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Author: dindiaadmin

आम बजट-2017-18 में किसानों के अनुकूल अनेक कदम उठाने की घोषणा

आम बजट-2017-18 में किसानों के अनुकूल अनेक कदम उठाने की घोषणा

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केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली ने आज संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार को मानसून की स्थिति बेहतर रहने से चालू वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि क्षेत्र में 4.1 प्रति होने की उम्‍मीद है। चौथा बजट पेश करते हुए श्री जेटली ने कहा कि किसानों को समय पर पर्याप्‍त ऋण उपलब्‍ध कराया जाएगा। 2017-18 में कृषि ऋण का लक्ष्‍य 10 लाख करोड़ रूपये के रिकॉर्ड स्‍तर पर निर्धारित किया गया है। उन्‍होंने कहा कि अल्‍पसेवित क्षेत्रों, पूर्वी राज्‍यों तथा जम्‍मू कश्‍मीर के किसानों के लिए पर्याप्‍त ऋण की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करने के विशेष प्रयास किये जाएंगे। किसानों को सहकारी ऋण ढांचे से लिए गये ऋण के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 60 दिनों के ब्‍याज के भुगतान से छूट का भी लाभ मिलेगा। वित्‍त मंत्री ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान सहकारी ढांच...
स्‍वतंत्र भारत का प्रथम संयुक्‍त बजट पेश, रेल बजट भी शामिल

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केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद में आम बजट 2017-18  पेश करते हुए कहा कि यह बजट स्‍वतंत्र भारत का प्रथम संयुक्‍त बजट है, जिसमें रेलवे भी शामिल है। उन्‍होंने कहा कि भारत अब रेलवे, सड़कों, जलमार्गों और नागरिक उड्डयन में होने वाले निवेश में सामंजस्‍य बैठाने की स्थिति में आ गया है। उन्‍होंने कहा कि वित्‍त वर्ष 2017-18 में रेलवे का कुल पूंजीगत एवं विकास व्‍यय 1,31,000 करोड़ रुपये आंका गया है, जिसमें सरकार द्वारा मुहैया कराई गई 55,000 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है। वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि रेलवे चार प्रमुख क्षेत्रों अर्थात यात्री सुरक्षा, पूंजीगत एवं विकास कार्यों, स्‍वच्‍छता और वित्‍त एवं लेखांकन संबंधी सुधारों पर अपना ध्‍यान केन्द्रित करेगी। यात्री सुरक्षा के लिए अगले 5 वर्षों की अवधि के दौरान 1 लाख करोड़ रुपये का ‘राष्...
मोदी जी का राष्ट्र के नाम सन्देश और 7 अनुत्तरित प्रश्न

मोदी जी का राष्ट्र के नाम सन्देश और 7 अनुत्तरित प्रश्न

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विमुद्रीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया तो लगा वो भ्रष्टाचार, कालाधन, आतंकवाद और नकली मुद्रा के खिलाफ छेड़े गए इस महाभियान के जो परिणाम और उपलब्धियां सरकार ने प्राप्त की उनको देश की जनता के सामने रखेंगे और साथ ही कालेधन के खिलाफ आगे की लड़ाई की कार्ययोजना देश के सामने रखेंगे। किंतु ऐसा कुछ भी न कर उन्होंने मात्र कुछ रेबडिय़ा सी जनता को बांटी वो भी आधी अधूरी सी। हालांकि यह तो समझ आता है कि मोदी जी की नीयत अच्छी है और मोदी सरकार का सारा उपक्रम देश में आगे से कालाधन पैदा होने से रोकने और उसको खपाने के चोर रास्ते बंद करने पर है, यह प्रशंसनीय भी है। अगर सारे उपाय ठीक से लागू कर लिए जाए और वस्तु एवं सेवा कर लागू हो जाए तो अगले वित्त वर्ष से देश की 70 से 80 प्रतिशत तक अर्थव्यवस्था सफ़ेद हो जायेगी जो वर्तमान में मात्र 20 प्रतिशत ही है। ल...
विमुद्रीकरण एवं डिजिटल लेन-देन : नायडू समिति की अहम सिफारिशें

विमुद्रीकरण एवं डिजिटल लेन-देन : नायडू समिति की अहम सिफारिशें

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  बैंक से रुपये निकालने पर लग सकता है टैक्स देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने एवं कैशलेस अर्थव्यवस्था विकसित करने के उद्देश्य से 50 हजार रुपये से अधिक की नकद निकासी पर बैंकिंग कैश ट्रांजेक्शन कर लगाने और प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन से भुगतान पर लगने वाले मर्चेंट डिकाउंट रेट (एमडीआर) को पूरी तरह से समाप्त करने की सिफारिश की गयी है। नोटबंदी के मद्देनजर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में बनी उप समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें ये सिफारिशें की गयी है। नायडू ने रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा कि 50 हजार रुपये से अधिक की नकद निकासी पर कर लगाने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही एमडीआर को पूरी तरह से समाप्त करने की सिफारिश की गयी है। सरकारी एजेंसियों में...
संसार के प्रत्येक बालक को गुणात्मक शिक्षा मिलनी चाहिए

संसार के प्रत्येक बालक को गुणात्मक शिक्षा मिलनी चाहिए

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            सरकारी बजट में विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक ध्यान रखा जाता है फिर भी बजट में शिक्षा व्यवस्था का खास ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रायः अधिकांश देशों में शिक्षा का बजट रक्षा से कम होता है, यदि शिक्षा का बजट रक्षा से ज्यादा हो और सही ढंग से इसका प्रयोग हो तो रक्षा की तो जरूरत ही न पड़े। बजट ऐसा हो कि जिससे प्रत्येक युवा को नौकरी या व्यापार शुरू करने में दौड़-भाग न करनी पड़े, क्योंकि इससे व्यक्ति का मनोबल क्षीण होता है। शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जिसके द्वारा सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। युद्ध के विचार सबसे पहले मानव के मस्तिष्क में पैदा होते हैं। मानव के मस्तिष्क में शान्ति के विचार डालने होंगे। शान्ति के विचार देने के सबसे श्रेष्ठ अवस्था बचपन है। आज संसार में जो भी मारामारी हो रही है उसके लिए आज की शिक्षा दोषी है। सारे विश्व के प्रत्येक बालक को बाल्यावस्था से शान्ति की शिक्षा मिलनी चा...

Strange tax-laws creating unnecessary litigations: Chappals and sandals can be categorised simply as footwear

आर्थिक
It refers to a Division Bench of Delhi High Court giving a verdict that woman’s footwear without back-strap is sandal, and not a chappal. Interestingly the case reached to Delhi High Court because of strange tax-laws where duty-drawback on export of chappals and sandals is different at five and ten percent respectively.   It is indeed unfortunate that courts already seized up with so many pending court-cases have to decide on such petty issues which can and should be rationalised by having minimum categories of commodities for taxation purposes. Even though decision of Division Bench of Delhi High Court is final in case Supreme Court is not approached further, yet confusion will always remain in minds of commoners if women’s footwear without straps should be considered as chappa...
मोदी क्यों करें ट्रंप से तुलना?

मोदी क्यों करें ट्रंप से तुलना?

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लोकसभा-सदस्यों के एक रात्रि-भोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रति सहानुभूति दिखाई और कहा कि पता नहीं क्यों, उन पर लोग पत्थर बरसा रहे हैं? जैसे मैं दिल्लीवाला नहीं हूं, वैसे ही ट्रंप वाशिंगटन डीसी वाले नहीं हैं। जैसे वे बाहरी हैं, मैं भी बाहरी हूं। यह कैसा संयोग है? संयोग यह भी है कि ट्रंप ने अपने चुनाव-अभियान के दौरान भारतीय मूल के वोट पटाते वक्त मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए थे। वह ट्रंप की मजबूरी थी। यह मोदी कि मजबूरी हो सकती है कि वे जान-बूझकर ट्रंप के तारीफ में कसीदें काढ़ रहे हैं। मोदी का यह गणित हो सकता है कि ट्रंप को वह खुश रखें, वरना ट्रंप कहीं अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों के पीछे न पड़ जाए। 30 लाख भारतीय वहां रहते हैं। वे संपन्न हैं और अन्य अमेरिकियों की नजर में ईर्ष्या के पात्र हैं। यदि ट्रंप उनसे रोजगार छीनने का अभियान चला दे...
Dr. Abdul Kalam on the Indian media

Dr. Abdul Kalam on the Indian media

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Why is the media here so negative? Why are we in India so embarrassed to recognize our own strengths, our achievements? We are such a great nation. We have so many amazing success stories but we refuse to acknowledge them. Why? We are the first in milk production. We are number one in Remote sensing satellites. We are the second largest producer of wheat. We are the second largest producer of rice. Look at Dr. Sudarshan , he has transferred the tribal village into a self-sustaining, self-driving unit. There are millions of such achievements but our media is only obsessed in the bad news and failures and disasters. I was in Tel Aviv once and I was reading the Israeli newspaper. It was the day after a lot of attacks and bombardments and deaths had taken place. The Hamas had struck. B...
Need for AFSPA in West Bengal

Need for AFSPA in West Bengal

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The ideological-communal polarisation of West Bengal by Chief Minister Mamata Banerjee and the Trinamool Congress has bought the State to the brink of another Direct Action Day, with incidents of organised and planned violence occurring regularly against the hapless Hindu community.   Banerjee has polarised the State in an unprecedented manner, ripping apart the social fabric. Her form of communal (read Islamic) politics could bring the Jamaat e Islami cadres to shame.   Under her rule, even Durga Puja celebrations have been endangered in some places where Islamists objected to them.   A village in Birbhum district has been unable to celebrate and engage in festivities in order to “not antagonise the Muslims” for four years now.   Mamata’s hunger for power has made her res...

Indian politicians should follow American rulers during tenures and retirements

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  Recently retired American Vice President Joe Biden should be role-model for Indian politicians. There was an occasion when Joe Biden during his tenure as American Vice president even thought of selling his house to meet medical-expenses of his young son Beau fighting with cancer (who unfortunately later died). It was greatness of the then American President Barrack Obama who assisted him, rather than using public-funds for personal needs. Joe Biden during his long career as Senator from the year 1973 never claimed a single penny from public-exchequer.   Other great examples are retired American Presidents who spend their lives like ordinary American citizens in their private residences without any government-provided facilities including status-symbol of security. Recently retired Ame...