारत के टाटा औद्योगिक घराने और अमेरिका के एक्सप्राइज़ घराने के साथ मिलकर किया गया है।    विषाद का विषय है कि जल संरक्षण के नाम पर गठित इस पुरस्कार का मकसद हवा से पानी निकालने की कम ऊर्जा खर्च वाली सस्ती प्रौद्योगिकी का विकास करने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।    जाहिर है कि सस्ती प्रौद्योगिकी से हवा से पानी निकालना सस्ता पडे़गा। परिणामस्वरूप, एक नई प्रतिस्पर्धा जन्म लेगी; हवा में से ज्यादा से ज्यादा पानी निकाल लेने की प्रतिस्पर्धा। अभी हमारी भूमि फाड़कर पानी निकालने की प्रौद्योगिकी (ट्युबवैल, समर्सिवैल और जेटवैल) नमभूमि क्षेत्रों को सुखा रही है; कल को हवा से पानी निकासी की प्रौद्योगिकियां वायुमंडल को सुखाने की दौड़ में ल...
मोदी जी का राष्ट्र के नाम सन्देश और 7 अनुत्तरित प्रश्न

मोदी जी का राष्ट्र के नाम सन्देश और 7 अनुत्तरित प्रश्न

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विमुद्रीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया तो लगा वो भ्रष्टाचार, कालाधन, आतंकवाद और नकली मुद्रा के खिलाफ छेड़े गए इस महाभियान के जो परिणाम और उपलब्धियां सरकार ने प्राप्त की उनको देश की जनता के सामने रखेंगे और साथ ही कालेधन के खिलाफ आगे की लड़ाई की कार्ययोजना देश के सामने रखेंगे। किंतु ऐसा कुछ भी न कर उन्होंने मात्र कुछ रेबडिय़ा सी जनता को बांटी वो भी आधी अधूरी सी। हालांकि यह तो समझ आता है कि मोदी जी की नीयत अच्छी है और मोदी सरकार का सारा उपक्रम देश में आगे से कालाधन पैदा होने से रोकने और उसको खपाने के चोर रास्ते बंद करने पर है, यह प्रशंसनीय भी है। अगर सारे उपाय ठीक से लागू कर लिए जाए और वस्तु एवं सेवा कर लागू हो जाए तो अगले वित्त वर्ष से देश की 70 से 80 प्रतिशत तक अर्थव्यवस्था सफ़ेद हो जायेगी जो वर्तमान में मात्र 20 प्रतिशत ही है। ल...
संसार के प्रत्येक बालक को गुणात्मक शिक्षा मिलनी चाहिए

संसार के प्रत्येक बालक को गुणात्मक शिक्षा मिलनी चाहिए

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            सरकारी बजट में विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक ध्यान रखा जाता है फिर भी बजट में शिक्षा व्यवस्था का खास ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रायः अधिकांश देशों में शिक्षा का बजट रक्षा से कम होता है, यदि शिक्षा का बजट रक्षा से ज्यादा हो और सही ढंग से इसका प्रयोग हो तो रक्षा की तो जरूरत ही न पड़े। बजट ऐसा हो कि जिससे प्रत्येक युवा को नौकरी या व्यापार शुरू करने में दौड़-भाग न करनी पड़े, क्योंकि इससे व्यक्ति का मनोबल क्षीण होता है। शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जिसके द्वारा सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। युद्ध के विचार सबसे पहले मानव के मस्तिष्क में पैदा होते हैं। मानव के मस्तिष्क में शान्ति के विचार डालने होंगे। शान्ति के विचार देने के सबसे श्रेष्ठ अवस्था बचपन है। आज संसार में जो भी मारामारी हो रही है उसके लिए आज की शिक्षा दोषी है। सारे विश्व के प्रत्येक बालक को बाल्यावस्था से शान्ति की शिक्षा मिलनी चा...
मोदी क्यों करें ट्रंप से तुलना?

मोदी क्यों करें ट्रंप से तुलना?

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लोकसभा-सदस्यों के एक रात्रि-भोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रति सहानुभूति दिखाई और कहा कि पता नहीं क्यों, उन पर लोग पत्थर बरसा रहे हैं? जैसे मैं दिल्लीवाला नहीं हूं, वैसे ही ट्रंप वाशिंगटन डीसी वाले नहीं हैं। जैसे वे बाहरी हैं, मैं भी बाहरी हूं। यह कैसा संयोग है? संयोग यह भी है कि ट्रंप ने अपने चुनाव-अभियान के दौरान भारतीय मूल के वोट पटाते वक्त मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए थे। वह ट्रंप की मजबूरी थी। यह मोदी कि मजबूरी हो सकती है कि वे जान-बूझकर ट्रंप के तारीफ में कसीदें काढ़ रहे हैं। मोदी का यह गणित हो सकता है कि ट्रंप को वह खुश रखें, वरना ट्रंप कहीं अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों के पीछे न पड़ जाए। 30 लाख भारतीय वहां रहते हैं। वे संपन्न हैं और अन्य अमेरिकियों की नजर में ईर्ष्या के पात्र हैं। यदि ट्रंप उनसे रोजगार छीनने का अभियान चला दे...
Dr. Abdul Kalam on the Indian media

Dr. Abdul Kalam on the Indian media

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Why is the media here so negative? Why are we in India so embarrassed to recognize our own strengths, our achievements? We are such a great nation. We have so many amazing success stories but we refuse to acknowledge them. Why? We are the first in milk production. We are number one in Remote sensing satellites. We are the second largest producer of wheat. We are the second largest producer of rice. Look at Dr. Sudarshan , he has transferred the tribal village into a self-sustaining, self-driving unit. There are millions of such achievements but our media is only obsessed in the bad news and failures and disasters. I was in Tel Aviv once and I was reading the Israeli newspaper. It was the day after a lot of attacks and bombardments and deaths had taken place. The Hamas had struck. B...

Indian politicians should follow American rulers during tenures and retirements

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  Recently retired American Vice President Joe Biden should be role-model for Indian politicians. There was an occasion when Joe Biden during his tenure as American Vice president even thought of selling his house to meet medical-expenses of his young son Beau fighting with cancer (who unfortunately later died). It was greatness of the then American President Barrack Obama who assisted him, rather than using public-funds for personal needs. Joe Biden during his long career as Senator from the year 1973 never claimed a single penny from public-exchequer.   Other great examples are retired American Presidents who spend their lives like ordinary American citizens in their private residences without any government-provided facilities including status-symbol of security. Recently retired Ame...
Demonetization of high denomination notes

Demonetization of high denomination notes

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Prime Minister Narendra Modi has announced demonetization of high denomination currency keeping in view the manifesto of the party to fight corruption and respecting the sentiments of voters. Despite the pain which people are facing in the exercise, generally the scheme has been hailed by Indians across the spectrum. The sentiments are positive and encouraging. In 1946 and 1978, similar demonetization was done in India but the scale at which it is being done now is unprecedented. First, some facts about the demonetized currencies. The note of Rs. 500 was introduced in October 1987-88 while notes of Rs.1,000 were discontinued in January 1978 and reissued in November 2000. The history of Rs.1,000 note is interesting. It was first introduced in 1938 under the British rule and then d...