Shadow

TOP STORIES

ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी।

ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगाजी नहीं थी तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यही पर भगवान शिव ने माता पार्वती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया?वापी का अर्थ होता है कूप, बावडी़ । ज्ञानवापी का सम्पूर्ण अर्थ है ज्ञान का तालाब। काशी की छः वापियों का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है।पहली वापी: ज्येष्ठा वापी, जिसके बारे मे कहा जाता है की ये काशीपुरा मे थी, अब लुप्त हो गई है।दूसरी वापी: ज्ञानवापी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के उत्तर मे है।तीसरी वापी: कर्कोटक वापी, जो नागकुंआ के नाम से प्रसिद्ध है।चौथी वापी: भद्रवापी, जो भद्रकूप मोहल्ले मे है।पांचवीं वापी: शंखचूड़ा वापी, लुप्त हो...
सीमा और अंजू के प्रेम कहानी में पाक की चाल तो नहीं

सीमा और अंजू के प्रेम कहानी में पाक की चाल तो नहीं

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार, सामाजिक
आर.के. सिन्हा आजकल सोशल मीडिया पर सीमा और अंजू की मोहब्बत से जुड़ी कहानियों को चटकारे लगाकर पेश किया जा रहा है। पर इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि कहीं इन दोनों के कथित इश्क में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों का कोई रोल तो नहीं है। ये आप सभी जानते हैं कि सीमा एक पाकिस्तानी महिला है। उसका ग्रेटर नोएडा के सचिन नाम के नौजवान से सोशल मीडिया पर इश्क का परवान चढ़ा तो वो अपना वतन और शौहर को छोड़कर नेपाल होते हुए अपने प्रेमी के पास आ गई। वो अपने साथ अपने बच्चों को भी ले आई।   उधर, राजस्थान के भिवाड़ी में रहने वाली दो बच्चों की मां अंजू पाकिस्तान चली गई अपने प्रेमी से मिलने। वहां उसने निकाह के बाद इस्लाम धर्म को कुबूल भी कर लिया । अब अंजू हो गई है फातिमा। अंजू की फेसबुक के जरिये पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रान्त में रहने वाले 29 साल के नसरूल्लाह से दोस्ती हुई थी, यह बत...
31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान

31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
लंदन जाकर जनरल डायर को गोली मारी थी --रमेश शर्मा क्रान्ति कारी ऊधमसिंह को लंदन में 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई थी । सरदार ऊधमसिंह ने लंदन जाकर उस जनरल डायर को गोली से उड़ा दिया था जिसके आदेश पर जलियाँवाला बाग में निहत्थे लोगों की लाशें बिछा दी गईं थी । ऊधमसिंह उस हत्या कांड के चश्मदीद थे । उनके सामने ही वैशाखी के लिये एकत्र निर्दोष भारतीयों का दमन हुआ था । उन्होंने इसका बदला लेने की ठानी और जीवन भर उसी लक्ष्य पूर्ति में लगे रहे । उन्हे जनरल डायर को मारकर ही चैन मिला ।सरदार ऊधमसिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को संगरूर जिले के गाँव सनाम में हुआ था । उनका परिवार काम्बोज के नाम से जाना जाता था । उनके एक बड़े भाई भी थे जिनका नाम मुक्ता सिंह था । परिवार आराम से चल रहा था कि 1907 में किसी बीमारी से माता पिता दोनों की मृत्यु हो गई । बड़े भाई यद्यपि बहुत बड़े न थे फिर उन्होंने ऊधम सिंह को संभा...
मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती – 31 जुलाई 2023

मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती – 31 जुलाई 2023

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
कलम को औजार बना लेने वाले प्रेमचन्द- ललित गर्ग- मुंशी प्रेमचंद की साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में चर्चा इसलिये होती है कि उनकी कहानियां-उपन्यास जीवंत, अद्भुत एवं रोमांचकारी हैं, लेकिन एक बड़ा सच यह भी है कि उनके वास्तविक जीवन की घटनाएं उससे भी अधिक विलक्षण, प्रेरक एवं अविस्मरणीय हैं। वे अपनी जिन्दगी की किताब के किरदारों में कहीं अधिक सशक्त, साहसी, आन्दोलनकारी एवं प्रेरणादायी रहे हैं। बनारस के लमही में 31 जुलाई 1880 को पैदा हुए इस महान् लेखक-कहानीकार-पत्रकार ने अपनी रचनाओं के लिए ब्रिटिश हुकूमत की सजा भी भोगी, लेकिन पीछे नहीं हटे, अपना नाम भी बदला। उनकी पत्रकारिता भी क्रांतिकारी थी, लेकिन उनके पत्रकारीय योगदान को लगभग भूला ही दिया गया है। जंगे-आजादी के दौर में उनकी पत्रकारिता ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध ललकार की पत्रकारिता थी। वे समाज की कुरीतियों एवं आडम्बरों पर प्रहार करते...
इस्लाम की लम्बी सोच

इस्लाम की लम्बी सोच

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, सामाजिक
--------- ------- ----- कोई भी विचार जो १४०० साल पुराना है, उसे हमें लम्बी सभ्यतागत दृष्टि में ही समझना होगा। जिस तरह भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है, उसी तरह इस्लाम एक सभ्यतागत शक्ति है और इसे उसी प्रकार से समझा जाना चाहिए। मुसलमान यह कहते हैं कि ‘इस्लाम कभी नहीं हारा’। दुखद बात यह है कि एक देश को छोड़कर यह सच है। लेकिन इसका क्या अर्थ है? कि इस्लामी सेनाएँ कभी नहीं हारी? कि युद्ध के मैदान में शत्रु उनसे कभी नहीं जीते? कि उनके इतिहास में कभी बुरे साल या दशक नहीं आये? नहीं, ऐसा नहीं है। पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के बाद अरब से बाहर निकलते ही इस्लामी सेनाएं पूर्व में भारत के द्वार पर पहुंच गईं और पश्चिम में स्पेन में यूरोप के दरवाजे खटखटाने लगीं।ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस समय के दो महान साम्राज्यों ने लगभग तुरंत ही इस्लाम के सामने घुटने टेक दिए। उस समय के सबसे महान साम्राज्यों में से एक, फ...
क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?

क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?

TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण
वर्तमान में, 1000 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार से भरी हुई हैं। वर्तमान योजनाओं में लीकेज का स्तर अत्यधिक उच्च है और ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन भी ख़राब है। बेसिक आय इस ढेर सारे कार्यक्रमों की जगह ले सकता है, जिससे इससे जुड़ी भ्रष्टता दूर हो सकती है। बेसिक आय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े नागरिकों की गरीबी और असुरक्षा को दूर करने में मदद करेगा। यह एक गारंटीकृत आय है, जो विषम परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है एवं आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा बनाए रखती है। -प्रियंका सौरभ बेसिक आय किसी देश के सभी नागरिकों को उनकी आय, संसाधनों या रोजगार की स्थिति की परवाह किए बिना एक निश्चित धनराशि प्रदान करने का एक मॉडल है। बेसिक आय का उद्देश्य गरीबी को रोकना या कम करना और नागरिकों के बीच समानता बढ़ाना है। आज बेसिक ...
मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, संस्कृति और अध्यात्म
खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं   ललित गर्ग  उतार-चढ़ाव, हर्ष-विषाद, सुख-दुःख हर इंसान के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन फिर भी इन जटिलताओं के बीच एक सपना एवं जिजीविषा जरूर होनी चाहिए जो आपको हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहे। जीवन ऐसेे जीना चाहिए जैसे जिंदगी का आखिरी दिन हो। भले ही हमारी जिंदगी उतार-चढ़ावों से भरी हो फिर भी हमें बढ़िया और नेक काम करते हुए जीवन के पल-पल को उत्साह एवं उमंग से जीना चाहिए। लेकिन हमारी बढ़िया या नेक काम करने की इच्छा अधूरी ही रहती है क्योंकि अक्सर जब हम जिंदगी के बुरे दौर से गुजरते हैं, तब उससे निकलने और जब अच्छे दौर में होते हैं, तब उस स्थिति को बरकरार रखने में जिन्दगी बिता देते है। हर इंसान के जीवन में निराशा एवं असंतुष्टि पसरी है। आंकड़े बताते हैं कि करीब 70 फीसदी लोग अपनी मौजूदा नौकरी या काम से संतुष्ट नहीं हैं और क...
वर्षा ऋतु – वरदान या अभिशाप

वर्षा ऋतु – वरदान या अभिशाप

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक, साहित्य संवाद
भारत विभिन्न संस्कृतियों की भांति विभिन्न ऋतुओं से सम्पन्न देश है। यहाँ पर - वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर तथा वसंत (6) प्रमुख ऋतुएं हैं। प्रत्येक ऋतु के आगमन पर जनमानस के हृदय में एक अलग ही आनंद व उत्साह का भाव देखने को मिलता है। ग्रीष्म ऋतु के पश्चात, वर्षा ऋतु के आगमन पर मनुष्य, पेड़-पौधे, पशु -पक्षी, जानवर आदि सभी अत्यधिक उत्साह तथा व्यग्रता से इंतजार करते हैं। वर्षा की जब प्रथम फुहार धरती पर पड़ती है तो, सम्पूर्ण भूमण्डल आनन्द विभोर हो उठता है। नई कोपलों का प्रस्फुटन होता है, खेतों में फसले लहलहाती है, मोर आनन्द के वशीभूत होकर नृत्य करने लगते हैं, प्रेमिका अपने प्रवासी प्रेमी के इंतजार में व्यग्र हो जाती है, वातावरण सुगन्धित हो जाता है। अर्थात् वर्षा ऋतु समस्त प्राणियों के लिए ईश्वर प्रदत्त अनुपम भेंट है।अतीत में ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रकृति, एक अनुपम वरदान स्वरूप थी, परन्तु ...
UNRESOLVED  QUERY ON ORIGIN AND END OF LIFE

UNRESOLVED  QUERY ON ORIGIN AND END OF LIFE

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
N.S.Venkataraman                                                                       Ever since the world happened and humans came into existence ( does anyone know when it was?) , men and women  have been enquiring  as to from where human , animal , bird and other creatures have come into the world and where they would go after their life process. While extraordinary developments have  happened over the last several centuries in science, technology , medicine and other areas, no one has been  able to  explain the origin and end of life with clarity.  Scientists may say that humans and animals happen due to chemical reactions in the womb of the mother and  humans , animals and other creatures  disappear due to the decay of the c...
28 जुलाई 1891 : सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और समाजसेवी ईश्वर चंद्र विद्यासागर का निधन

28 जुलाई 1891 : सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और समाजसेवी ईश्वर चंद्र विद्यासागर का निधन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
भारतीय शिक्षण परंपरा और नारी सम्मान का अद्भुत अभियान चलाया --रमेश शर्मा उन्नीसवीं शताब्दी का आरंभ अंग्रेजों द्वारा भारतीय शिक्षा, संस्कृति, परंपरा और समाज के मानसिक दमन के अभियान का समय था । गुरुकुल नष्ट कर दिये गये थे, चर्च और वायबिल आधारित शिक्षा आरंभ करदी थी । ऐसे किसी ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता थी । जो भारतीय समाज में आत्मविश्वास जगाकर अपने स्वत्व से जोड़ने का अभियान छेड़े। यही काम सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, समाजसेवी ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने किया ।अंग्रेजों ने भारत की मूल संस्कृति, शिक्षा, समाज व्यवस्था और आर्थिक आत्मनिर्भरता को नष्ट करने में हीशअपनी सत्ता का सुरक्षित भविष्य समझा और इसकी तैयारी 1757 में प्लासी का युद्ध जीतने के साथ ही तैयारी आरंभ कर दी थी और 1773 के बाद चर्च ने भारत के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और मानसिक दमन के लिये बाकायदा सर्वे किया और 1806 में दिल्ली पर अधिकार कर...