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आर्थिक विकास की दृष्टि से एक दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी

आर्थिक विकास की दृष्टि से एक दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी

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अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। भारत में केंद्र सरकार ने विनिर्माण के क्षेत्र में बड़े आकार की कई नई इकाईयों को स्थापित करने के उद्देश्य से हाल ही के समय में कई निर्णय लिए हैं, जिनका उचित परिणाम अब दिखाई देने लगा है। इनमे शामिल हैं, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, कम्पनियों द्वारा अदा की जाने वाली कर की राशि को 25 प्रतिशत तक कम करना और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना, ईज आफ डूइंग बिजिनेस के क्षेत्र में कई निर्णय लेना, आदि, शामिल हैं। इसके चलते चीन से विनिर्माण के क्षेत्र में कई इकाईयां भारत में अपना कार्य प्रारम्भ करने जा रही हैं। ...
जबरन धर्मांतरण की आजादी कदापि नहीं

जबरन धर्मांतरण की आजादी कदापि नहीं

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अब तो समझिये,देश की शीर्ष अदालत भी जबरन धर्मांतरण को चुनौतीपूर्ण मुद्दा मानती है , उसका स्पष्ट मत है कि इस तरह की कोशिशें जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चुनौती हैं, वहीं नागरिकों की धर्म और अंत:करण की स्वतंत्रता को भी बाधित करती हैं। जब शीर्ष अदालत केंद्र सरकार से कदम उठाने को कहती है तो विषय की गंभीरता का अहसास होता है। अदालत का मानना है कि देश में धार्मिक आजादी है, लेकिन इसका मतलब जबरन धर्मांतरण की आजादी होना कदापि नहीं है। शीर्ष अदालत ने इस बाबत केंद्र सरकार को तुरंत कदम उठाने को कहा है और बाईस नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है ताकि मामले में माह के अंतिम सप्ताह में सुनवाई हो सके। देश में लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि देशी-विदेशी एजेंसियां धर्मांतरण के जरिये देश का सांस्कृतिक चरित्र बदलने की कोशिशों में लगी हैं। खासकर आदिवासी व पिछड़े इलाकों में छलबल व धनबल के जरिये ऐसी कोशिशों ...
चंद्रचूड़ और अमित शाहः पते की बात*

चंद्रचूड़ और अमित शाहः पते की बात*

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* आज दो खबरों ने बरबस मेरा ध्यान खींचा। एक तो मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ के बयान ने और दूसरा गृहमंत्री अमित शाह के बयान ने! दोनों ने वही बात कह दी है, जिसे मैं कई दशकों से कहता चला आ रहा हूं लेकिन देश के किसी न्यायाधीश या नेता की हिम्मत नहीं पड़ती कि भाषा के सवाल पर वे इतनी पुख्ता और तर्कसंगत बात कह दें। चंद्रचूड़ ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की संगोष्ठी में बोलते हुए कह दिया कि कोई यदि अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है तो इसे उसकी योग्यता का प्रमाण नहीं माना जा सकता और उसकी योग्यता इस बात से भी नापी नहीं जा सकती कि वह व्यक्ति कौन से नामी-गिरामी स्कूल या काॅलेज से पढ़कर निकला है। हमारे देश में इसका एकदम उल्टा ही होता है। इसका एकमात्र कारण हमारे नेताओं और नौकरशाहों की बौद्धिक गुलामी है। अंग्रेजों की लादी हुई औपनिवेशिक व्यवस्था ने भारत की शिक्षा और चिकित्सा दोनों को चौपट कर र...
Diversity among India’s leadership is significant

Diversity among India’s leadership is significant

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By Balbir Punj The appointment of Indian-origin politician Rishi Sunak as the British Prime Minister (PM) last month was celebrated by Indians at home and abroad. But it also sparked a raft of rancour- bordering on self-flagellation - whether a similar event could happen in India, especially the appointment of a Muslim as PM. Former Union minister P Chidambaram said the British example was a template worthy of emulation. “First Kamala Harris, now Rishi Sunak…. I think there is a lesson to be learned by India,” he wrote. “As we Indians celebrate the ascent of Rishi Sunak let's honestly ask: Can it happen here?” asked Congress leader Shashi Tharoor. But it is important to remember that Sunak got the top job because the Conservative Members of Parliament (MPs) saw in him a thoroughb...
यूक्रेनः मोदी खुद पहल करें

यूक्रेनः मोदी खुद पहल करें

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* विदेश मंत्री डाॅ. जयशंकर ने दिल्ली में एक संगोष्ठी में कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच भारत की मध्यस्थता की बात बहुत अपरिपक्व है याने अभी कच्ची है। यह उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा है। यह सवाल किसी ने इसलिए उनसे पूछ लिया था कि वे 7-8 नवंबर को मास्को गए थे और उस वक्त यही प्रचारित किया जा रहा था कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को रूकवाने और दोनों राष्ट्रों के बीच मध्यस्थता करने के लिए जा रहे हैं। ऐसा लग भी रहा था कि भारत एकमात्र महत्वपूर्ण राष्ट्र है, जो दोनों की बीच मध्यस्थता कर सकता है और इस युद्ध को रूकवा सकता है। ऐसा लगने का एक बड़ा कारण यह भी है कि भारत ने इस दौरान निष्पक्ष रहने की पूरी कोशिश की है। उसने संयुक्तराष्ट्र संघ के सभी मंचों पर यूक्रेन के बारे में यदि मतदान हुआ है तो किसी के भी पक्ष या विपक्ष में वोट नहीं दिया। वह तटस्थ रहा। उसने परिवर्जन किया। युद्ध के पिछल...
भ्रष्टाचार मुक्ति का माध्यम बने सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा पत्र

भ्रष्टाचार मुक्ति का माध्यम बने सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा पत्र

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भ्रष्टाचार मुक्ति का माध्यम बने सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा पत्र- ललित गर्ग - नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री बनते ही भ्रष्टाचार मुक्त भारत का संकल्प लिया। उन्होंने न खाऊंगा और न खाने दूंगा का शंखनाद किया, उनके दो बार के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाने के लिये अनेक कठोर कदम उठाये गये है और उसके परिणाम भी देखने को मिले हैं, लेकिन भ्रष्टाचार फिर भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। भ्रष्टाचार की जटिल से जटिल होती स्थितियों को देखते हुए ही केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सरकारी संस्थानों, मंत्रालयों और नागरिकों के लिए छह बिंदुओं का सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा पत्र जारी किया है, जिसमें उनसे भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संकल्पना के साथ जुड़ने का आह्वान किया गया है। प्रतिज्ञा पत्र को आयोग ने भ्रष्टाचार मुक्त देश के लिए विशेष अभियान के तौर पर पेश किया है। राष्ट्र में भ्रष्टाचार ...
भारत में अभी भी गरीबी भारी, कारण जनसंख्या और बेरोजगारी

भारत में अभी भी गरीबी भारी, कारण जनसंख्या और बेरोजगारी

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7 अक्टूबर 2022, (गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस) भारत में अभी भी गरीबी भारी, कारण जनसंख्या और बेरोजगारी अधिकांश ग्रामीण गरीब खेतिहर मजदूर (जो आम तौर पर भूमिहीन होते हैं) और स्वरोजगार करने वाले छोटे किसान हैं जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन है। उन्हें साल भर रोजगार भी नहीं मिल पाता है। परिणामस्वरूप, वे एक वर्ष में बड़ी संख्या में दिनों तक बेरोजगार और अल्प-रोजगार में रहते हैं मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य कीमतों में वृद्धि, बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक न्यूनतम उपभोग व्यय की लागत को बढ़ा देती है। इस प्रकार, मुद्रास्फीति कई परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे धकेल देती है। भूमि और अन्य संपत्तियों के असमान वितरण के कारण, प्रत्यक्ष गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का लाभ गैर-गरीबों द्वारा विनियोजित किया गया है। गरीबी की भयावहता की तुलना में इन कार्यक्रमों के लिए आवंटित संसाधनो...
क्या संविधान ‘प्रस्तावना’ की विकृति सुधरेगी?

क्या संविधान ‘प्रस्तावना’ की विकृति सुधरेगी?

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क्या संविधान ‘प्रस्तावना’ की विकृति सुधरेगी?------------------------------------------------1950 ई. में बने भारतीय संविधान की “प्रस्तावना” ने भारत को ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ कहा था। उस में छब्बीस वर्ष बाद दो भारी राजनीतिक शब्द जोड़ दिये गये – ‘सेक्यूलर’ और ‘सोशलिस्ट’ । तब से भारत को ‘लोकतांत्रिक समाजवादी सेक्यूलर गणराज्य’ कर डाला गया। अब सुप्रीम कोर्ट डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करने वाली है, कि इसे पूर्ववत् किया जाए क्योंकि इस ने पूरे संविधान को ही बिगाड़ा है। स्मरणीय है कि यह परिवर्तन 1975-76 ई. की कुख्यात ‘इमरजेंसी’ के दौरान किया गया था, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय केंद्रीय मंत्रियों को भी रेडियो से मालूम होते थे! जब विपक्ष जेल-बंद था, और प्रेस पर सेंसरशिप थी। अर्थात वह संशोधन बिना विचार-विमर्श, जबरन हुआ था। वह संविधान की आमूल विकृति थी। यहाँ चार तथ्यों पर विचार क...
म.प्र. ने जलाई हिंदी की मशाल

म.प्र. ने जलाई हिंदी की मशाल

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु के क्रमशः मुख्यमंत्री, मंत्री और नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि उनके प्रदेशों पर हिंदी न थोपी जाए। ऐसा उन्होंने इसलिए किया है कि संसद की राजभाषा समिति ने केंद्र सरकार की भर्ती-परीक्षाओं में हिंदी अनिवार्य करने और आईआईटी तथा आईआईएम शिक्षा संस्थाओं में भी हिंदी की पढ़ाई को अनिवार्य करने का सुझाव दिया है। एक तरफ दक्षिण भारत से हिंदी विरोध की यह आवाज उठ रही है और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भारत के भाषाई अंधकार में हिंदी की मशाल जला दी है। उन्होंने एक गजब का एतिहासिक कार्य करके दिखा दिया है। उनके प्रयत्नों से एमबीबीएस के पहले वर्ष की किताबों के हिंदी संस्करण तैयार हो गए हैं। उनका विमोचन भोपाल में 16 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। गृहमंत्री के तौर पर राजभाषा को बढ़ाने के लिए अमित शाह के उत्...
जी-20 सम्मेलन- यूपी से सीखें बाकी राज्य

जी-20 सम्मेलन- यूपी से सीखें बाकी राज्य

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जी-20 सम्मेलन- यूपी से सीखें बाकी राज्य आर.के. सिन्हा भारत में आगामी वर्ष 2023 में आयोजित होने वाला जी-20 शिखर सम्मेलन देश के पर्यटन क्षेत्र को मजबूती देने के लिहाज से एक बेहद अहम अवसर के रूप में सामने आ रहा है। यह सम्मेलन आगामी वर्ष 9 और 10 सितंबर को राजधानी नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस सम्मेलन में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अति महत्वपूर्ण व्यक्ति भाग लेंगे। भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी 1 दिसम्बर, 2022 से 30 नवम्बर, 2023 तक पूरे एक वर्ष के लिए जी-20 की अध्यक्षता करेंगे !  इसके साथ ही देशभर में इस साल दिसंबर से ही बैठकों के दौर शुरू हो रहे हैं। ये बैठकें...