भारत में समान नागरिक संहिता
भारत में समान नागरिक संहिता*
सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर इसका आग्रह किया है कि देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाए। । संविधान में इसका प्रावधान है। संसद और भारत सरकार यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि देश संविधान से चलेगा अथवा शरिया कानून भी संवैधानिक माना जाता रहेगा? मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर प्रहार करने की नीयत और मानसिकता किसी की नहीं है। पर्सनल लॉ तो सिख, ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध आदि समुदायों के भी हैं। आदिवासी कबीलों से तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि मुस्लिम देश की दूसरी बहुसंख्यक आबादी हैं। जो मुद्दे सामुदायिक और राष्ट्रीय किस्म के हैं, धर्म, मजहब, जाति से ऊपर हैं, कमोबेश उनके संदर्भ में अब ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (बीएनएसएस) की धाराएं लागू होनी चाहिए। वे हिंदू-मुस्लिम समेत सभी समुदायों पर, समान रूप से, प्रभावी होनी चाहिए। यही समान नागरिक संहिता का निष्कर्ष है।
मुद्दे की बात...